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मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

तांत्रिक अनुष्ठान के लिए प्राइवेट इंवेस्टिगेटर का महत्व



तांत्रिक अनुष्ठानों से भी होता है घरेलू समस्याओं का समाधान

एक निजी जासूसी एजेंसी आपके लिए व्यक्तिगत जांच से सम्बन्धित मामलों की जिम्मेदारी को सम्भालती है। एक व्यक्ति के रूप में अदालती मामलों में पड़ने पर आपको भी केस लड़ने की आवश्यकता हो सकती है। शादी, नौकरी या ब्रेकअप के बारे में निर्णय लेने के लिए आपको व्यक्तिगत डेटा या जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। किसी कारणवश पारिवारिक, सामाजिक या कानूनी सहायता नहीं मिलने पर किसी भी व्यक्ति को जटिल समस्याओं या मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में एक जासूसी एजेंसी और न्यूज़ एजेंसी सहित सामाजिक संगठनों की भी मदद की आवश्यकता होती है। जो एकमात्र कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (केसीआईबी) ही दे सकती है। क्योंकि यह एजेंसी 20 वर्षों से भी अधिक समय से व्यक्तिगत जांच और परामर्श सहित हर तरह की सहायता और सेवा एक जिम्मेदार संगठन की तरह दे रही है। संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड आपकी मदद करने की हमारी क्षमता के बारे में बताता तो है ही हमारे प्रति लोगों के विश्वास को प्रमाणित भी करता है। उन क्षेत्रों को देखें जहां केसीआईबी के संस्थापक प्रसेनजित सिंह "स्वामी जी" ने अपनी विशेष पहचान बना ली है। अपने इन्हीं विशेषताओं के कारण ये सहजता पूर्वक आपके समक्ष उत्पन्न सभी तरह की समस्याओं के जांच-पड़ताल करवा सकते हैं। :

पारिवारिक
सामाजिक 
आपराधिक 
व्यवसायिक 
आध्यात्मिक 

इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत यह संगठन देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए पीड़ित लोगों को जन-जागरूकता हेतु गठित सामाजिक संगठनों की सहायता भी दिलवाता है। साथ ही प्रेम सम्बन्धों में असफलता, पारिवारिक तनाव, सम्पत्ति विवाद, झूठे केस-मुकदमों और वास्तुदोष आदि मामलों में तांत्रिक अनुष्ठानों के द्वारा अलौकिक शक्तियों से कोई ऐसा चमत्कार या करिश्मा भी करवा देता है जिसकी आप कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। इस कम्पनी ने ऐसे कई काम करवायें हैं जिसके बारे में संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 
सम्बन्धित जानकारी के लिए आप मेरे फ़ेसबुक और ट्विटर हैंडल पर फॉलो करेें।

इसके लिंक्स हैैं : - 
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🗺️ तकनीकी कारणों से हमारी वेबसाइट kcib.com काम नहीं कर रहा है। लेकिन इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। 

इसके बावजूद हमारी कम्पनी ग्राहकों की सुरक्षा के लिए हरेक जांच कानूनी सीमाओं के भीतर करती है। उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता हमारी कम्पनी केसीआईबी का आधार है। 

क्या इस तरह की सर्विस देने वाली कम्पनी की जरूरत आपने कभी महसूस किया है? यदि हाँ तब किस स्थिति में? नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी या सन्देश लिख कर सबमिट कर दें। यदि अपना सन्देश गुप्त रखना चाहते हैं तो हमारे फेसबुक पेज़ के संलग्न लिंक http://kcib.in को फॉलो करें तथा इसी पेज़ पर दिये गये व्हाट्सएप नम्बर या मैसेंजर के लिंक के द्वारा सम्पर्क करें। आपका सन्देश मिलते ही हमारे प्रतिनिधि आपको स्वयं कॉल कर के आपकी जिज्ञासा का समाधान करेंगे।

