बुधवार, 8 दिसंबर 2021

Importance of Investigative Journalism

खोज़ी पत्रकारिता के महत्व और चुनौतियां 

(यह रिपोर्ट इंवेेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का प्राइवेट इंवेस्टिगेशन सर्विस का व्यवसाय करने वाले लोगों के साथ केस-मुकदमों से पीड़ित लोगों के लिए भी है। अतः इसे जरूर पढ़ें। हो सकता है कि यह आपके काम आये।)

डॉ चन्द्रशेखर नामक इसी अधीक्षक के कहने पर
इंजुरी रिपोर्ट बनाने से मना किया गया था NMCH के कर्मचारियों को


केसीआईबी, पटना। 
एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ (प्रोफेसर) चन्द्र शेखर के अधीन 528 बेड्स से सुसज्जित तमाम जरूरी सुविधाओं से सम्पन्न नालन्दा मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल! आकस्मिक चिकित्सा, जाँच और रिपोर्टिंग का दावा करता है। मगर आपराधिक हमलों के शिकार मरीजों की चिकित्सा और सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं देता है। हालांकि इस बात की एनएमसीएच प्रशासन लिखित घोषणा नहीं करता है मगर यहाँ इलाजरत मरीजों के साथ आये दिन होने वाली घटनाओं और कर्मचारियों के द्वारा किये जाने वाले दुर्व्यवहार की शिकायतों के बाद खोज़ी पत्रकारिता की सेवा देने वाली मेरी कम्पनी Kaushik Consultancy Intelligence Bureau के द्वारा शुरू किए गए प्रारम्भिक जाँच के दौरान ही दिखे स्पष्ट संकेतों और पुख्ता सबूतों से साबित होता है। खाजेकलां थाना काण्ड संख्या 402 /2019 के अनुसार हरनाहा टोला, देवी स्थान के पास रहने वाले अखिलेश सिन्हा नामक एक ट्रैफ़िक पुलिस की सोलह वर्षिय नाबालिग बेटी स्थानीय अपराधी नीरज कुमार के द्वारा किये गये जानलेवा हमले में जख्मी होने के कारण दिनांक 18.09.2019 से ही पटना के NMCH में इलाजरत थी। अखिलेश सिन्हा की वह बेटी एक राज्य स्तरीय महिला तैराक होने के साथ एनसीसी और इप्टा की सदस्य भी है। प्रियंका श्रीवास्तव नामक उस बेटी को अस्पताल के कर्मचारियों और आसपास के मरीज़ों के भरोसे छोड़ कर अखिलेश सिन्हा दवा लाने के लिए गये हुए थेे, तब अकेलेपन का फायदा उठाते हुए वहाँ के कर्मचारियों ने प्रियंका श्रीवास्तव को डिस्चार्ज स्लीप थमा कर यह कहते हुए हॉस्पिटल से नाम काट दिया कि "तुम्हारा कोई पुलिस केस नहीं है, चलो भागो यहाँ से"। मात्र सोलह साल की नाबालिग बच्ची जिसे हाल में ही आठ-दस अपराधियों के द्वारा बूरी तरह मार-पीट कर जख्मी कर दिया गया था उसके ऊपर उस समय जो बीत रही होगी उसकी आप भी कल्पना कर सकते हैं। अपने घर-परिवार से दूर अनजान लोगों के बीच अस्पताल के कर्मचारियों की कटुक्तियों से सहमी हुई वह नाबालिग लड़की जिस तरह की मानसिक तनाव से जूझ रही होगी, आप उसेे महसूस भी कर रहे होंगे। अस्पताल के कर्मचारियों को डिस्चार्ज स्लिप देने के लिए उसके अभिभावक के आने तक इंतजार करना चाहिए था। मगर सुनियोजित साजिश के तहत उस काण्ड की शिकार बच्ची को डराने के लिए ही धरती के भगवान समझे जाने वाले डॉ प्रोफेसर चन्द्रशेखर के यूनिट में कार्यरत कर्मचारियों का दुरुपयोग किया गया था। एन.एम.सी.एच. के जिन कर्मचारियों के भरोसे अपनी बच्ची को छोड़कर अखिलेश सिन्हा दवा और रिपोर्ट आदि लाने के लिए गये हुए थे, उन्हीं लोगों ने दिनांक 21.09.2019 को जख्मी प्रियंका श्रीवास्तव को पूरे वदन में दर्द और सिर चकराने की शिकायत के बाद भी जबरन अस्पताल से बाहर कर दिया था। 


इस घटना की सूचना 21 तारीख को लगभग 03:00 बजे के करीब मिलते ही मैं अपनी टीम के साथ पीड़ितों के पास पहुंच गया था। जब मैंने पुलिस केस से सम्बन्धित डॉक्युमेंट्स देखने के लिए एन.एम.सी.एच. की गोपनीय शाखा के इंचार्ज पंकज मिश्रा से पूछताछ किया तो उन्होंने बताया कि "प्रियंका श्रीवास्तव के नाम से जख्म-प्रतिवेदन बनाने के लिए अभी तक न तो कोई आवेदन प्राप्त हुआ है और न ही स्थानीय थाना से ही किसी कर्मचारी ने इसके लिए सम्पर्क किया है। अतः आपका कोई पुलिस केस नहीं बनता है।" जबकि इस केस के आइ.ओ. ने अपना बचाव करते हुए इस आरोप को निराधार बताते हुए तत्परता पूर्वक सभी कानूनी कारवाई विधिवत् करने की बात कही है। इस मामले की छानबीन करने पर पता चला कि खाजेकलां थाना काण्ड संख्या 402/2019 के आई.ओ चन्द्र शेखर शर्मा ने शिकायतकर्ता की जख्मी बेटी प्रियंका श्रीवास्तव का इलाज कर के जख्म-प्रतिवेदन बनाने के लिए आवेदन गुरू गोविंद सिंह हॉस्पिटल के अधीक्षक को दिया था। लेकिन उस अस्पताल ने पीड़िता का जख्म प्रतिवेदन बनाने के बजाए जख्मी मरीज की नाक से हो रहे अधिक रक्त श्राव को देखते हुए सीटी स्कैन करवाने का निर्देश देकर मरीज को NMCH, Patna मे रेफर कर दिया था। NMCH के नाम से प्रसिद्ध पटना के इस राजकीय हॉस्पिटल में जाने पर भी मरीज को भर्ती करने के लिए उसके परिजनों को काफी मसक्कत करना पड़ा था। लगभग चार घण्टों के बाद बिहार सरकार के मंत्री नन्द किशोर यादव की पैरवी पर उसे भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन ऊपरी कमाई के लिए अपनी जमीर बेचने वाले चिकित्सकों ने प्रियंका श्रीवास्तव के हमलावर नीरज कुमार के इशारे पर मामले को रफा-दफा करने के लिए चाल चलना शुरू कर दिया था। नियमतः अधीक्षक के द्वारा अपने यूनिट में जख्मी मरीज को भर्ती करते ही स्थानीय थाना प्रभारी को सूचित करना चाहिए था ताकि स्थानीय थाना में जख्मी मरीज का फर्द बयान दर्ज कर के जख्म-प्रतिवेदन बनाने की कारवाई की जाती। मगर अधीक्षक ने स्थानीय थाना को इसकी सूचना नहीं देकर मरीज की इंजूरी रिपोर्ट बनाने के काम में जान-बूझकर रोड़ा अटकाने का काम किया था। इस केस के आई.ओ. या थाना प्रभारी का भी घटना स्थल पर नहीं आना तथा अस्पताल में भर्ती मरीज से भी कोई बयान न लेना, ननबेलेबल एक्ट का मामला होते हुए भी जान-बूझकर हल्की धाराओं के तहत मामला दर्ज करना तथा हफ्तों बाद भी आरोपी को गिरफ्तार न किया जाना साबित करता है कि समस्त सरकारी महकमा आरोपी के प्रभाव में कार्य कर रहा था। इसके कारण भयभीत अखिलेश सिन्हा और उसके परिजन हमें बार-बार फ़ोन करके दोषियों को गिरफ़्तार करवाने का आग्रह कर रहे थे। 


प्रारम्भिक जाँच से वह मामला मुझे ज्यादा संगीन नहीं लग रहा था। लेकिन जब एक दिन पटना के ट्रेफिक पुलिस के रूप में कार्यरत सिपाही अखिलेश सिन्हा रात में 07:00 बजे अपनी पत्नी और बेटी के साथ अचानक हमारे घर पर पहुंच कर मदद की गुहार करने लगे, तब मामले की गम्भीरता पर यकीन हुआ। उन लोगों ने मुझे बताया कि "पुलिस किसी भी दोषी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है। इसके कारण वे लोग बेखौफ हो गये हैं। पुलिस भी उनसे मिली हुई है। जिसका लाभ लेकर वे लोग मेरी बेटी और पत्नी को डराने के लिए मेरे दरवाजे के सामने रोज फायरिंग कर रहे हैं।" अपने घर से छः-सात किलोमीटर दूर स्थित मेरे आवासीय कार्यालय में वे लोग घनघोर वर्षा में भिंगते हुए आये थे। जिसके कारण मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि मामला गम्भीर रूप ले चुका है। काम का समय खत्म हो जाने के बाद भी अपने वकील को बुला कर रात में ही मामले के सम्बन्ध में आवश्यक पूछताछ किया। फिर अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए उस मामले को रफा-दफा करवाने के प्रयास में शामिल थाना से लेकर अस्पताल के कर्मचारियों, अधिकारियों सहित एक-एक आरोपितों के खिलाफ़ पर्याप्त साक्ष्य की व्यवस्था करने के लिए निर्धारित शर्तों पर कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। जिनके द्वारा मुझे वह कॉन्ट्रैक्ट मिला था उनकी भी सहमति मिलते ही रात्रि 09:00 बजे आरक्षी अधीक्षक पटना के आवास पर जाकर सविस्तार घटना के बारे में सुचित किया और डरे-सहमे लोगों की शिकायत की वास्तविकता जानने के लिए रात्रि 10:30 बजे के करीब शिकायतकर्ताओं के साथ उनके घर पर जाकर आस-पास के माहौल का मुआएना किया था। उस क्रम में अगले दिन उस मामले से सम्बन्धित सभी भ्रान्तियों का निराकरण करने के लिए आरोपित और प्रत्यारोपित सभी लोगों से मिला। पीड़ितों ने मुझसे कहा था कि आरक्षी अधीक्षक को अपराधियों ने पचास हजार रुपया दिया है, इसके कारण पुलिस मेरी मदद नहीं कर रही। एसपी ही मेरा काम नहीं होने दे रहा है। इसके बावजूद मैंने उनकी सहायता करने की सहमति देते हुए छानबीन शुरू कर दिया। 


इस केस में मैने पहली बार ऐसे व्यक्ति को देखा जो मेरे सोकर उठने से पहले ही मेरे घर में आकर बैठ जाता। उसकी जिद के कारण मुझे जहाँ भी जाना होता उसे अपने साथ ले जाना पड़ता था। उस समय मैं खुद Winging of Scapula से पीड़ित होने के कारण घोर आर्थिक किल्लत से जूझ रहा था, इसके कारण वह केस अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। हालांकि अपने क्लाइंट के जिद्दी स्वभाव के कारण मैं स्वतंत्र होकर काम नहीं कर पा रहा था। इसके बावजूद आरक्षी अधीक्षक पूर्वी पटना, वरीय आरक्षी अधीक्षक पटना, आरक्षी उपाधीक्षक पटना सिटी और एनएमसीएच के अधीक्षक सहित उस घटना से सम्बन्धित कर्मचारियों और आम लोगों से भी व्यक्तिगत रूप से मिलते हुए सम्बन्धित मामले की जानकारी जुटाता रहा। इस दौरान जब पीड़ित व्यक्ति साये की तरह पीछे पड़ा हो तब वाद-विवाद होना लाजिमी है। इसके बावजूद जब झगड़ा-झंझट और खतरे मोल लेकर पर्याप्त साक्ष्यों की व्यवस्था होते ही मैंने शर्त के अनुसार अपराधियों की गिरफ्तारी के पहले अपने कॉन्ट्रैक्ट के आधे पैसे की माँग किया, तब अपराधियों का नाम सुनते ही थर-थर काँपने वाला ट्रैफिक पुलिस अखिलेश सिन्हा ने मुझ पर आरोप लगाते हुए कहा कि "आपको अपने दुश्मनों के यहाँ भी जाते हुए हम देखे हैं। इसलिए मुझे आप पर भरोसा नहीं है। पहले इन लोगों को गिरफ्तार करवाइए, उसके बाद सारा पैसा एक ही बार में ले लीजियेगा। इसके पहले मैं एक भी पैसा नहीं दुँगा।" काफी समझाने पर भी जब वह नहीं माना तो उसकी मंशा समझ कर मुझे बैरङ्ग लौटना पड़ा था। लेकिन घर लौटने के बाद मुझे इस बात की जानकारी हुई कि अखिलेश सिन्हा ने बहस के दौरान ही जिस समय मैं अपना बैग सिटी कोर्ट में स्थित अपने चाचा जी के चैम्बर में ही छोड़ कर कुछ देर के लिए बाहर निकला था, उसी दौरान अखिलेश सिन्हा ने मेरे पास मौजूद अपने साक्ष्यों वाला फाइल गायब कर दिया था। जो यकीनन चोरी की ही घटना थी। लेकिन पटना के मुसल्लहपुर नामक बस्ती में महारानी गैस एजेंसी चलाने वाले जिस व्यक्ति के द्वारा उस सिपाही से मेरी परिचय हुई थी, उसके द्वारा मेरा पैसा दिलवाने की गारंटी दिये जाने के कारण मैं चुप रहा। लेकिन उस धोखाधड़ी के बाद मैंने वह केस छोड़ दिया था। इसके बावजूद मुझे काफ़ी दिनों तक उस मामले को मैनेज़ करने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों के कॉल आते रहे थे। मैं चाहता तो अखिलेश सिन्हा से ज्यादा रकम आरोपित युवक नीरज कुमार से ले कर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकता था। लेकिन मेरे लिए सिद्धांतों से बढ़कर कुछ भी नहीं है। 