मेरा इंस्टाग्राम हैंडल है : http://www.instagram.com/kcib.in

बुधवार, 21 अप्रैल 2021

आर्थिक आधार पर आरक्षण का सच

किस्सा आर्थिक आधार पर आरक्षण के शुरूआत की


केन्द्र की एनडीए सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरी व शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने की अधिसूचना जारी कर दी थी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने जो मापदण्ड तैयार किये हैं उसमें राज्य सरकारों को बदलाव करने के अधिकार दिए गए हैं। राष्ट्रपति की मञ्जूरी के बाद यह केन्द्र सरकार की नौकरियों में इसके लागू होने की घोषणा होते ही गुजरात और झारखण्ड सरकार ने भी इसे लागू करने की घोषणा कर दी थी। जबकि बिहार सरकार द्वारा इसके लिए मन्थन किया जा रहा था।

गरीब सवर्णों सहित आर्थिक आरक्षण से वञ्चित लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए संसद में विधेयक लाने की प्रक्रिया की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस आश्वासन के बाद शुरू हो गया था जब उन्होंने ट्विटर पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जवाब में लिखा था कि "आपके इस प्रस्ताव पर गम्भीरता पूर्वक विचार करने की कोशिश करूंगा।" दरअसल इस प्रक्रिया की शुरुआत उसी समय हो गई थी जब मैंने वैवाहिक विज्ञापनों में दिए गए सवर्ण समाज के मोबाइल फोन नम्बर्स पर आर्थिक आरक्षण की माँग करने के लिए अपने सन्देश एसएमएस के जरिये भेजने का अभियान शुरू किया था। इसके लिए मङ्गलवार और शुक्रवार को वैवाहिक विज्ञापन प्रकाशित करने वाले सभी अखबारों को खरीदने का प्रयास करता और जो अखबार नहीं खरीद पाता उसकी व्यवस्था लोगों से माँग कर कर लेता था। उसके बाद उन अखबारों में प्रकाशित सवर्ण समाज के सभी विज्ञापनदाताओं के मोबाइल फोन नम्बर्स को कलेक्ट करता और उन नम्बरों पर एसएमएस के द्वारा अपने सन्देश भेज-भेज कर आरक्षण से वञ्चित गरीब और असहाय सवर्णों को आन्दोलन छेड़ने के लिए प्रेरक सन्देशों को भेजता रहता था। मेरा इस अभियान का उद्देश्य नहीं जानने वाले लोग मुझे पागल और सनकी कह कर मजाक उड़ाया करते थे, जबकि मैं इसे जन जागरूकता के लिए किया जाने वाला मौन क्रान्ति कहता थ। आखिरकार साल बीतते-बीतते मेरा यह अभियान अपना रंग दिखाने लगा और जगह-जगह पर उपेक्षित सवर्णों के द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण का कानून बनाने की माँग को लेकर धरना, प्रदर्शन और गोष्ठियों का आयोजन किया जाने लगा था। बाद में इस अभियान में और गति लाने के लिए मैंने अपने ट्विटर पेज़ और फेसबुक का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। मेरे द्वारा दिया गया नारा इतना प्रचारित हुआ कि मुझे नहीं जानने वाले लोग भी मेरे द्वारा दिए गए नारा को अपने ग्रुप्स में फारवर्ड करने लगे थे। 