मुझे बाद में पता चला कि कुछ अपराधियों को उस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन अब उस मामले से मुझे कोई लेना देना नहीं था। फिर भी छानबीन करने के दौरान हुए खर्च की वसूली के लिए जैसे ही अखिलेश सिन्हा से दूबारा सम्पर्क किया उसने कुछ नशेरियों से फोन करवा कर मुझे भी रंगदारी माँगने के आरोप में फँसाने की धमकी देने लगा। बस इतना होते ही मैं अखिलेश सिन्हा नामक सिपाही को अच्छी तरह से समझ गया और भूल चुके मामले की नये सिरे से छानबीन करने के लिए पुनः जुट गया था। तब जाकर यह स्पष्ट हुआ कि अपनी बेटी की इज्ज़त लूटने की कोशिश करने का विरोध करने पर जानलेवा हमला करने का आरोप अखिलेश सिन्हा ने अपनी बेटी से जबरन लगवाया था। दरअसल वह मामला जमीनी विवाद का मामला था। जिसके कारण हुए छिटपुट झड़प के दौरान बीच-बचाव कर रही अखिलेश सिन्हा की बेटी प्रियंका श्रीवास्तव अपने घर के सामने स्थित फिसलन वाली सड़क पर खुद ही गिर गई थी और ईट के ढेर पर मुँह के बल गिरने के कारण उसकी नाक की हड्डी टूट गई थी। फिर क्या था सच्चाई सामने आते ही मैं समझ गया कि खुद को पीड़ित दिखाने वाला ट्रैफिक पुलिस अखिलेश सिन्हा हर समय मेरे पीछे क्यों पड़ा रहता था। 


इस मामले की छानबीन करने के दौरान मुझसे जिस तरह की चूक हो गयी थी, इसी तरह अनुसन्धान के कार्य में लगे पुलिसकर्मियों से भी गलती हो जाती है। हालांकि पुलिसकर्मियों द्वारा तैयार किया गया अधिकांश जाँच रिपोर्ट झूठा, मनगढ़ंत और रिश्वत ले-देकर बनवाया हुआ होता है। इसके कारण समय-समय पर पुलिस कर्मियों के विरुद्ध आवाजें भी उठती रही हैं। इसके कारण केस-मुकदमों से पीड़ित लोगों सहित केस दर्ज करवाने वाले लोगों को भी प्राइवेट इंवेस्टिगेशन सर्विस देने वाले कम्पनियों व खोज़ी पत्रकारों की सेवा जरूर लेनी चाहिए। लेकिन इस तरह का काम करने वाले लोगों को भी मेरी नसीहत है कि इस तरह के काम भावुक होकर न करें। न ही किसी के दबाव में काम करें। बल्कि पूरी तरह से एक पेशेवर की तरह दी जाने वाली सेवाओं की सूची, उसके लिए निर्धारित सेवा शुल्क व आवश्यक शर्तों का उल्लेख करते हुए अपनी कम्पनी का काँट्रैक्ट एग्रीमेंट/बॉण्ड प्रपत्र बना लें। जब भी कोई केस हाथ में लें तब उस प्रपत्र पर विधिवत रूप से एग्रीमेंट जरूर करवायें। इस तरह का बन्ध-पत्र इसलिए भी जरूरी है ताकि दोनों पक्षों का एक-दूसरे के प्रति विश्वास बना रहे। मैं इसलिए ऐसी नसीहत दे रहा हूँ क्योंकि ऐसे कई मामलों में मैंने अपने हजारों रुपये खर्च कर के लोगों के काम तो करवा दिया लेकिन अन्त में पेमेंट के लिए नोक-झोंक और अधिकांश मामलों में धोखा ही पाया हूँ। 


अतः प्राइवेट इंवेस्टिगेशन का काम करने वाले लोगों को मेरी नसीहत है कि आप जरूरत से ज्यादा समाजसेवी न बने, बल्कि एक प्रोफेशनल की तरह काम करें। क्योंकि आपके पास पैसा होगा तभी अपने घर में भी इज्ज़त होगी। प्राइवेट इंवेस्टिगेटर की सेवा लेने वाले लोगों से भी आग्रह है कि इस तरह की धोखाधड़ी नहीं करें। क्योंकि खाजेकलां थाना काण्ड संख्या 402/2019 के जिस केस को मैनें रास्ते पर लाकर छोड़ दिया था उसके आरोपी पुलिस अखिलेश सिन्हा की जीती हुई बाजी को मैने न सिर्फ़ पलट दिया था बल्कि अपनी गिरफ्तारी के डर से फरार चल रहे मुख्य आरोपी को गिरफ्तार होने से बचा भी दिया था। अतः कभी भी अपने मददगार से धोखाधड़ी न करें। 


इस मामले में आरोपित लोग भले ही बेगुनाह थे लेकिन इलाज़रत युवती का जख्म प्रतिवेदन नहीं बना कर एनएमसीएच के डॉक्टरों ने अपराध तो कर ही चुका था। उन लोगों ने इस मामले में आरोपित नीरज कुमार से मिले हुए रिश्वत के लोभ में ऐसा किया था, जो पूरी तरह से गैरकानूनी और दण्डनीय अपराध है। फिर भी NMCH के जो अधीक्षक और खाजेकलां थाना के पुलिस अधिकारी मेरा नाम सुनते ही अपने चैम्बर से गायब हो जाते थे उन लोगों से भी जब दुबारा मुलाकात हुई तब उस केस के मामले में परेशान करने के लिए माफ़ी माँगते हुए सच्चाई बता दिया था, ताकि हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध सभी तरह के लोगों से बना रहे। हालांकि उस मामले में फँस रहे लोगों ने मुझे भी रिश्वत की रकम में हिस्सेदारी देने की पेशकश की थी। लेकिन अपने उसूलों के कारण उनकी चाय तक पीने से इंकार कर दिया था। लेकिन लगता है कि इस देश में ईमानदारी से काम करने वाले लोगों को हर जगह धोखा ही मिलता है। इसके बावजूद धोखेबाज़ लोगों के लिए जब सारे दरवाजे बन्द हो जाते हैं तब भी ऐसे धोखेबाज़ लोग हमारे जैसे लोगों के पास ही आते हैं। क्योंकि ऐसे लोग भली-भांति जानते हैं कि इमानदारी से काम करने वाले लोग दयालु होते हैं और धोखा देने वाले लोगों से भी मीठे बोल सुनते ही पुरानी बातें भूल जाते हैं। 


ऐसे लोगों के द्वारा मुझे इस्तेमाल करने के लिए अभी भी ढूंढा जा रहा है। मैं भी अपनी आदतों से लाचार हूँ। मुझसे ही धोखेबाज़ी करने वाले लोग भी जब मेरे शरण में आ जाते हैं तो उन्हें अपने क्षात्रोचित संस्कारों के कारण मदद करने से इंकार नहीं कर पाता हूँ। जबकि मैं जानता हूँ कि अजमेर के राजा पृथ्वी राज चौहान की गिरफ्तारी भी शरण में आये हुए दुश्मनों को माफ़ करने के कारण ही हुआ था। फिर भी आशा करता हूँ कि मदद माँगने वाला हर आदमी धोखेबाज़ नहीं होता है। क्योंकि ऐसे लोगों को भी मैंने देखा है जो चाहे लाख मुसीबत में क्यों न हों लोगों के सामने हाथ नहीं फैलाते हैं। ऐसे लोगों में अपने ही लोगों के द्वारा धोखा खाते-खाते टूट चुके लोग भी होते हैं। अतः आपके साथ भी यदि गलत हो रहा है और उसके कारण आपकी नींद तक उड़ चुकी है। अपने झंझावातों से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है तो हमसे निःसंकोच होकर मिलें। हो सकता है की यहाँ पर आपकी समस्या का समाधान हो जाए। लेकिन ध्यान रहे अब मैंने बिना एग्रीमेंट करवाये किसी भी केस में हाथ लगाना छोड़ दिया है। एग्रीमेंट होने से दोनों पक्षों में एक-दूसरे के प्रति विश्वास बना रहता है। 💞



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मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

तांत्रिक अनुष्ठान के लिए प्राइवेट इंवेस्टिगेटर का महत्व



तांत्रिक अनुष्ठानों से भी होता है घरेलू समस्याओं का समाधान

एक निजी जासूसी एजेंसी आपके लिए व्यक्तिगत जांच से सम्बन्धित मामलों की जिम्मेदारी को सम्भालती है। एक व्यक्ति के रूप में अदालती मामलों में पड़ने पर आपको भी केस लड़ने की आवश्यकता हो सकती है। शादी, नौकरी या ब्रेकअप के बारे में निर्णय लेने के लिए आपको व्यक्तिगत डेटा या जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। किसी कारणवश पारिवारिक, सामाजिक या कानूनी सहायता नहीं मिलने पर किसी भी व्यक्ति को जटिल समस्याओं या मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में एक जासूसी एजेंसी और न्यूज़ एजेंसी सहित सामाजिक संगठनों की भी मदद की आवश्यकता होती है। जो एकमात्र कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (केसीआईबी) ही दे सकती है। क्योंकि यह एजेंसी 20 वर्षों से भी अधिक समय से व्यक्तिगत जांच और परामर्श सहित हर तरह की सहायता और सेवा एक जिम्मेदार संगठन की तरह दे रही है। संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड आपकी मदद करने की हमारी क्षमता के बारे में बताता तो है ही हमारे प्रति लोगों के विश्वास को प्रमाणित भी करता है। उन क्षेत्रों को देखें जहां केसीआईबी के संस्थापक प्रसेनजित सिंह "स्वामी जी" ने अपनी विशेष पहचान बना ली है। अपने इन्हीं विशेषताओं के कारण ये सहजता पूर्वक आपके समक्ष उत्पन्न सभी तरह की समस्याओं के जांच-पड़ताल करवा सकते हैं। :

पारिवारिक
सामाजिक 
आपराधिक 
व्यवसायिक 
आध्यात्मिक 

इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत यह संगठन देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए पीड़ित लोगों को जन-जागरूकता हेतु गठित सामाजिक संगठनों की सहायता भी दिलवाता है। साथ ही प्रेम सम्बन्धों में असफलता, पारिवारिक तनाव, सम्पत्ति विवाद, झूठे केस-मुकदमों और वास्तुदोष आदि मामलों में तांत्रिक अनुष्ठानों के द्वारा अलौकिक शक्तियों से कोई ऐसा चमत्कार या करिश्मा भी करवा देता है जिसकी आप कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। इस कम्पनी ने ऐसे कई काम करवायें हैं जिसके बारे में संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 
सम्बन्धित जानकारी के लिए आप मेरे फ़ेसबुक और ट्विटर हैंडल पर फॉलो करेें।

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इसके बावजूद हमारी कम्पनी ग्राहकों की सुरक्षा के लिए हरेक जांच कानूनी सीमाओं के भीतर करती है। उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता हमारी कम्पनी केसीआईबी का आधार है। 

क्या इस तरह की सर्विस देने वाली कम्पनी की जरूरत आपने कभी महसूस किया है? यदि हाँ तब किस स्थिति में? नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी या सन्देश लिख कर सबमिट कर दें। यदि अपना सन्देश गुप्त रखना चाहते हैं तो हमारे फेसबुक पेज़ के संलग्न लिंक http://kcib.in को फॉलो करें तथा इसी पेज़ पर दिये गये व्हाट्सएप नम्बर या मैसेंजर के लिंक के द्वारा सम्पर्क करें। आपका सन्देश मिलते ही हमारे प्रतिनिधि आपको स्वयं कॉल कर के आपकी जिज्ञासा का समाधान करेंगे।

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सोमवार, 8 नवंबर 2021

क्यों जरूरी है प्राइवेट इंवेस्टिगेशन

प्राइवेट इंवेस्टिगेशन के लिए विश्वसनीय कम्पनी है केसीआईबी

प्राइवेट इंवेस्टिगेशन एजेण्ट के द्वारा साक्ष्य संकलन 


देश के सभी मेट्रो शहरों में अपराध दर तेजी से बढ़ रहे हैं। महामारी के दौरान साइबर अपराधों के साथ व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट स्तर के अपराधों में जितने वृद्धि हो रहे हैं उतने ही व्यक्तिगत जांच की मांग भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में एक पेशेवर जासूसी एजेंसियों की जरूरत होती है। एक ग्राहक के रूप में, आपको समर्थन देने के लिए विशाल अनुभव वाले एक सक्षम एजेंसी की आवश्यकता होती है। क्योंकि ऐसे बहुत से मामलों में मैनें देखा है कि सरकारी सुरक्षा एजेंसियां भी अपहरण और गुमशुदगी के मामलों को सामान्य घटना बता कर रफा-दफा कर देती है। जबकि KCIB जैसी प्राइवेट डिटेक्टिव सर्विस प्रदान करने वाली कम्पनी के द्वारा अपहरणकर्ताओं का सुराग मिलते ही क्लोज़ कर दिये गये मामलों को भी दुबारा शुरू करना पड़ा है तथा अपहृत लोगों को मुक्त करवा कर दोषी लोगों को कोर्ट में हाजिर होने के लिए मजबूर किया गया है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सरकारी एजेंसियों से सम्बन्धित अधिकांश लोग भ्रष्टाचार में आकण्ठ डूबे हुए हैं और बैठे-बिठाये पूरा वेतन पाने के लिए निश्चिंत हैं, जबकि प्राइवेट एजेंसियों में काम करने वाले लोगों को पारिश्रमिक पाने के लिए अपना काम दिखाना पड़ता है। भले ही प्राइवेट एजेंसियों की आमदनी सुनिश्चित नहीं होती है लेकिन अपनी छवि चमकाने के लिए अपने काम के प्रति पूरी तरह इमानदार होते हैं। 


यही कारण है कि अधिकांश लोग सरकारी जांच एजेंसियों के चक्कर में पड़ने के बजाए बिहार की राजधानी पटना में स्थित केसीआईबी (KCIB) जैसे प्राइवेट एजेंसियों पर भरोसा करते हैं। 


केसीआईबी (KCIB) पटना में सबसे अच्छी प्राइवेट डिटेक्टिव सर्विस देने वाली कम्पनी है। अतः बेफिक्र होकर इस जांच एजेंसी पर भरोसा करें। यह क्राइम रिपोर्टर और खोज़ी संवाददाता सहित प्राइवेट डिटेक्टिव के रूप में लम्बे समय तक कार्य कर चुके अनुभवी समाजसेवी के द्वारा संचालित कम्पनी है। ये सभी तरह के खोज़ और अनुसन्धान सम्बन्धित जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्षों की विशेषज्ञता के बाद इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवम् मध्यम उद्यम मंत्रालय के द्वारा पंजीकृत संगठन केसीआईबी के प्रोपराइटर बन कर आपकी सेवा के लिए उपलब्ध हैं।


केसीआईबी सिर्फ़ न्यू्‍ज़ एजेंसी ही नहीं है बल्कि इंफार्मेशन सर्विस के लिए भी पंजीकृत होने के कारण आम लोगों के लिए एक अनुभवी, प्रतिष्ठित और शीर्ष जांच एजेंसी भी है।

केसीआईबी (KCIB) पटना की शीर्ष जांच एजेंसी क्यों है?


केसीआईबी अर्थात् कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक कम्पनी खोज़ी कार्यों में रुचि रखने वाले वैसे पत्रकारों की टीम है जो जाति, धर्म और लिंग आधारित कानूनोंं के कारण खुद को अकेले और उपेक्षित समझ रहे थे। जीवन के लिए जरूरी शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार जैसे हरेक मामलों में भेद-भाव आधारित सरकारी योजनाओं और कानून के कारण बढ़ते अन्याय के विरुद्ध पिछड़ते जा रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए कुछ अनोखा पहल करना चाहते थे। इसके लिए पत्रकारिता के व्यवसाय से जुुड़े प्रसेनजित सिंह नामक समाजसेवी ने अपने जैसे युवा पत्रकारों को संगठित कर के पहले तो Sawarn Fans Club नामक एक संगठन बना कर Socio-economic Reservations के लिए जागरुकता अभियान चलाया। लेकिन इनके साथ जुड़ने वाले लोगों ने गरीब और असहाय लोगोंं की परवाह किये बगैर Reservations के कानून का ही विरोध करते हुए राजनीति करने लगे तब समान विचारधारा वालेे समाजसेवियों और पत्रकारों के सहयोग से सभी जाति के शोषित और पीड़ित लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक एक स्वत्वाधिकारी कम्पनी बनाना पड़ा। ताकि न सिर्फ़ उच्छृङ्खल व्यवहार करनेेे वाले लोगों से इस संगठन को बचाया जा सकेे बल्कि इससे जुड़ने वाले लोगों को गोपनीयता और विश्वसनीयता की गारंटी भी दिया जा सके। परस्पर सहयोग की आकांक्षा से समान विचारधारा वाले लोगों की सहायता से इस कम्पनी ने एक के बाद एक कई पेचीदे मामलों का निपटारा किया। मगर इसके लिए होनेे वाले खर्चों के लिए कोई स्थाई स्त्रोत न होने के कारण इस कम्पनी को मुफ़्त में दी जाने वाली सभी सुविधाएं बन्द करनी पड़ी। मगर गरीब-गुरबों को जरूरी परामर्श आज भी निःशुल्क देती है। 

KCIB के संस्थापक और सदस्यगण

केसीआईबी में सफल जांच-पड़ताल करने के लिए ईमानदार मगर रोमाञ्चक और साहसपूर्ण कार्यों में रुचि रखने वाले देशभक्तों, लेखकों, पत्रकारों, सेवानिवृत्ति सैन्य अधिकारियों, समाजसेवियों तथा कलाकारों की एक टीम है। जो KCIB के लिए जरूरत पड़ने पर सलाहकार, प्रशिक्षक व खुफिया संवाददाता का काम तो करता ही है संदिग्ध आतंकियों व भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों-कर्मचारियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उनके विभागीय लोगों के द्वारा ही निगरानी भी करता और करवाता है। इस तरह भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था बनाये रखने के लिये इस कम्पनी की टीम सरकारी जाँच एजेंसियों की भी गुप्त रूप से मदद करती है। ऐसे कार्यों के लिए हमारे पास पूरे भारत में डिटेक्टिव सर्विस का एक सहज नेटवर्क हो इसके लिए प्रयत्नशील भी है। कानूनी पृष्ठभूमि वाले जो लोग हमें हर जांच के लिए रणनीति बनाने में मदद करते हैं उनमें कई लोग सामाजिक संगठनों के संचालक और समाचार पत्रों के सम्पादक भी हैं। इस कम्पनी के साथ मिल कर सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों के द्वारा डिटेक्टिव सर्विस देने वाली अन्य कम्पनी के सदस्यों तथा पत्रकारों को खोजी पत्रकारिता और उत्कृष्ट जासूसी सेवा देने के लिए सम्मानित भी करती है। 

मार्केट में पहले से स्थापित जांच एजेंसियों के मुकाबले हमारी कम्पनी अपने सीमित संसाधनों के बावज़ूद अपने जोखिम पर हर तरह की उत्कृष्ट सुविधाएं देने के लिए प्रयत्नशील है। भले ही यह अर्थ के अभाव में संघर्ष के दौर से गुजर रहा है लेकिन इसके द्वारा किये गये कार्यों के परिणाम देख कर लोगों का केसीआईबी नामक इस कम्पनी के प्रति विश्वास बढ़ता जा रहा है। हालांकि यह सच है कि निजी जांच के कार्यों का परिणाम उसके लागत के आधार पर अवश्य प्रभावित होता है। इसके कारण बेहतर परिणाम पाने के लिए सरकारी जाँच एजेंसियों की अपेक्षा नीजी एजेंसियों का शुल्क मँहगा पड़ता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि अपने कर्तव्यों के प्रति इमानदारी बरतने के बजाए अधिकांश मामलों में सरकारी अनुसन्धान अधिकारीयों के द्वारा फर्जी और मनगढ़ंत अनुसन्धान रिपोर्ट बना कर सच को झूठ तथा झूठ को सच बनाने का काम किया जाता है। जो घटना कभी हुआ ही नहीं उसे सच्ची घटना बताने के लिए और जो घटना वास्तव में घटित हुआ है उसे झूठा साबित करने के लिए फर्जी गवाहों के लिस्ट भी बना देते हैं। ऐसे में गुप्त रूप से प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों से भी जांच करवाने पर प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के फर्जी अनुसन्धान रिपोर्ट को झूठा साबित कर के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ भी कानूनी कारवाई करवाया जा सकता है। 

हमारी कम्पनी उपभोक्ताओं की समस्या का सन्तोषजनक समाधान प्रदान करने के लिए विभिन्न मामलों के खोज़ और अनुसन्धान करती है, मगर मुख्य रूप से जिस तरह के मामलों में हमारे एजेण्ट्स को विशेषज्ञता प्राप्त है उसकी सूची देख सकते हैं :
1. व्यक्तिगत जांच सेवाएं
2. कॉर्पोरेट जांच सेवाएं
3. कानूनी सेवाएं
4. समाचार सेवाएं

उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इन सेवाओं को विभिन्न सेक्टर्स में बांटा गया है :

मैट्रीमोनियल इन्वेस्टिगेशन

वर या वधु की तलाश

विवाह पूर्व जांच

विवाहोपरान्त जांच

दहेज़ उत्पीड़न की जांच

पारिवारिक उत्पीड़न की जाँच

संदिग्ध व्यक्तियों की जांच

फरार व्यक्ति की खोज़

गुमशुदा व्यक्ति की खोज़

डूबे हुए व्यक्ति की खोज़

खोए हुए वस्तुओं की खोज़

चोरी हुए वस्तुओं की खोज़

इम्प्लाइमेण्ट इन्वेस्टिगेशन :

रोजगार के पूर्व सत्यापन

रोजगार के बाद सत्यापन

किराएदार की जांच-पड़ताल

व्यक्ति के द्वारा धोखाधड़ी की जांच

कम्पनी के द्वारा धोखाधड़ी की जांच

इसके लिए आपको एक पेशेवर और अनुभवी निजी जासूसी एजेंसी की आवश्यकता होगी और वह कम्पनी है KCIB के नाम से प्रसिद्ध तथा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत कम्पनी Kaushik Consultancy Intelligence Bureau. 

यह कम्पनी आपके कानूनी मामलों के साक्ष्य प्राप्त करने के लिए हर तरह के जासूसी के काम करने में सक्षम तथा अनुभवी है। वर्तमान में कानूनी लड़ाई जीतने के लिये आपके पास ठोस सबूत होना जरूरी है। इसके बगैर लोग निर्दोष होते हुए भी अक्सर हार जाते हैं। जिसका कारण झूठे गवाह और झूठे सबूत भी होते हैं। ऐसे में यदि आपके लिये कोई गवाही देने के लिए तैयार न भी हो तो ठोस सबूत के आधार पर आप हारे हुए मुकदमों को भी जीत सकते हैं। यही कारण है कि सफल अदालती लड़ाई के लिए आपको ठोस सबूत चाहिए। ऐसे मामलों को देखने वाले KCIB के विशेषज्ञ जासूस पहले यह पता करते हैं कि अपने ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए उन्हें क्या करना है। उसके बाद जांच की रणनीति बनाते हैं। इस दौरान पूरी तरह से गोपनीयता बनायी रखी जाती है। क्योंकि अक्सर उपभोक्ताओं की लापरवाही के कारण ऐसे मामलों में किये जाने वाले जांच अभियान पूरा होने से पहले ही बन्द करना पड़ता है और जांच सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। अतः उपभोक्ताओं की लापरवाही के कारण जासूसी के कार्य बीच में ही छोड़ने पर भी उपभोक्ताओं को पूरा शुल्क देना होता है। अतः अनुसंधान के कार्य में गोपनीयता सबसे महत्वपूर्ण है। साक्ष्यों या सबूतों को प्राप्त करने के बाद भी KCIB के एजेण्ट ग्राहकों की पहचान को किसी तीसरे पक्ष के सामने उजागर नहीं करते हैं तथा आशा करते हैं कि उनके उपभोक्ता या ग्राहक भी कम्पनी के एजेण्टों की पहचान को गोपनीय रखें। क्योंकि ऐसे कार्यों के लिए गोपनीयता सबसे ज्यादा जरुरी है। एक बार हमारी कम्पनी को निजी जांच का काम सौंप देते हैं, तो हमारे ग्राहकों के लिए तनावमुक्त होकर आराम करने और त्वरित तथा सकारात्मक समाधान की प्रतीक्षा करने का समय आ जाता है। क्योंकि KCIB (कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो) की इंवेस्टिगेशन सम्बन्धित मामलों में सफलता दर अन्य जाँच एजेंसियों की अपेक्षा सबसे अधिक है।

आपको अपने व्यक्तिगत जांच सेवाओं के लिए KCIB (केसीआईबी) की तरह ही एक निजी जासूसी एजेंसी या इंवेस्टिगेटर की आवश्यकता है तो http://m.me/kcib.in या ईमेल ऐड्रेस kcintelligencebureau@blogger.com पर हमसे सम्पर्क करें। हमारी यह सूचना आपको कैसी लगी? कृृप्या इसके बारे में अपना विचार, परामर्श या टिप्पणी नीचे दिए गए कमेेंट बॉक्स में अवश्य लिखें। 