अपने साथ होने वाले घरेलु प्रताड़ना और अपनी चरित्रहीन पत्नी के द्वारा किये गये झूठे केस-मुकदमों से ऊब कर घर-परिवार छोड़ कर मैं अक्सर अनजान जगहों की यात्रा पर निकल जाता था। घर छोड़ते समय मुझे खुद ही पता नहीं रहता था कि मुझे कहाँ जाना है। बस लोगों से यह पता कर लेता था कि इस ट्रेन की अन्तिम स्टेशन कहाँ है?.. और रुपये-पैसे की व्यवस्था किये बिना ही किसी अनजान लोगों के व्यवहार, संस्कार, आवश्यकताओं और परेशानियों का समझते हुए अनजान जगह की यात्रा पर निकल जाता था। इस देश की जेलों में अमीर लोग ज्यादा कैद हैं या गरीब लोग, इसकी जानकारी के लिए भी इस देश की अधिक से अधिक जेलों की यात्रा करने की इच्छा होने के कारण भी मैं अक्सर बिदाउट टिकट ही यात्रा करता था। लेकिन पकड़े जाने के बाद भी टीटी या मजिस्ट्रेट मेरी फक्कर वाली दशा देख कर छोड़ देता था। पास में पैसे न होने के कारण मुझे कई-कई दिनों तक भूखे रहने की आदत पड़ गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों की यात्रा के दौरान कुछ लोग आग्रह कर के जबरन खाना खिलाते और मेरी कथाओं को भी तन्मयता पूर्वक सुनते थे। कई जगहों पर तो अगले सफर पर निकलते समय दो-तीन समय का भोजन और नाश्ता भी दे देते और दूबारा आने की आग्रह भी करते थे। सिर्फ़ पंजाब और राजस्थान के अतिरिक्त अन्य जगहों पर मैंने सिर्फ़ गरीब किसान और मजदूरों को ही साधु-सन्तों और असहाय लोगों की मदद करते हुए देखा है। जबकि अमीरों को हर जगह गरीब-गुरबों के साथ दुर्व्यवहार और अत्याचार करते हुए ही मैंने देखा है। फिर भी सरकार तमाम सुविधाएं अमीरों को ही दे रखी है।

अपनी यात्रा के दौरान मैंने आरक्षण प्राप्त जाति के पूंजीपति और दबंग लोगों के घरों में में बेगारी करने वाले उसी की जाति के वैसे लोगों को भी देखा है, जिसे सरकारी सहायता लेने से उसकी जाति के ही दबंगों के द्वारा इसलिए रोक दिया जाता है, ताकि उसके घर में सिर्फ़ भर पेट भोजन के बदले बेगारी करने वाले लोग भाग न जाएं। इसी तरह के अत्याचार सवर्ण जाति के गरीब-गुरबों के साथ भी सभी जातियों के पूंजीपतियों के द्वारा किये जाते हैं। गरीब-गुरबों के आवेदन पर पुलिस-प्रशासन भी ध्यान नहीं देता है, जबकि पूंजीपति लोगों के नाजायज कामों को करने के लिए भी सरकारी और गैरसरकारी से लेकर समाज के लगभग सभी वर्गों के लोग तैयार हो जाते हैं। इसके बावजूद घोर गरीबी में जीवन-यापन करने के लिए मजबूर सवर्ण जातियों के गरीब-गुरबों को भगवान भरोसे छोड़ कर सिर्फ़ जाति विशेष के लोगों को ही आरक्षण का लाभ देने वाले कानून सवर्ण जातियों के दबे-कुचले और असहाय लोगों के साथ अन्याय है। 

इस देश में विधि-व्यवस्था और सामाजिक न्याय का सच जानने के साथ अपने पूर्वज़ों की धरती की तलाश में मैंने जिस यात्रा की शुरुआत की थी उस यात्रा के दौरान मैं जहाँ भी गया, घोर गरीबी में जीवन-यापन करने के लिए मजबूर होने के बाद भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाने के कारण दुखी लोगों में देश और देश के नेताओं के प्रति जो नफ़रत का भाव दिखाई दिया उससे यही प्रतीत हुआ कि इस देश में सवर्ण जातियों के गरीब-गुरबों की स्थिति गुलामों की तरह ही है।

अपनी यात्रा के दौरान १६५९ ईस्वी में राजस्थान से विस्थापित अपने पूर्वज़ों की धरती की तलाश में भटकते हुए बेघर, बेरोजगार और असहाय होने के कारण मठों, मन्दिरों और गाँव-कस्बों में यायावर की तरह घूमते हुए जहाँ भी दोषपूर्ण कानून-व्यवस्था के कारण पीड़ित लोगों को देखा, वहाँ कुछ दिनों के लिए रुक कर लोगों को सामाजिक समानता के लिए जागरूक करते हुए घुमता रहा। घोर गरीबी में जीने के लिए मजबूर होते हुए भी अपनी जातिय स्वाभिमान के कारण चाह कर भी लोगों से मदद नहीं माँग पाता था। लेकिन एक दुर्घटना के कारण "विंगिंग औफ स्कैपुला" नामक असाध्य गम्भीर बीमारी से ग्रसित होने के बाद मुझे मजबूर होकर जब लोगों के सामने हाथ फैलाने पर भी मदद नहीं मिला तब मेरे जीवन का लक्ष्य ही बदल गया था। अपने इलाज के लिए खुद को समाज सेवी कहने वाले पुंजीपति मित्रों, एनजीओ संचालकों, भाजपा सांसदों और विधायकों के द्वारा भी जब मदद नहीं दिया गया तब मुझे पता चला कि गम्भीर बिमारियों के इलाज के लिए निम्न आय वाले लोगों को बिहार सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय आर्थिक मदद करता है। जिसमें केन्द्र सरकार की भी सहभागिता होती है। इस बात की घोषणा करते हुए बिहार सरकार ने सरकारी अस्पतालों में जगह-जगह विशालकाय होर्डिंग लगा रखा था। उस होर्डिंग पर दिए गए कस्टमर केयर नम्बर पर कॉल करते ही उनसे उनकी जाति पूछी गई थी और यह जानते ही कि फ़ोन करने वाला व्यक्ति राजपूत जाति का है, उसने यह कहते हुए फ़ोन को डिस्कनेक्ट कर दिया था कि "सवर्ण जातियों के लिये यह योजना नहीं है। तुम राजपूत हो न? तब कहाँ गया तुम्हारा हाथी-घोड़ा? जाकर अपना राज सम्भालो।" बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सूचना विभाग में पदस्थापित कर्मचारी से अपमानित होने के बाद सम्बन्धित विभाग में जाकर शिकायत करने पर भी मदद करने से इंकार कर दिया गया था। तब जाकर मुझे समझ में आया कि इस देश में समरस समाज के नाम पर सवर्ण जाति के लोगों को कैसे मूर्ख बनाया जा रहा है। अपनी इसी अनुभूति के बाद मैंने शुरू किया था आर्थिक आरक्षण के लिए जन-जागरूकता अभियान। आखिरकार एक दिन मेरे ट्विटर पेज़ पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का वह सन्देश इन्हें प्राप्त हुआ जिसमें यह लिखा हुआ था - "स्वामी जी! आपका यह प्रस्ताव लोक मानस के हित में है। अतः इस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करने का वचन देता हूँ। इस विषय की ओर ध्यानाकर्षण के लिए धन्यवाद।

प्रधानमंत्री की ओर से मिले उस आश्वासन से मुझे पहली बार लगा था कि इस देश में आम लोगों की भी बातों को गम्भीरता से लेने वाले लोग रहते हैं। मगर इनकी संख्या इतनी कम है कि स्वार्थी और धूर्त लोगों की भीड़ में छुप जाते हैं। हमें ऐसे लोगों को ही ढूंढ कर बाहर लाने की जरूरत है। क्योंकि ऐसे ही लोगों से यह देश और समाज बचेगा।

Kaushik Consultancy Intelligence Bureau
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आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की अधिसूचना जारी करने के बाद भी गरीब सवर्णों को क्यों नहीं दिया जा रहा है आरक्षण का लाभ? आयें तलाशते हैं इसका जवाब