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एक निजी जासूसी एजेंसी आपके लिए व्यक्तिगत जांच मामलों की जिम्मेदारी को सम्भालती है। एक व्यक्ति के रूप में अदालती मामलों में पड़ने पर आपको भी केस लड़ने की आवश्यकता हो सकती है। शादी, नौकरी या ब्रेकअप के बारे में निर्णय लेने के लिए आपको व्यक्तिगत डेटा या जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। किसी कारणवश पारिवारिक, सामाजिक या कानूनी सहायता नहीं मिलने पर किसी भी व्यक्ति को जटिल समस्याओं या मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में एक जासूसी एजेंसी और न्यूज़ एजेंसी सहित सामाजिक संगठनों की भी मदद की आवश्यकता होती है। जो एकमात्र कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (केसीआईबी) ही दे सकती है। क्योंकि यह एजेंसी 20 वर्षों से भी अधिक समय से व्यक्तिगत जांच और परामर्श सहित हर तरह की सहायता और सेवा एक जिम्मेदार संगठन की तरह दे रही है। संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड आपकी मदद करने की हमारी क्षमता के बारे में बताता तो है ही हमारे प्रति लोगों के विश्वास को प्रमाणित भी करता है। उन क्षेत्रों को देखें जहां केसीआईबी के संस्थापक प्रसेनजित सिंह "स्वामी जी" ने अपनी विशेष पहचान बना ली है। अपने इन्हीं विशेषताओं के कारण ये सहजता पूर्वक आपके समक्ष उत्पन्न सभी तरह की समस्याओं के जांच-पड़ताल करवा सकते हैं। :

पारिवारिक
सामाजिक
आपराधिक
व्यवसायिक
आध्यात्मिक

इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत यह संगठन देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए पीड़ित लोगों को जन-जागरूकता हेतु गठित सामाजिक संगठनों की सहायता भी दिलवाता है। साथ ही तांत्रिक अनुष्ठानों के द्वारा अलौकिक शक्तियों से कोई ऐसा चमत्कार या करिश्मा भी करवा देता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इस कम्पनी ने ऐसे कई काम करवायें हैं जिसके बारे में संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
सम्बन्धित जानकारी के लिए आप मुझे फ़ेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करेें। इसके लिंक्स हैैं -
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🗺️ तकनीकी कारणों से हमारी वेबसाइट kcib.com काम नहीं कर रहा है। लेकिन इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। 

इसके बावजूद हमारी कम्पनी ग्राहकों की सुरक्षा के लिए हरेक जांच कानूनी सीमाओं के भीतर करती है। उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता हमारी कम्पनी केसीआईबी का आधार है। 

क्या इस तरह की सर्विस देने वाली कम्पनी की जरूरत आपने कभी महसूस किया है? यदि हाँ तब किस स्थिति में? नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी या सन्देश लिख कर सबमिट कर दें। यदि अपना सन्देश गुप्त रखना चाहते हैं तो हमारे फेसबुक पेज़ के संलग्न लिंक http://kcib.in को फॉलो करें तथा इसी पेज़ पर दिये गये व्हाट्सएप नम्बर या मैसेंजर के द्वारा सम्पर्क करें। आपका सन्देश मिलते ही हमारे प्रतिनिधि आपको स्वयं कॉल कर के आपकी जिज्ञासा का समाधान करेंगे।


Information services of KCIB

Personal Investigation Services/व्यक्तिगत जांच सेवाएं

Personal Investigation Service

व्यक्तिगत जांच सेवाएं :
भारत में तलाक के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सम्पत्ति विवाद, पारिवारिक उत्पीड़न, लापता लोगों की तलाश, ठगी, रंगदारी और पुलिसकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां गहन जांच सेवाओं की आवश्यकता होती है। ऐसे किसी भी मामले में व्यक्तिगत जांच सेवाएं या प्राइवेट डिटेक्टिव सर्विस प्राप्त करने के लिए आप "कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" पर भरोसा कर सकते हैं। क्योंकि इस कम्पनी के संचालक अपराध संवाददाता, प्रूफ़रीडर, डिप्टी एडीटर और क्रियेटिव राइटर सहित खोज़ी पत्रकारिता का कार्य करते हुए विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों में वार्ड से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक के दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान प्राइवेट डिटेक्टिव की तरह खोज़ी पत्रकारिता का काम करते हुए कई केस-मुकदमों का निपटारा करवाने के कारण इंफॉर्मेशन सर्विस के क्षेत्र में 20 वर्षों से भी अधिक समय तक काम करने के अनुभवी हैं। वर्ष 2019 में ISO 2001-2008 सर्टिफाइड आर्गनाइजेशन भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवम् मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज़ के लिए पंजीकृत होने के बाद भी इस कम्पनी के द्वारा एक से बढ़कर एक पेचीदे और अनसुलझे मामलों का निपटारा कर के कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो ने अपने क्लाइंट्स को सन्तुष्ट कर चुका है। अतः आप भी सभी प्रकार के व्यक्तिगत मामलों के लिए हमारी कम्पनी के द्वारा Personal Investigation Service अर्थात व्यक्तिगत खोजी सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।


विवाह पूर्व लड़का/लड़की का चरित्र परिक्षण

विवाह पूर्व जाँच व दूल्हा/दुल्हन का चरित्र परीक्षण :
आजकल दहेज़ प्रताड़ना के जूठे केस-मुकदमों के कारण सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी, आपराधिक छबि बनने के कारण हुई बदनामी, हत्या, आत्महत्या, गृहत्याग और सामाजिक विरक्ति की बढ़ती हुई घटनाओं को देखते हुए जिस परिवार के साथ वैवाहिक सम्बन्ध बनाने की सोच रहे हैं उसके पृष्ठभूमि की जांच करना नितान्त आवश्यक है। इसके बिना शादी करना आपकी भयंकर गलती साबित हो सकती है। इस मामले में लापरवाही बरतने के कारण घरेलू हिंसा और धोखाधड़ी के शिकार आप भी हो सकते हैं। आजकल फर्जी विवाह करवाने वाले गैङ्ग भी काफ़ी सक्रिय हैं। खासकर राजस्थान जैसे वैसे राज्यों में ऐसी घटनाएं ज्यादा हो रही हैं जहां लड़कियों की घटती संख्या के कारण विवाह करने के लिए लड़कियों की खरीद-फरोख्त की जाती है। राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के शहरी इलाकों में भी आपके या आपके रिश्तेदारों के पड़ोसी या मित्र बनकर आपको आसानी से शिकार बना सकते हैं। ..और ऐसा हो भी रहा है। ऐसे कार्यों के लिये लोग औनलाइन विवाह एजेंसियों और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का भी दुरुपयोग करते हैं। विवाह के लिए वर या वधु का झूठा बायोडाटा और झूठी पारिवारिक पृष्ठभूमि बता कर भी लोग अपने शिकार को फंसाते हैं।
ऐसे मामले पश्चिमी देशों के साथ-साथ भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अभी हाल ही में राजस्थान के गुलाबी शहर के नाम से प्रसिद्ध जयपुर सिटी में जब ऐसे गिरोह के पकड़े जाने का मामला अखबारों में आया तब ठगी करने वाली युवती की तस्वीर देख कर कई लोगों ने पुलिस के सामने आकर यह स्वीकार किया कि यह लड़की मुझसे भी शादी करने के बाद गहने-जेवर सहित फरार हो गई थी। ऐसी खबर "पत्रिका" नामक एक न्यूज़ लेटर पर भी आयी थी, जिसे आप संलग्न लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं।
✍️ https://m.patrika.com/jaipur-news/many-cases-of-fraud-through-marriage-in-the-city-2138647/


ऐसी खबरें अक्सर समाचारों में दिखाने के बाद भी लोगों में जागरूकता नहीं आई और फर्ज़ी शादी के बाद लुट-पाट की घटनायें लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विवाह पूर्व जांच करवाना नितान्त आवश्यक है। यदि आप भी ऐसे लोगों के चंगुल में फँसने से बचना चाहते हैं तो हमारी कम्पनी KCIB (कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो) के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर के द्वारा विवाह पूर्व वर/वधु के पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में गुप्त रूप से जांच करवा सकते हैं। क्योंकि विवाहोपरान्त दहेज़ प्रताड़ना के झूठे मुकदमों में फँसा कर ब्लैकमेल करने वाले लोगों, विवाहोपरान्त घर के गहने-जेवर लेकर फरार होने वाले लोगों और विवाहोपरान्त लूटपाट करने के लिए पारिवारिक सदस्यों की हत्या तक कर देने वाले लोगों के चंगुल में फँसने से बचने के लिए आप हमारी कम्पनी के द्वारा विवाह पूर्व जांच-पड़ताल करवा सकते हैं। क्योंकि ऐसे भावी समस्याओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है। इस तरह की जांच सेवाएं हमारी कम्पनी के अलावा अन्य कोई भी दूसरी कम्पनी नहीं देती है। हालांकि कुछ कम्पनियां दक्षिण भारतीय राज्यों सहित दिल्ली और कलकत्ता में सक्रिय जरूर हैं लेकिन उनकी सर्विस हमारी सर्विस की तरह कारगर और भरोसेमंद नहीं है। क्योंकि हमारे एजेंट्स भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के खिलाफ़ काम करने वाले वैसे सामाजिक संगठनों में भी शामिल हैं जो विभिन्न राज्यों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। अतः ऐसी जांच-पड़ताल करवाने के लिए आप निःसंकोच होकर हमारी सेवाएं ले सकते हैं।


विवाहोपरान्त संदिग्ध जीवनसाथी का चरित्र परीक्षण :
अगर आप अपनी पत्नी या अपने पति का किसी अन्य के साथ चलने वाले अफेयर की शंका का समाधान तलाश रहे हैं, यदि आप ऐसे नाजायज़ सम्बन्धों को साबित करने के लिए सबूत इकट्ठा करना चाहते हैं या अपनी पत्नी या अपने पति का ससुराल वालों के साथ मिलकर किसी तरह की साजिश रचने या धोखाधड़ी करने के कारण परेशान हैं, मगर उनके खिलाफ़ किसी तरह का ठोस सबूत नहीं है तो उसकी व्यवस्था करवाने के लिए हमारी कम्पनी "केसीआईबी" की सेवा ले सकते हैं। केसीआईबी का ही पूरा नाम है कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो।
आपकी केस लेते ही हमारी कम्पनी के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर गोपनीय तरीके से जांच शुरू कर देते हैं। वह इतनी गुप्त रहती है कि संदिग्ध लोगों को इसकी भनक तक नहीं लग पाती है। यदि आपका सन्देह सही साबित हुआ तो उसके साक्ष्य उपलब्ध करवायेंगे। लेकिन यदि झूठा और निराधार साबित हुआ तो आपके साथी या उसके परिवार को इसकी भनक तक नहीं लगने देंगे। इसके बाद आप चाहें तो निश्चिंत होकर अपने जीवनसाथी के साथ रह सकते हैं या उसकी पसन्द के अनुसार खुद को समायोजित कर सकते हैं। इस काम के लिए भी हमारी कम्पनी से जुड़े हुए समाजसेवियों की टीम काउंसिलिंग का काम करते हैं। क्योंकि हमारा उद्देश्य सिर्फ़ पैसे कमाना नहीं बल्कि पारिवारिक सम्बन्धों में आये दरार को पाट कर समाज में एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाना भी है। इसके कारण आप हम पर भरोसा कर सकते हैं।


वफादारी परीक्षण :
यदि आप यह जांचना चाहते हैं कि आपके पारिवारिक सदस्य, रिश्तेदार, मित्र, कर्मचारी, सहकर्मी या साथी आपके प्रति वफादार हैं या नहीं, तो हमारी कम्पनी केसीआईबी के एजेण्ट उसका पता लगाते हैं। जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, हमारे टीम के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर्स उन गोपनीय तरीकों का इस्तेमाल कर के आपके लिए इंवेस्टिगेशन का काम करते हैं। इसके लिए परीक्षणों की जो श्रृंखला बनाते हैं वह किसी फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं होता है, बल्कि कामयाब और सराहनीय होता है। कुछ केस ऐसे भी होते हैं जिसके पोजिटिव परिणाम आम लोगों के लिए आश्चर्यजनक रूप से अकल्पनीय होता है। डिटेक्टिव स्टोरी वाले फिल्मी कहानियों की अपेक्षा हमारे संघर्ष की कहानियां ज्यादा जीवन्त और रोमाञ्चक होती हैं क्योंकि हमारे एजेण्ट्स असली हीरो होते हैं। वे इस दुनियां के असली रंगमंच पर असली खतरों का सामना करते हुए संकटग्रस्त लोगों की सहायता करने का असली काम करते हैं। इसके बावजूद फिल्मी दुनियां में काम करने वाले नकली हीरो की अपेक्षा बहुत कम फी लेकर भी आपके लिए डिटेक्टिव का काम करते हैं। जो काम न तो आपके द्वारा सम्भव है और न ही पुलिस-प्रशासन के द्वारा। हम उन्हें तमाम खतरों के बावज़ूद सम्पन्न कर के न सिर्फ़ आपको रिपोर्ट देते हैं बल्कि सन्तुष्ट भी करते हैं। कभी-कभी आपके लिए सबूतों की व्यवस्था करने के लिए हमें गैरकानूनी तरीके का इस्तेमाल करने का खतरा भी उठाना पड़ता है, जिसके चंगुल में फँसने पर हमारी कम्पनी सहित हमारे एजेण्ट्स को भी भारी क्षति का सामना करना पड़ता है। यहाँ तक कि इंवेस्टिगेशन के दौरान पकड़े जाने पर हमारे एजेण्ट्स की जान जाने का भी खतरा बना होता है। इसके बावजूद हम अपने कस्टमर्स के लिए गोपनीय जानकारी उपलब्ध कराने का काम करते रहते हैं। अतः आप सुन्दर समाज बनाने का सपना लेकर काम करने वाली हमारी इस कम्पनी से निःसंकोच होकर अपनी समस्याएं बतायें। आपकी जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखने की गारंटी देते हैं।