सोमवार, 2 नवंबर 2020

Introduction of Sawarn Fans Club

Swami Prasenjeet with his friends in the Seminar of Sawarn Fans Club


जाति, धर्म और लिंग आधारित भेद-भाव को बढ़ावा देने वाले विभिन्न कानूनों के कारण विकास की मुख्य धाराओं से वंचित कर दिए गए सवर्ण समाज को एकजुट करने के उद्देश्य से बनाया गया है सवर्ण फैंस क्लब नामक यह सामाजिक समुह। इस समूह का मुख्य उद्देश्य है गरीबी आधारित आरक्षण का कानून बनवाना। लेकिन सिर्फ़ यही उद्देश्य नहीं है बल्कि विश्व को आधुनिक मानव सभ्यता के साथ लोकतत्र की भी सीख देने वाले हमारे देश भारत की गिरती हुई दशा को सम्भालने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाने के लिए भी बनाया गया है यह कलब। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ४४ में यह वर्णित है कि सभी राज्य अपने यहाँ समान नागरिक संहिता लागू करे, मगर यह कानून उन पर बाध्यकारी नहीं है। यह कैसा संविधान है? इतना कमजोर और लचर संविधान के कारण ही यहाँ जोर-जबरदस्ती का कानून चलता है। जिसकी लाठी, उसकी भैंस के तर्ज पर गठित कानून के कारण ही यहाँ महिला उत्पीड़न कानून की गैर जमानती धारा 498 अ के द्वारा स्वाभिमानी पुरुषों को भी पौरुषहीन बना दिया गया है।


जैसे हर औरत अबला नहीं होती वैसे ही हर पुरुष अत्याचारी नहीं होता है। इसके बावजूद घर-गृहस्थी की नींव समझे जाने वाले पुरुष वर्ग को ही कमजोर करने के लिए राष्ट्रीय एकता के दुश्मनों के द्वारा सबसे पहले महिला उत्पीड़न कानून की गैर जमानती धारा 498 अ बनाकर इस देश को पौरुषहीन बनाने का कुचक्र चालू किया गया, इसके बाद राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा के लिए हर समय आत्म बलिदान के लिए भी तत्पर रहने वाले सवर्ण समाज को कमजोर करने के लिए इन्हें शिक्षण-प्रशिक्षण, नियुक्ति-प्रोन्नत्ति, ऋण-अनुदान आदि हरेक मामलों में लगातार उपेक्षित किया जाने लगा। यह साजिश उपेक्षित सवर्णों को राष्ट्र द्रोह के लिए प्रेरित करवाने का स्वप्न देखने वाले गद्दारों के द्वारा रचा जा रहा है। ताकि आर्थिक अक्षमता, शारीरिक विकलांगता और शैक्षिक योग्यता के बजाए सिर्फ़ खास जाति, खास धर्म और खास लिंग के लोगों को ही आरक्षण देकर सवर्ण कहलाने वाले स्वाभिमानी जाति को उग्रवाद की आग में झोंक कर आसानी से खत्म किया जा सके। 


ऐसा सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि हम सवर्णों के नेस्तनाबूद हो जाने के बाद इस देश पर दूबारा विदेशी झण्डे फहराने का ख्वाब देखने वाले लोगों को निःशेष भारतीयों को कुचलने में ज्यादा मेहनत न करना पड़े। ऐसे ही स्वप्न देखने वाले गद्दारों की मूर्खता से इस देश की रक्षा के लिए सवर्ण फैंस क्लब नामक यह ग्रुप बनाया गया है। ताकि राष्ट्रीय एकता में बाधक बन रहे जाति, धर्म और लिंग आधारित आरक्षण को विलोपित करवाकर गरीबी आधारित आरक्षण का कानून बनवाने के लिए संघर्षरत सवर्ण समाज की गतिविधियों को आपस में साझा किया जा सके।  