गुमशुदा व फरार लोगों की ट्रैकिंग :
क्या आपको अपने स्कूल या कॉलेज के किसी सहपाठी प्रेमी, प्रेमिका, मित्र या दुश्मन के घर का पता ढूंढने की जरूरत है? धोखाधड़ी कर के फरार या अपराधिक घटना को अंजाम देकर फरार लोगों की तलाश करने की ज़रूरत है? क्या आप अपने घर से लापता हुए पारिवारिक सदस्य के बारे में पता करवाना चाहते हैं? क्या आपका अपने किसी परिवारिक रिश्तेदार से सम्पर्क टूट गया है और आप उन्हें ढूंढना चाहते हैं? क्या किसी वाहन दुर्घटना के कारण आपके किसी पारिवारिक सदस्य की मृत्यु होने या गम्भीर रूप से घायल होने के बाद विकलांगता की समस्या उत्पन्न होने के कारण दोषी व्यक्ति का पता लगवा कर मुआवजा वसुलना चाहते हैं? यदि आपका जवाब हाँ है तो उन्हें ढुंढने में हम आपकी मदद कर सकते हैं। अक्सर ऐसे मामलों में अपने स्तर से छानबीन करने पर भी जब कुछ पता नहीं चल पाता है तब लोग मानसिक अवसाद के शिकार होकर घुटते रहते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं। इनमें से कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो पुलिसकर्मियों के पास मदद करने की गुहार लेकर जाते हैं। क्योंकि अक्सर सीधे-साधे लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों के कारण अधिकांश लोगों में पुलिस का चेहरा रक्षक के बजाए भक्षक का बन चुका है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकारा है। इसके बावजूद पुलिसकर्मी अधिकांश मामलों में सिर्फ़ रिश्वत देने वालों का ही काम करते हैं। पुलिसकर्मियों के असहयोगी रवैये के कारण मजबूर होकर रिश्वत देने वाले लोग यदि सीधे-साधे होते हैं तो उनसे रुपये लेने के बाद भी ऐसे अधिकांश मामलों को मनगढ़ंत और झूठा जांच रिपोर्ट बनाकर रफा-दफा कर देते हैं। ऐसे में भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ दर्ज करवाये गये अधिकांश मामलों को भी रफा-दफा कर दिये जाने के कारण हरेक साल हजारों लोगों का शासन-प्रशासन से विश्वास उठता जा रहा है। ऐसी स्थिति के कारण निराश और हताश लोगों सहित संकटग्रस्त, जरुरतमंद और असहाय लोगों की सहायता करने के लिए कौशिक सोसाइटी के अध्यक्ष ने वर्ष 94-1995 में ही समाजसेवा का काम शुरू किया था। मगर ऐसे कार्य करने वाले सभी संगठनों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को पंजीकृत करने के लिये सरकारी दबाव के कारण वर्ष 2019 में "कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" के नाम से पंजीकृत किया गया था। कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक यह कम्पनी अपने सौर्ट नेम "केसीआईबी" के नाम से जाना जाता है। जो अपने कार्यों और उपलब्धियों के कारण प्राइवेट डिटेक्टिव की सर्विस देने वाली बिहार की सबसे विश्वसनीय कम्पनी बन गई है। अतः लापता और फरार लोगों की तलाश करवाने के लिए आप भी हमारी कम्पनी की सेवा ले सकते हैं।


निगरानी :
कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक हमारा संगठन मोबाइल सिक्युरिटी और वाचमैन के कार्यों सहित स्पाई कैमरों के द्वारा संदिग्ध लोगों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सेवा भी प्रदान करता है। ताकि किसी आपराधिक घटना के घटने पर दोषी लोगों की पहचान करने के लिए संदिग्ध लोगों से पूछताछ किया जा सके। व्यक्तिगत सिक्युरिटी चाहने वाले लोगों के भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों में संदिग्ध लोगों सहित संदिग्ध गतिविधियों पर भी नज़र रखने के लिए सिविल ड्रेस की तरह दिखने वाले खास ड्रेस कोड पहने केसीआईबी के एजेण्ट्स के द्वारा गुप्त रूप से निगरानी करने की सेवा सहित विडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सेवा भी प्रदान करते हैं। जरूरत पड़ने पर स्पाई कैमरों का भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे काम अन्य लोगों को जानकारी दिए बगैर गुप्त रूप से किये जाते हैं। ताकि संदेहास्पद लोगों को रंगे हाथ पकड़ा जा सके।


प्रेस कॉन्फ्रेंस और एडीटिंग सर्विस :
हमारी यह कम्पनी अपने क्लाइंट्स को सिर्फ़  डिटेक्टिव सर्विस ही नहीं देती है बल्कि भारत सरकार के द्वारा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए पंजीकृत होने के कारण न्यू्‍ज़ पेपर्स और न्यूज़ चैनल्स को स्पेशल न्यूज़, क्राइम रिपोर्ट्स और इंवेस्टिगेटेड न्यू्‍ज़ भी उपलब्ध कराता है। अपने क्लाइंट्स की बातों को मीडिया के माध्यम से सरकारी अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों और आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराता है। विभिन्न हिन्दीभाषी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के लिए अपनी एजेंसी से जुड़े हुए अनुभवी पत्रकारों को प्रूफ़रीडर और एडिटर का काम करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर उपलब्ध करवाने के साथ ट्रेनी संवाददाताओं को प्रशिक्षित करने का काम भी करता है। इन विशेेषताओं के कारण हमारी कम्पनी के द्वारा डिटेक्टिव सर्विस लेने वाले लोग हम पर ज्यादा भरोसा करते हैं। अतः अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हमसे निःसंकोच होकर मिलें।

 

पब्लिक कंसल्टेंसी कैम्पेन :
विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संंगठनो सहित समाचार पत्रों, पत्रिकाओं तथा TTSL में काम कर चुके अनुभवी पत्रकार द्वारा संचालित तथा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत कम्पनी KCIB हर तरह के उपभोक्ताओं के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर पब्लिक कंसल्टेंसी कैैम्पन का आयोजन करवाती है। इसके अलावा देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए जन-जागरूकता अभियान भी चलाता है।

 

हस्तलेखन सत्यापन :
इस बात का प्रमाण चाहिए कि लिखावट मेल खाती है? धोखेबाज़ और घोटालेबाज लोग हर जगह हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कागजात की लिखावट आरोपित व्यक्ति का है या नहीं? इसकाा परीक्षण करने की सुविधा भी निकट भविष्य में दी जाएगी। हमारी लिखावट सत्यापन सेवा आपको प्रामाणिकता का विश्वास दिलाएगा।

हमारी अन्य सेवायें हैं :

क्रियेटिव राइटिंग :

प्रूफ़रीडिंग :

एडिटिंग :

ट्राँसलेटर/अनुवादक :

सर्वेक्षण :

सेल्स एण्ड मार्केटिंग :

"कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" जिसे लोग इसके संक्षिप्त नाम KCIB (केसीआईबी) के नाम से जानते हैं, जरूरतमंद लोगों सहित प्रकाशन के कार्य से जुड़े हुए उद्यमियों को भी उनकी व्यक्तिगत जाँच-पड़ताल की ज़रूरतों में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नि:शुल्क परामर्श के लिये सम्पर्क करें :
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सोमवार, 6 सितंबर 2021

ननप्रौफिट चैरिटेबल ट्रस्ट कैसे बनायें



धर्मार्थ या धार्मिक, आतिथ्य और पुनर्वास संस्थानों के लिए ट्रस्ट डीड 
सम्पादित किया गया:  
सितम्बर ०६, २०२१ - ०३:०० अपराह्न

08 मिनट पढ़ें

ट्रस्ट डीड निष्पादित करके धर्मार्थ या धार्मिक, आतिथ्य और पुनर्वास या आतिथ्य और पुनर्वास संस्थानों का गठन किया जा सकता है। ट्रस्ट डीड को सेटलर और ट्रस्टी के बीच निष्पादित किया जाता है। एक सेटलर वह व्यक्ति होता है जो कुछ धर्मार्थ या धार्मिक या आतिथ्य और पुनर्वास उद्देश्यों के लिए ट्रस्ट बनाता है। जबकि ट्रस्टी वे लोग होते हैं जो ट्रस्ट को मैनेज करते हैं। सेटलर वह होता है जो आम तौर पर वैसे ट्रस्टियों को नियुक्त करता है जो ट्रस्ट के नियम के अनुसार प्रभावी ढंग से चल सकते हैं और ईमानदारी पूर्वक काम कर सकते हैं।

"ट्रस्ट डीड तैयार करवाने या नमूना प्रारूप प्राप्त करने के लिए सम्पर्क करें"
 
ट्रस्ट डीड के तहत, सेटलर पहचान योग्य जायज सम्पत्ति को ट्रस्टियों को हस्तान्तरित करता है और ट्रस्टियों के लिए ट्रस्ट डीड में निर्दिष्ट नियमों और शर्तों के अनुसार ट्रस्ट को उसके उद्देश्यों के लिए काम करने और प्रबन्धित करना अनिवार्य बनाता है।

ट्रस्ट डीड के प्रमुख तत्व देखें 
ऑब्जेक्टिव : जिस ऑब्जेक्ट के लिए ट्रस्ट बनाया गया है वह इस क्लॉज में निर्दिष्ट है। यह बहुत महत्वपूर्ण खण्ड है। क्योंकि सभी गतिविधियाँ इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही की जाती हैं।
फण्ड की स्वीकृति : ट्रस्ट किसी भी व्यक्ति, सरकार या किसी अन्य धर्मार्थ संस्थानों से दान, अनुदान, सदस्यता, सहायता या योगदान को नकद या अचल संपत्ति सहित किसी भी तरह से बिना किसी शुल्क या टैक्स दिए स्वीकार कर सकता है। लेकिन वह इस शर्त के साथ प्राप्त किसी भी ऐसे फण्ड को स्वीकार नहीं करेगा जो ट्रस्ट के उद्देश्यों से असंगत है।
निवेश : न्यासियों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे न्यास की निधियों का कुशल तरीके से प्रबन्धन करें। वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए निकट भविष्य में जिन निधियों की आवश्यकता नहीं है, उन्हें प्रतिभूतियों, बैंकों और अन्य निवेशों में उसी तरह निवेश किया जाना चाहिए जैसे एक विवेकपूर्ण व्यक्ति करेगा।
न्यासियों की शक्ति : ट्रस्टी ऐसा कोई कार्य नहीं कर सकते जो ट्रस्ट डीड में उल्लिखित उनकी शक्तियों से परे हो। ट्रस्टियों को आम तौर पर ट्रस्ट के समग्र आचरण और प्रबन्धन के लिए जो शक्तियां दी जाती हैं वे निम्नलिखित हैं :
कर्मचारियों की नियुक्ति, 
ट्रस्ट सम्पत्तियों को बेचना, बदलना, विवादित मामलों को निपटाना या अलग करना
ट्रस्ट द्वारा संचालित किसी कम्पनी या ट्रस्ट के नाम से और ट्रस्ट की ओर से ही बैंक खाते खोलें। 
ट्रस्ट की ओर से मुकदमा दायर करें। 
किसी भी उपहार, दान या योगदान को स्वीकार करें। 
ट्रस्ट में धन का निवेश करें। 
ट्रस्ट आदि के प्रबन्धन देखें।

लेखा और लेखा परीक्षा :  ट्रस्टियों को ट्रस्ट की सभी संपत्तियों, देनदारियों, आय और व्यय के खातों की उचित पुस्तकों को बनाए रखने की आवश्यकता होती है और चार्टर्ड एकाउण्टेंट द्वारा खातों का लेखा-जोखा भी रखने का व्यवस्था किया जाता है।
डब्ल्यू एण्डिङ्ग अप :  कम्पनी के समापन की स्थिति में, ट्रस्ट की सम्पत्ति ट्रस्टियों को हस्तांतरित नहीं की जाएगी। उन्हें किसी अन्य समान ट्रस्ट या संगठन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जिनके उद्देश्य इस ट्रस्ट के समान हैं, जो कि चैरिटी कमिश्नर/कोर्ट/किसी अन्य कानून की अनुमति के साथ लागू हो सकते हैं।

शनिवार, 28 अगस्त 2021

आर्यों का देश है अजर्बैज़ान

आर्यों का देश अजर्बैज़ान

अजर्बैज़ान का बाकु है कश्यप ऋषि के प्रपौत्र और सूर्यवंशी राजा इक्ष्वाकु की जन्म भूमि

हरिवंश पुराण में वैशम्पायन ऋषि के द्वारा वर्णित एक कथा और महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत नामक ग्रन्थ में वर्णित प्रसंग के अनुसार सूर्यवंशी राजा इक्ष्वाकु के वंश में उत्पन्न एक दुराचारी राजा ने अपने छोटे भाई हर्यश्व को अपने राज्य (बाकु) से निकाल दिया था। तब वे वनों में भटकते हुए पूरब के देश की ओर चले गए थे। वहीं उनकी भेंट दानव राज मधु की बेटी मधुमती से हुआ। जो इनके रूप और पौरुष से आकर्षित होकर विवाह करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन राज्यहीन हो चुके हर्यश्व ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। तब मधुमती ने यह कह कर स्त्री अपने जीवन में एक ही पुरुष की कामना करती है, मैंने आपको पति मान लिया है तो अब आपके अलावा किसी अन्य पुरुष की कल्पना भी नहीं कर सकती। ऐसे में यदि आप मुझे ठुकरा देंगे तो मैं आजीवन कुवांरी रह लुंगी। इस पर हर्यश्व ने राजकुमारी मधुमती के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिये और उनके साथ वन में ही रहने लगे। कई दिनों से वन में रहने के बाद राजकुमारी ने अपने पिता का आशीर्वाद लेने की इच्छा से उन्हें लेकर अपने जन्मभूमि आभीर देश में चली गई तथा अपने पिता को अपने विवाह से लेकर राजकुंवर हर्यश्व के कुल और वंश के बारे में बताते हुए पूरी आपबीती सुना दी। तब दयालु स्वभाव के दानव राज मधु ने अपने राज्य का आधा भाग जो गिरनार और रैवतक पर्वत से घिरा हुआ था अपनी बेटी को सौंप कर हर्यश्व को वहाँ के राजा बना दिए और आधा भाग अपने बेटे लवण को देकर तपोवन में चले गए। राजा हर्यश्व ने अपने राज्य को नये निर्माण से इतना सजाया की वह अपने सुन्दरता के कारण दूर-दूर तक सुराष्ट्र के नाम से जाना जाने लगा। जो कालान्तर में सौराष्ट्र के नाम से भी विख्यात हुआ। इसी सौराष्ट्र के निवासी पूरी दुनियां की जानकारी रखने वाले कौशिक गोत्रीय ब्राह्मणों के साथ व्यापार करने के लिए इक्ष्वाकु और हर्यश्व नामक अपनी ने पूर्वजों की जन्मभूमि पर जब भी आते थे इसी स्थान पर विश्राम करते तथा अपनी शान्ति और सुरक्षा के लिए सभी देवी-देवताओं में श्रेष्ठ माने जाने वाले कौशिक विश्वामित्र भगवान के पुत्र अग्निदेव के प्रतीक अग्नि कुण्ड में हवन (होम) कर के नटराज शिव और विघ्नविनाशक गणेश-कार्तिकेय की पूजा करते थे। सौराष्ट्रियन व्यापारियों के द्वारा निर्मित बाकु के इस आरामगाह में आगंतुुक लोगों के विश्राम के लिए हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध थी। फायर टेम्पल नामक बाकु के इस मन्दिर में नटराज शिव और गणेश भगवान की प्रतिमा सहित भोजन और विश्राम करने के जगह को भी दिखाया गया है। इसके बावजूद वह मन्दिर वहां के स्थानीय लोगों में पौराणिक विश्राम गृह के बजाए Ateshgah temple के नाम से ही प्रसिद्ध है। यह पुरातात्विक स्थान न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है बल्कि दो राष्ट्रों के संस्कृतियों का संगम स्थल और सामाजिक सौहार्द का भी प्रमाण है। यकीनन यह इस्लाम और क्रिश्चियनिटी धर्म के अभ्युदय के पूर्व की संस्कृतियों के लोगों के अनुपम प्रेम और विश्वास का ऐतिहासिक स्मारक ही है। देखें आर्यों के देश अजर्बैज़ान में स्थित बाकु नामक प्रान्त और बाकु में स्थित सौराष्ट्रियन लोगो के द्वारा निर्मित आरामगाह और होम करने के लिए निर्मित अग्निदेव के मन्दिर की तस्वीरें :
नटराज शिव की आकृतियुक्त दीपक


विघ्न विनाशक गणेश की मूर्ति
अग्नि का प्राकृतिक कुण्ड
 
कुम्भी बैस कहलाने वाले ब्राह्मणशाही कौशिकों का पारम्परिक भित्तिचित्र
 
अग्नि मन्दिर के प्रवेश द्वार पर पर्शियन लिपि में लिखा हुआ शिलालेख














गुगल मैप पर अजर्बैज़ान में स्थित पुरातात्विक महत्व के इस जगह को देखने के लिए संलग्न लिंक पर क्लिक करें : 
https://maps.app.goo.gl/gdz8s8cxaFmY627V6 
Check out this review of Ateshgah temple on Google Map
https://goo.gl/maps/FQAqZTYHM7sFLjzK9

शनिवार, 21 अगस्त 2021

कविता : सवर्ण अछूत

हमको देखो हम सवर्ण हैं 
भारत माँ के पूत हैं,
लेकिन दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं।

सारे नियम सभी कानूनों
ने हमको ही मारा है,
भारत का निर्माता देखो,
अपने घर में हारा है।
नहीं हमारे लिए नौकरी,
नहीं सीट विद्यालय में।
ना अपनी कोई सुनवाई,
संसद या न्यायालय में।
हम भविष्य थे भारत माँ के,
आज बने हम भूत हैं।
बेहद दुःख है अब भारत में
हम सब 'नए अछूत' हैं।

दलित महज़ आरोप लगा दे,
हमें जेल में जाना है।
हम-निर्दोष! नहीं हैं दोषी,
यह सबूत भी लाना है।
हम जिनको सत्ता में लाये,
छुरा उन्हीं ने भोंका है।
काले कानूनों की भट्ठी,
में हम सब को झोंका है।
किनको चुनें, किन्हें हरायें?
सारे पाप के दूत हैं।
बेहद दुःख है अब भारत में
हम सब 'नए अछूत' हैं।

प्राण त्यागते हैं सीमा पर,
लड़ कर मरते हम ही हैं।
अपनी मेधा से भारत की,
सेवा करते हम ही हैं।
हर सवर्ण इस भारत माँ का,
एक अनमोल नगीना है।
इसके हर बच्चे-बच्चे का,
छप्पन इंची सीना है।
भस्म हमारी शिवशंकर से,
लिपटी हुई भभूत है।
लेकिन दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं।

देकर खून पसीना अपना,
इस गुलशन को सींचा है।
डूबा देश रसातल में जब,
हमने बाहर खींचा है।
हमने ही भारत भूमि में,
धर्म-ध्वजा लहराई है।
सोच हमारी नभ को चूमे
बातों में गहराई है।
हम हैं त्यागी, हम बैरागी,
हम ही तो अवधूत हैं।
बेहद दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' है। 

- कविता शीर्षक #सवर्ण_अछूत नामक यह रचना उदासी सन्त, कवि और समाजसेवी प्रसेनजित सिंह कौशिक उर्फ़ स्वामी सत्यानन्द के द्वारा स्वरचित मौलिक रचना है तथा उनकी कविता संग्रह "मेरा मन यायावर" से उद्धृत है।  राष्ट्रीय एकता तथा सामाजिक समरसता में बाधक बन रहे जाति, धर्म और लिंग आधारित आरक्षण के बजाए आर्थिक और सामाजिक स्थिति के आधार पर आरक्षण के कानून बनवाने के लिए इच्छुक लोगों से आग्रह है कि जात-पात आधारित वर्तमान क़ानूनों के कारण होने वाली आपबीती या अपने आस-पास के लोगों के साथ हो रहे परेशानियों को गद्य और पद्य में लिख कर या वीडियो रिकार्डिंग कर के मुझे जरूर भेजें। ताकि उन्हें इस ब्लॉग या हमारे संगठन की स्मारिका में जन जागरुकता हेतु सम्मिलित कर आपके सन्देशों को प्रचारित-प्रसारित किया जा सके। कृप्या यह सन्देश सवर्ण समाज के अपने मित्रों को जरूर फारवर्ड या अग्रसारित जरूर करें।