सवर्ण फैंस क्लब नामक इस ग्रुप में सामाजिक समरसता हेतु गरीबी आधारित आरक्षण को समर्थन देने के लिए तत्पर हमारे सभी सदस्यों और सदस्य संगठनों की संघर्ष समाचारों व समस्याओं को प्रमुखता से प्रकाशित-प्रसारित किया जाएगा। देश के अन्य ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने के बजाए इस ग्रुप में सिर्फ़ सवर्ण समाज की समस्याओं और संघर्षों पर केन्द्रित फीचर, चर्चित विश्लेषकों और टिप्पणीकारों की राय, प्रेरक प्रसंग, यात्रा संस्मरण, स्वास्थ्य-शिक्षा, वैदिक सभ्यता-संस्कृति तथा आध्यात्मिक जागृति से सम्बंधित ज्ञानप्रद लेखों और वृत्तचित्रों को सम्मिलित किया जा सकेगा। 


किसी भी हालत में इस ग्रुप में अश्लील एमएमएस, विडियो या भाषा का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। यही नहीं द्विअर्थी भाषा या वाक्यांशों के प्रयोग पर भी रोक रहेगा। ऐसा पाये जाने पर दोषी व्यक्ति की सदस्यता अविलम्ब समाप्त कर दी जाएगी। इसके लिए दोषी पाए गए सदस्य या सदस्यों को बिना किसी पूर्व सूचना के कभी भी निष्कासित किया जा सकेगा। 


SAWARN FANS CLUB की सदस्यता के लिए संलग्न लिंक के द्वारा हमारा फेसबुक ग्रुप ज्वॉइन करें :

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तत्पश्चात अपने समाज के साथ होने वाले अत्याचारों के की वीडियो रिकॉर्डिंग कर के न सिर्फ़ हमें भेजें, बल्कि अपने समाज को संगठित कर के जरुरतमंद लोगों की अपेक्षित सहायता भी जरूर करें। तभी लोग आपकी भी फिक्र करेंगे। लेकिन अपनी ताकत का इस्तेमाल अपने ही समाज के विरुद्ध कर के सरकार के द्वारा पहले से ही उपेक्षित इस समाज को और कमजोर न करें। जहाँ तक हो सके अपने साथ होने वाले अत्याचारों के खिलाफ़ आवाज़ उठायें।

सवर्ण समाज के साथ होने वाले अत्याचारों के साक्ष्य युक्त समाचारों के टेक्स्ट कंटेंट, फोटोग्राफ्स तथा वीडियो क्लिप्स यहाँ भेजें :

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भ्रष्टाचार, प्रताड़ना और धोखाधड़ी के खिलाफ़ जासूसी, पीछा, प्रेस कॉन्फ्रेंस, धरना, प्रदर्शन व निजी परामर्श के द्वारा सामाजिक सहायता पाने के लिए संलग्न लिंक पर सम्पर्क करें :

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यदि आप हिन्दी भाषी कविता, कहानी, गीत व एकांकी लेखन में रुचि रखते हैं, तो इस क्लब से सम्बन्धित विषयों पर आधारित रचनाएं हमें संलग्न ईमेल ऐड्रेस पर भेज सकते हैं :

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हमसे सम्बन्धित अपनी शिकायत या परामर्श के लिए संध्या ०५:०० बजे से ०७:०० बजे तक यहाँ सम्पर्क करें :

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हम रहे थे सन्त जब तक 
पन्थ यह आसान था ।
जब चले सामान्य बनने 
हर तरफ बेईमान था।।

अब तलक हम जी रहे थे
मन्दिरों के दान पर।
जब से उस दुनियाँ को छोड़ा
लोग पड़ गए जान पर ।।

कुछ समझ नहीं आता अब मैं
जाऊँ तो जाऊँ कहाँ।
अब नहीं इंसान का है
ठौर या इज्ज़त यहाँ।।