रविवार, 6 जून 2021

सनातन धर्म की रक्षा के लिए अम्बेर रियासत का योगदान

24 नवंबर 1675 की तारीख गवाह बनी थी कुम्भी बैस वंशीय एक सिख सरदार के सरदार बने रहने की। दोपहर का समय और जगह चाँदनी चौक दिल्ली में लाल किले के सामने जब मुगलिया सल्तनत के सबसे नीच शासक की क्रूरता देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था, तब भी उस सनकी शासक के डर से लोग चुपचाप फैसले का इंतजार कर रहे थे। वह शासक मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा की छल पूर्वक हत्या करवाने वाला वह कायर था, जिसने सल्तनत के लिए अपने भाईयों की हत्या कर के अपने पिता और पुत्र तक को कारागार में डाल दिया था। वह नराधम इस्लाम के विस्तार के नाम पर अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए बाधक बन रहे सिखों के गुरू श्री तेग बहादुर सिंह जी के खिलाफ़ जो फैसला सुनाने वाला था, उसे जानने के लिए लोगों का जमघट काज़ी के उस मंच की ओर लगा हुआ था, जहाँ तेग बहादुर जी का फैसला होने वाला था। सबकी साँसे उस परिणाम को जानने के लिए अटकी हुई थी जिसके मुताबिक अगर गुरु तेग बहादुर जी इस्लाम कबूल कर लेते तब बिना किसी खून-खराबे के सभी सिखों को मुस्लिम बनना पड़ता। औरंगजेब के लिए भी उस दिन का फैसला इज्ज़त का सवाल था। क्या मुसलमान और क्या सिख? तेग बहादुर सिंह जी की पत्नी गुजरी मइया और उनके पोतों को काज़ी के हवाले करने वाले धूर्त ब्राह्मणों के साथ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी राजपूतों पर छोड़ कर अपनी रोजी-रोटी में लिप्त निःशेष हिन्दुओं की भी सांसे उस दिन का फैसला सुनने के लिए अटकी हुई थी। अपने भाईयों के खून से हाथ धोने वाले बादशाह को देख कर भी सिखों के गुरु तेग बहादुर जी अपने आसन से नहीं उठे। सिखों के कारण मुसलमानों को अपना धर्म खतरे में दिख रहा था। छल, छद्म और क्रूरता के बल पर अपने धर्म के अनुयायियों का विस्तार करने वाले इस्लामिक हुकूमत का अस्तित्व खतरे में था तो दूसरी तरफ एक धर्म का सब कुछ दाव पर लगा हुआ था। ना कहते ही तेग बहादुर जी की गर्दन धर से अलग कर देने के लिए तैयार जल्लाद, काज़ी और औरंगजेब सहित हिन्दुस्तान को हिन्दुत्व विहीन कर देने के लिए तैयार नर पिशाचों से घिरे होने के बाद भी तेग बहादुर जी बेखौफ़ होकर आने वाले फैसले का इंतजार कर रहे थे। तय समय पर अदालती कारवाई शुरू हुआ और काज़ी ने सवाल किया-"तुम्हें हमारी शर्तें मंजूर हैं या नहीं? यदि तुम इस्लाम कबूल कर लोगे तब हमारी तरह ही तुम भी अपनी जमात के अगुआ बने रहोगे। तुम्हारी शान में कोई कमी नहीं आएगी। लेकिन अपनी जिद पर अड़े रहोगे तब काफ़िरों की तरह ही मारे जाओगे। तुम्हारे कारण तुम्हारा साथ देने वाले लोगों का भी यही अंजाम होगा। लेकिन यदि तुम इस्लाम को कबूल कर लोगे तब तुम्हारे साथ आने वाले लोग भी अपनी बर्बादी से बच जायेंगे। इसके लिए तुम्हें सल्तनत में एक ऊँचे ओहदे के साथ इनाम-इकराम भी दिलवा दूँगा। इसलिए सोच-समझकर जवाब दो। तुम्हें शाही जिन्दगी चाहिए या मौत? अपना जवाब हाँ या नहीं में देना। तुम्हें इस्लाम कबूल है या नहीं?" उस दिन की अदालती कारवाई का निर्णय तेग बहादुर जी के हाँ या ना पर निर्भर था। काज़ी सहित उस जगह पर स्थित कई शाही दरबारियों ने भी उन्हें हाँ कह देने के लिए मनाना चाहा था, मगर अम्बेर (आमेर) के राजा राम सिंह जिन्हें औरंगजेब के कारण ही अपने ज्येष्ठ पुत्र सरदार किशन सिंह बहादुर जी को बागी घोषित कर के सारे सम्बन्ध त्यागने के बाद भी अपनी रियासत से हाथ धोना पड़ा था, उनकी पकड़ तलवार की मूठ पर कसती जा रही थी। लेकिन परिस्थिति के कारण मजबूर होकर उन्हें भी काज़ी के फैसले का इंतजार करना पड़ा था। आखिर तेगबहादुर जी के इस्लाम स्वीकार करने से इंकार करते ही काज़ी ने उनका सिर कलम करने का फैसला लेते हुए उस पर तुरन्त अमल करने का आदेश दे दिया था। लेकिन तेग बहादुर सिंह जी परम प्रकाश के ध्यान में लीन होकर अपने धर्म पर अडिग रहे। आदेश सुनते ही आये दिन लोगों की कत्ल करने वाला जल्लाद भी अपनी मौत से बेपरवाह तेगबहादुर सिंह को बेखौफ़ ईश्वर के ध्यान में लीन देख कर तलवार उठाते समय काँप गया था। तेग बहादुर जी का सिर कटते ही अम्बेर के राजा राम सिंह! मुगलिया सल्तनत के साथ किये गये अपने पूर्वज़ों की सन्धि को तोड़ने का निर्णय ले चुके थे। ऐसे भी इसके लिए उन्हें औरंगजेब ने ही मजबूर किया था। पहले तो उसने सल्तनत के बादशाह शाहजहाँ के आदेश से दारा शूकोह का साथ देने के कारण उनके निर्दोष बेटे किशन सिंह जी को बागी घोषित कर उनकी जागीर और मालो-मकान सहित अम्बेर रियासत पर भी कब्जा कर के उनके पूर्वज़ों का महल खाली करने के लिए मजबूर कर दिया था। फिर उनके पिता मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा को ही अपने पौत्र किशन सिंह जी और दारा शूकोह को गिरफ्तार करने का आदेश देकर चारों दिशाओं में दौड़ा-दौड़ा कर परेशान किया था। फिर औरंगजेब ने ही दक्षिण अभियान में राजा जय सिंह जी के साथ भेजे हुए अपने आदमी के द्वारा उनके रात्रि भोजन में जहर डलवा कर छल पूर्वक हत्या करवाया था। उस घटना के पहले शाहजहाँ ने जब अपने पिता के खिलाफ़ बगावत किया था तब बादशाह जहाँगीर के आदेश पर मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा ने खुर्रम (शाहजहाँ) को गिरफ्तार कर के दरबार में पेश किया था। राजा जय सिंह बाबा के साथ हुए जंग में पराजित होकर गिरफ्तार किए जाने से हुई शर्मिन्दगी का बदला लेने के लिए शहजादा खुर्रम ने सल्तनत की बादशाहत हाथ में आते ही मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा के हाथों हुई हार का बदला लेने के लिए साजिशें रचने लगा था। मिर्ज़ा राजा जय सिंह जी के विरोध के बावजूद दुल्हे राय के नाम से मशहूर उनके पूर्वज़ राजा तेजकरण की याद में उनके पूर्वज़ों के द्वारा बनवाये गये तेजू महल पर जबरन कब्जा कर के शाहजहाँ नामक नामुराद ने उसमें अपनी बेगम का कब्रगाह बना दिया था।
सल्तनत के लिए हुए शहजादों की जंग में कई जंगों के अनुभवी और विजेता रह चुके उनके पिता राजा जय सिंह जी का ओहदा कम कर के उम्र में काफ़ी छोटे और अनुभवहीन जसवंत सिंह, सुलेमान शूकोह और दारा शूकोह जैसे लोगों के अधीन कर दिया था। सत्ता के लिए शाहजहाँ के शहजादों की जंग में अनुभवहीन और अहंकारी लोगों के अधीन रह कर शुजा, मुराद और औरंगजेब के विरुद्ध चलाये गये युद्ध अभियान में गलत नीतियों के कारण हुए हार का दोषारोपण भी उनके पिता मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा पर ही थोप कर उनको लगातार अपमानित करने का काम भी मुगलिया सल्तनत के लोगों ने ही किया था। पहले शाहजहाँ, दारा शूकोह और सुलेमान शुकोह और फिर औरंगजेब के द्वारा भी अपने पिता के अपमान की घटनाओं को याद करते हुए राजा राम सिंह भी अपने बेटे किशन सिंह की राह पर ही चलने का मन बना लिये थे। कहते हैं कि सिखों के गुरु तेग बहादुर सिंह की शहीदी की खबर सुनते ही औरंगजेब खुद चल कर उस जगह पर गया था, जहाँ गुरु तेग बहादुर जी का शीष कट कर गिरा हुआ था। जिस जगह पर तेग बहादुर जी का शीष कट कर गिरा था वहाँ पर आज शीषगंज गुरुद्वारा बना दिया गया है। जिस मस्जिद से कुरान की आयतें पढ़ कर यातना देने का फतवा जारी किया जाता था, वह मस्जिद भी उसी जगह पर है। दिल्ली के चाँदनी चौक में स्थित गुरुद्वारा शीष गंज कभी पूरे इस्लाम के लिये प्रतिष्ठा का विषय था। आखिरकार जब इस्लाम कबूल करवाने की जिद पर इसलाम ना कबूलने का हौसला अडिग रहा तब जल्लाद की तलवार चली थी और प्रकाश अपने स्त्रोत में समा कर लीन हो गया था। यह घटना भारत के इतिहास का एक ऐसा मोड़ था जिसने पूरे हिंदुस्तान का भविष्य बदलने से रोक दिया था। सिखों के गुरु तेग बहादुर जी जिन्होंने हिन्द की चादर बनकर तिलक और जनेऊ की रक्षा की थी उनके पुत्र और सिखों के अन्तिम गुरु गोविन्द सिंह जी के कहने पर सिखों ने अन्ततः जनेऊ को उतार फेंका तेग बहादुर सिंह तक को मूगलों के खिलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित करने वाले किशन सिंह बहादुर को इतिहासकारों ने भुला दिया है। मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा के पौत्र और राम सिंह के ज्येष्ठ पुत्र किशन सिंह धोला रियासत के जागिरदार और आमेर रियासत के उत्तराधिकारी तो थे ही दारा शूकोह के मित्र और मुख्य सेवक भी थे। अपने अदम्य साहस से औरंगजेब के खिलाफ़ धर्म युद्ध छेड़ने वाले वे पहले योद्धा थे, जिन्होंने धरमत की लड़ाई में औरंगजेब से पराजित होकर युद्ध क्षेत्र से भागे हुए दारा शूकोह का साथ देने के लिए शाहजहाँ के द्वारा मदद माँगने और अपने पिता के द्वारा शाहजहाँ की मदद करने के आदेश का पालन करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। आज तेग बहादुर सिंह जी और उनके पुत्र गुरु गोविन्द सिंह जी के वंश में कोई नहीं बचा है, जबकि दरगाही बाबा और लङ्गरा बाबा के नाम से प्रसिद्ध सरदार किशन सिंह बहादुर जी के वंशज़ अपनी जनेऊ और अपने परम्परिक रीति-रिवाजों के साथ आज भी आबाद हैं। धर्म रक्षार्थ जिस राजकुमार ने अपना सर्वस्व त्याग दिया, उन्हें अपनी जनेऊ पर इतराने वाले हिन्दुओं ने भी भुला दिया है। इनकी समाधि पटना में गङ्गा नदी के किनारे गाय घाट में स्थित श्री चन्द्र उदासी मठ के मुख्य द्वार के सामने आज भी स्थित है और स्थानीय लोगों में दरगाही बाबा की समाधि के नाम से प्रसिद्ध है। शाहजहाँ के दरबार में अपने पिता राजा राम सिंह के वकील के रूप में नियुक्त किये जाने के कारण ये आम लोगों में दरगाही बाबा के नाम से तो अपने साथी हिन्दुओं के लिए लङ्गर लगाने के कारण लङ्गरा बाबा के नाम से भी पहचाने जाते हैं। मैं इन्हीं का वंशज़ हूँ तथा आज भी हमारे वंशजों का घराना! लङ्गरा बाबा किशन सिंह का घराना कहलाता है। दादर के सूबेदार मलिक जीवन की हवेली के पास दारा शूकोह के साथ गिरफ्तार हुए किशन सिंह जी को मलिक जीवन और मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा की मदद से मुक्त कर के अपने परिवार के साथ भगा दिया गया था। 1659 ईस्वी में नांदेड़ से होते हुए पटना की ओर आते समय बाबा किशन सिंह जी के ज्येष्ठ पुत्र भेदिया के रूप में घुम रहे औरंगजेब के गुप्तचरों से बचने-बचाने के प्रयास में अपनी टोली से भटक कर नांदेड़ में स्थित अपने पूर्वज़ महाराजा भगवन्त दास के छोटे भाई भगवान दास की हवेली में शरण लिये थे। संयोग से वहीं पर गुरु गोविन्द सिंह से मुलाकात होने के बाद पटना में रह रहे अपने परिजनों के बारे में जानकारी मिल पायी थी। उस दौरान मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा और राजा राम सिंह जी के द्वारा भी गुप्त रूप से इन लोगों को आर्थिक सहायता दी जाती थी। जिसकी सूचना मिलने पर औरंगजेब ने उन दोनों के पीछे अपना गुप्तचर लगा दिया था। उन गुप्तचरों में एक ब्राह्मण जाति का वह कर्मचारी भी था जो मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा का भोजन बनाने और पड़ोसने की जिम्मेवारी सम्भालता था। उसी ने मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में रात्रि भोजन के समय मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा को विषयुक्त भोजन परोस दिया था। जिसे खाते ही उनकी तबीयत खराब हुई और भोर होते-होते मौत के आगोश में चले गए थे। जात-पात और ऊँच-नीच के नाम पर हिन्दुओं की धार्मिक एकता को कमजोर करने वालों को आज भी होश नहीं आया है। 24 नवम्बर का यह इतिहास सभी को पता होना चाहिए। इतिहास के वो पृष्ठ जो पढ़ाए नहीं गये वाहे गुरु जी दी खालसा वाहे गुरूजी दी फ़तेह 🙏

मंगलवार, 1 जून 2021

IMA द्वारा स्वामी रामदेव पर लगाया गया देशद्रोह का आरोप कितना सच

क्या पतञ्जलि के संस्थापक और विश्वविख्यात योगाचार्य स्वामी रामदेव ने एलोपैथिक डॉक्टरों और IMA के अध्यक्ष को बन्दूक की नोक पर लूटा है? या आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण और स्वामी रामदेव ने डॉक्टरों की जेबें काटी है?
क्या इन दोनों आचार्यों द्वारा स्थापित संगठन पतञ्जली ने भयंकर दुष्प्रभाव उत्पन्न करने वाले रसायन से युक्त उत्पाद बेच कर उपभोक्ताओं को संकट में डाला है? या लेड युक्त मैगी की तरह नूडल्स, चटनी, समोसा, ताबीज, गण्डा, भभूत या झाड़-फूक के नाम पर लोगों से पैसे ठगा है? तब  के डॉक्टर्स योगााचार्य स्वामी रामदेव को लूंगी और लंगोटी वाला कह कर व्यंग्य करते हुए देशद्रोही कह कर क्यों अपमानित किया जा रहा है? 


क्या 200 देशों में वैदिक चिकित्सा विज्ञान के अभिन्न अंग माने जाने वाले योग को पहुंचाने के बाद लगातार बढ़ती जा रही अच्छी गुणवत्ता वाले आयुर्वेदिक उत्पादों की भी बढ़ती श्रृंखला के कारण हानिकारक रसायन युक्त उत्पादों की घटती माँग से बौखलाए हुए लोगों के द्वारा स्वामी रामदेव के खिलाफ़ साजिश शुरू कर दिया गया है। इन साजिशकर्ताओं में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों में सबसे ऊपर फार्मा कम्पनियों के बदौलत अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले IMA के डॉक्टरों का नाम आया है। 
पतञ्जली के आयुर्वेदिक उत्पादों की बढ़ती माँग के कारण एलोपैथिक डॉक्टरों के घटते कारोबार से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए IMA के अध्यक्ष इतने गिर गये हैं कि झूठे आरोप लगा कर पतञ्जली योग पीठ के संस्थापक स्वामी रामदेव जी से 10000 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की माँग तक कर दिया है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल करने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में अपने शिष्यों को बताने की घटना को एलोपैथ के विरुद्ध दुष्प्रचार और एलोपैथिक डॉक्टरों का अपमान कह कर स्वामी रामदेव जी को कोर्ट में घसीटने की चुनौती भी दे डाली है। हद तो तब हो गया जब केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्री हर्षवर्धन ने भी IMA के अध्यक्ष के कहने पर पक्षपात पूर्ण रवइया अपनाते हुए स्वामी रामदेव जी के विरुद्ध नोटिस जारी कर दिया था। जबकि खुद भी चिकित्सक रह चुके हर्षवर्धन ने एलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभाव को जानते हुए भी स्वामी रामदेव जी के विरुद्ध कारवाई करने की नोटिस जारी कर के डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने वैदिक संस्कृति प्रेमी भाजपाइयों का विश्वास खो दिया है। इसका खामियाजा आगामी चुनाव में उन्हें जरूर भोगना पड़ेगा। आखिर अपनी मेहनत और लगन के बदौलत अपने देश को विश्व गुरु के रूप में पदारूढ़ करने की कोशिश में लगातार सफल होते जा रहे रामदेव जी की पतञ्जली योग पीठ ने हाफिज सईद व दाऊद इब्राहिम जैसा गुनाह कैसे कर दिया था कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

क्या स्वामी रामदेव जी ने बेबी केयर प्रोडक्ट्स तैयार करने वाली विश्व प्रसिद्ध फार्मा कम्पनी जॉनसन एण्ड जॉनसन की तरह कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले एस्बेस्टस युक्त टेलकम पाउडर बेचकर ओवेरियन कैंसर और वुहान द्वारा प्रायोजित कोरोना जैसी महामारी फैलाने जैसा वैश्विक अपराध किया है? या वाकई में दाउद इब्राहिम जैसा ही देशद्रोह का काम किये हैं? 