मंगलवार, 8 जुलाई 2014

Introduction of KCIB

KCIB (केसीआईबी) का परिचय

KCIB का पूरा नाम कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो है। यह कम्पनी वर्ष 2013-14 में Socio-economic Reservations के लिए वृहद पैमाने पर सर्वे करवा कर प्राप्त सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आवाज़ उठाने वाला पहला संगठन Sawarn Fans Club का ही परिवर्तित नाम है। इसके कारण एक पब्लिक फोरम की तरह काम करने वाला यह कम्पनी भारत सरकार द्वारा उपेक्षित सवर्ण समाज के हितों की रक्षा करने के लिए जन-जागरूकता का काम तो पूर्ववत करता ही रहेगा, अब सवर्ण समाज के गरीब-गुरबों के साथ सहानुभूति रखने वाले सभी जाति, धर्म, मत, सम्प्रदाय और लिंग के शोषित लोगों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा करने का काम भी करेगा। इसके कारण हमारी कम्पनी KCIB का यह ब्लॉग जाति, धर्म और लिंग आधारित भेद-भाव को बढ़ावा देने वाले कानूनों के कारण उत्पन्न सामाजिक विद्वेष और मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को अपने तकलीफ़ों से मुक्ति दिलाने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाने वाला एक संवाद मंच की तरह भी काम करेगा।
  • इसका गठन सभी जाति, पंथ, लिंग और सम्प्रदाय के असली जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ दिलवाने के उद्देश्य से जन-जागरूकता अभियान चलाने के लिए किया गया है। हमारा उद्देश्य न सिर्फ़ गरीबी आधारित आरक्षण का कानून बनवाने का प्रयास करना है बल्कि हरिजन एक्ट और महिला उत्पीड़न कानून के बढ़ते दुरुपयोग के कारण प्रताड़ित लोगों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा हेतु पुरुष आयोग के साथ सवर्ण आयोग का गठन करवाना भी है। 
  • भारतीय संविधान में वर्णित समता के अधिकारों से सम्बन्धित कानून की धारा में शामिल उपधारा 16(4) एवम 16(4क) को विलोपित करवाकर राष्ट्रीय एकता में बाधक बनने वाले कानूनों को खत्म कर के भारतीय समाज के हर वर्ग को समानता का अधिकार दिलाना भी है। 
ताकि जाति और धर्म आधारित आरक्षण के कानून के कारण अश्पृश्यता निवारण अधिनियम 17 की हो रही अवमानना पर पूरी तरह रोक लगा कर न सिर्फ़ भारतीय संविधान के प्रति सभी भारतीय नागरिको में सम्मान और विश्वास को बढ़ावा दिया जा सके, बल्कि सभी जाति के गरीबों को आरक्षण का लाभ दिलाकर समान न्यायिक व्यवस्था वाला सुन्दर, स्वाबलम्बी और खुशहाल नागरिकों का देश बनाने के स्वप्न को साकार किया जा सके।

इस मिशन के रास्ते में आने वाले बाधाओं को दूर करने के लिए प्राइवेट डिटेक्टिव और न्यूज़ एजेंसी एक्टिविटीज़ सहित अपने उपभोक्ताओं को सभी तरह के इंफार्मेशन सर्विस देना भी हमारा मकसद है। इस ब्लॉग पर आने वाले लोगों को सामाजिक भेदभाव और उत्पीड़न से सम्बन्धित मामलों की सच्ची रिपोर्ट, सामयिक वार्ता, आलेख, कविता, कहानी तथा आम लोगों के लिए जरूरी उत्पादों की सूचना उपलब्ध कराने के साथ गरीब और असहाय लोगों के द्वारा उत्पादित सामग्रियों की मार्केटिंग करवाने में मदद करना भी हमारा उद्देश्य है। इसके अलावा बेरोजगार युवाओं को सेल्स और मार्केटिंग के साथ पत्रकारिता की शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग व रोजगार देना भी शामिल है।
 भवदीय 
प्रसेनजीत सिंह, निदेशक 
SAWARN FANS CLUB 

Kaushik Consultancy Intelligence Bureau (KCIB)
Kaushik Bhawan, A/4, Bauddh Vihar Colony
Naya Tola Kumhrar, Patna-800026, Bihar, India
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