क्या मदर टेरेसा जिसे दो लोगों के बयान के आधार पर बिना किसी साक्ष्य के जीते जी पोप ने यह कह कर चमत्कारी सन्त घोषित किया कि वह रोगी को छूकर ही बीमारी ठीक कर देती हैं, उसकी सच्चाई जानने के लिए किसी ने प्रयास किया? यदि वे इतनी ही चमत्कारी थीं तो उनकी मृत्यु कैंसर के कारण हॉस्पिटल में तड़प-तड़प कर क्यों हुई थी?
नहीं! किसी ने भी मदर टेरेसा के चमत्कारों के बारे में कही गई बातों की सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की। खासकर भारतीय लोगों ने झूठ न बोलने की आदत के कारण हर झूठ और अफवाहों को भी सच मान कर मदर टेरेसा की पूजा शुरू कर दिये थे। तो
क्या आचार्य बालकृष्ण या स्वामी रामदेव ने खुद को भगवान, गॉड या अवतार घोषित किया?


क्या हॉस्पिटल खोलना, अनाथालय खोलना, विद्यालय खोलना, धर्मशाला बनाना, शहीदों को सम्मानित करना, लङ्गर चलाना, किसानों के खेत से जड़ी बूटियाँ खरीदकर मिलावट रहित शुद्ध औषधियाँ बनाकर इन लोगों ने पाप किया है?
क्या आचार्य बालकृष्ण और स्वामी रामदेव ने विजय माल्या और नीरव मोदी की तरह अपने देश को लूटने का अपराध किया है?
आप सालों तक अपनी जेब कटवा कर फेयर एण्ड लवली रगड़ते रहे, क्या आप गोरे हो गये?


इस पतञ्जली का पाप यह है कि इसने माँसाहार से घृणा करने वाले लोगों को भी धोखा देकर हड्डियों के चूर्ण के मिश्रण से बने कोलगेट पेस्ट का इस्तेमाल कर रहे लोगों को नीम, तुलसी, पुदीने के मिश्रण से बने पेस्ट थमा कर सनातनी लोगों की धार्मिक आस्था की रक्षा करने का भी काम किया है। वेद, रामायण और महाभारत को काल्पनिक कह कर सनातन संस्कृति का मजाक उड़ाने वाले लोगों के व्यवसायियों के नकली उत्पादों की मार्केट से बाहर कर के शुद्ध और सस्ते उत्पादों के द्वारा लोगों के स्वास्थ्य की भी रक्षा करने का काम किया है।


पतञ्जली के उत्पाद आने के पहले लोग क्लोराइड जैसे हानिकारक रसायन और हड्डियों का चूर्ण रगड़ कर अपने दाँतों और मसूढों को कमजोर कर रहे थे, लेकिन हवाई चप्पल और फटी बनियान पहनने वाले भारतीय आचार्यों ने वेदों में वर्णित योग और आयुर्वेद की शक्ति को पुनर्स्थापित कर के बिना किसी जाति, धर्म और वेशभूषा के भेद-भाव किये सारी दुनियाँ को स्वस्थ रहने का मन्त्र देकर कौन सा वैश्विक अपराध कर दिया है, जो उनके खिलाफ़ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाने की माँग इस देश के असली गद्दारों के द्वारा किया जा रहा है? 


भारत के देशवासियों के द्वारा देश की सम्पदा को लूटने वाले ठगों के नकली उत्पादों से IMA वालों को कोई दिक्कत नहीं है। क्योंकि हिन्दुस्तान, यूनिलीवर, कोलगेट, नेस्ले जैसी कम्पनियां IMA का गठन करने वाले विदेशी लोगों के द्वारा ही संचालित हैं।

भारतीय नागरिकों को चूसने वाले जिन विदेशी कम्पनियों के उत्पाद की बिक्री उनकी घटिया गुणवत्ता के कारण लगातार घटती जा रही है उन्हें सिर्फ़ अपने व्यवसाय से मतलब है। जबकि पतञ्जली! अपने व्यवसायिक लाभ का इस्तेमाल वैदिक ज्ञान-विज्ञान से सम्बधित अनुसन्धान और प्रचार-प्रसार में खर्च कर के राष्ट्रीय गौरव को पुनर्स्थापित करने का प्रयास कर रही है बल्कि राष्ट्रीय आपदा के समय प्रधानमन्त्री राहत कोष में भी भेजती है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि यह संगठन अपने स्तर से भी जन कल्याण के लिए कई कार्यक्रमों का संचालन करने के साथ अपने संगठन में हरेक साल सैकड़ों बेरोजगार लोगों को रोजगार देने का काम भी काम कर रही है। तो क्या जो काम भारत के हित में IMA के लोग नहीं कर कर सके वैसे काम पतञ्जली के द्वारा करने के कारण ही पतञ्जली पर राष्ट्र द्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए?

क्या आप ने कभी इसके लिए सवाल उठाया कि जब 2500 साल पहले #महर्षि_सुश्रुत 100 तरह की सर्जरी कर सकते थे, तो आज भारत में आयुर्वेद के ऊपर अनुसन्धान क्यों नहीं की होता है?
क्या आपने कभी सवाल उठाया है कि जिस एलोपैथी शब्द का जन्म ही हाल-फिलहाल में हुआ है उसके ऊपर ही भारत में सारा बजट क्यों खर्च कर दिया जाता है?
क्या आपने कभी कश्मीर में पत्थरबाजी करने वाले आतङ्कवादियों पर सवाल उठाया?
क्या आपने आँखों के डॉक्टर को खुद अपनी आँखों पर चश्मा लगा कर इलाज करते देखकर उसके ज्ञान पर सवाल उठाया है?
क्या IMA ने देश के अन्दर लाखों विदेशी कम्पनियों के द्वारा की जा रही लूटपाट के विरोध में कभी सवाल उठाया है?

विश्व प्रसिद्ध फार्मा कम्पनी के इसी उत्पाद के दुष्प्रभाव के कारण
अमेरिका में कैंसर पीड़ितों की संख्या बढ़ गयी थी

#जॉनसन_एण्ड_जॉनसन के उत्पादों के दुष्प्रभाव के कारण कैंसर होने का आरोप लगा कर अमेरिकी ज्यूरी ने उस कम्पनी पर 32000 (बत्तीस हजार) करोड़ रुपये का जुर्माना  लगाया था। यदि आपको इस पर यकीन न हो तो गूगल पर सर्च कर के संलग्न लिंक देख लें। https://m.thewirehindi.com/article/johnson-johnson-talcom-cancer-fine-32000-cr-rupees/50589/amp
हो सकता है कि आपको 199 रुपये के Jio के कारण जुमलेबाज लोग गुमराह करने की कोशिश करें। 


अतः आप पतञ्जली का विरोध करने वाले लोगों से ही पूछ लें कि क्या आपने कभी विदेशी कम्पनियों के विरोध में सवाल उठाया है?
कभी पोस्ट डाला कि भारत में भी Johnson & Johnson को बैन किया जाए?
याद रखिये हम यह विरोध करके पतञ्जली का नहीं भारत का नुकसान कर रहे हैं?
लाला लाजपत राय ने कहा था कि पूरी दुनियाँ में केवल भारतीय हिन्दू ही ऐसी कौम है जो अपने महापुरुषों, अपने व्रत-त्योहारों, परम्पराओं, सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और अपने आदि पूर्वज़ के रूप में अराध्य अपने भगवानों को गाली देकर अपमानित करने में ही गर्व महसूस करते हैं?

अपनी संस्कृति को भूल चुके लोगों की नौकरी करने वाले हिन्दुओं ने भी हिन्दुओं पर शासन करने वाले लोगों की नकल कर के होली, दिवाली, करवा चौथ और रक्षाबन्धन जैसे त्योहारों के अवसर पर अपने पूर्वजों राम, कृष्ण और हनुमान जी तक का मजाक उड़ाने में ही अपनी विद्वता समझते हैं। उनके ऊपर चुटकुले बनाकर, उनका मजाक उड़ा कर, उपहास कर के अपमानजनक पोस्ट वायरल करके यह समझते हैं कि हम बहुत पढ़े-लिखे हैं। गले में टाई बाँध कर समझते हैं कि हमने बहुत बड़ा तीर मार लिया और सारे ब्रह्माण्ड को बाँधना सीख लिया।

जो भारतीय! IMA जैसे विदेशी संगठनों के ईशारे पर पतञ्जली के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान से खुश हैं, उन्हें यह जानना चाहिये कि सभी धर्मों का मूल सनातन धर्म और सभी विज्ञान का मूल वेद है। इस वैदिक विज्ञान के उत्थान के लिए प्रयत्नशील भारतीय सन्तों स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण का विरोध सिर्फ़ उनका विरोध नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन का विरोध है। भारतीय संस्कृति और इसके स्वाभिमान का विरोध है। अतः इनके विरोधियों का साथ देने से पहले एक बार विचार अवश्य करें कि इसका क्या परिणाम होगा, किसका फायदा होगा, हम किसके मोहरे बनेंगे।

सनातन संस्कृति पर गर्व करने वाले लोग हमारे इस ब्लॉग से जुड़ें और अपने अधिक से अधिक मित्रों को भी इससे जोड़ें।

🙏भवदीय/निवेदक 🙏
उदासी सन्त स्वामी सत्यानन्द
उर्फ़ प्रसेनजित सिंह, निदेशक,
कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो

सोमवार, 10 मई 2021

Winging of Scapula एक असाध्य रोग

जब जेनेवा के वेबसाइट पर अपनी तस्वीर दिखाया तब भी किसी को यकीन नहीं हुआ कि मैं वाकई में Winging of Scapula नामक असाध्य बीमारी से जूझ रहा हूँ। मेरी लाइलाज़ बीमारी को बहाना कह कर लोगों ने उड़ाया था मेरा मजाक

✍️ प्रसेनजित सिंह

मैं Wringing of Scapula नामक जिस लाइलाज़ बीमारी से पिछले चार वर्षों से जूझ रहा हूँ उस पर अभी रीसर्च चल रहा है। दुनियाँ भर के फिजियोथेरापिस्ट इसका इलाज ढुंढने के लिए प्रयत्नशील हैं। डॉक्टरों के जिस भारतीय टीम के लोग इसके लिए ज्यादा सक्रिय हैं उन लोगों ने मेरी कुछ तस्वीरें खींची थी। जिसे इंटरनेशनल हेल्थ रिसर्च आर्गनाइजेशन - Comite International, Geneve (ICRC) के समाचार पत्र Physiopedia  पर पब्लिस्ड किया गया था। इस समुह की वेबसाइट www.physiopedia.com अंग विच्छेदन और पुनर्वास पर अध्ययन करने के लिए फिजियोपिडिया द्वारा विकसित और वितरित किया जाने वाला वह ऑनलाइन माध्यम है जिस पर दुनिया भर के फिजियोथेरापिस्ट अपने अनुभवों को साझा कर सकते हैं। ताकि न सिर्फ़ एक अध्ययन सामग्री के रूप में इस पत्रिका का विकास हो बल्कि फिजियोलॉजी से सम्बन्धित नये समाचारों से भी दुनियाँ भर के फिजियोथेरापिस्ट को अवगत कराया जा सके। 
इस साइट पर दुनियाभर के किसी भी देश के फिजियोथेरापिस्ट फिजियोपिडिया के लिए साझा करने लायक सामग्रियों यथा कंटेंट्स, वीडियो क्लिप्स और फोटोग्राफ्स को अपलोड और सम्पादित कर सकते हैं।

Comite International, Geneve - ICRC की इस वेबसाइट पर Winging of scapula नामक मेरी लाइलाज़ बीमारी के लिए NMCH, Patna के डॉक्टरों की जिस टीम ने मेरे प्रभावित अंग की तस्वीरें ली थी उन तस्वीरों में से एक तस्वीर इस वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है जिसे संलग्न लिंक पर क्लिक कर के आप भी देख सकते हैं। वह लिंक है :👇

यह लिंक इसलिए दे रहा हूँ ताकि मेरी बीमारी को मेरा बहाना कहने वाले लोगों को मेरी बातों पर यकीन हो सके। इसी लिंक पर जाकर आप भी देख सकते हैं मेरी संलग्न तस्वीर और विंगिंग आफ स्कैपुला (Winging of Scapula) नामक मेरी असाध्य बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी।

physiopedia.com पर मेरी लाइलाज़ बीमारी Winging of scapula
के बारे में बताते हुए डॉक्टर का स्क्रीनशॉट

physiopedia.com से डाउनलोड की गयी मेरी तस्वीर

जिस दिन मुझे डॉक्टरों ने कहा था - "Sorry! इसका कोई इलाज़ नहीं है। यह ऐसा बीमारी है जो धीरे-धीरे बढ़ता ही जाएगा। एकमात्र ईश्वरीय चमत्कार से ही यह ठीक हो सकता है। चाहे आप दुनियाँ के किसी भी हिस्से में चले जाइए, इसका कोई इलाज नहीं है। अतः मैं तो यही कहुंगा कि भारी चीज नहीं उठायें। नियमित रूप से फिजियोथेरैपी करवायें। लेकिन फिर भी संतुष्टि के लिए आपको जो-जो जाँच लिख दे रहा हूँ उसे करवा कर मुझसे मिलें।" उस दिन डॉक्टर ने मुझे क्या-क्या बताया सब भूल गया सिवाय उस बात के कि "अब इसका कोई इलाज नहीं है।" डॉक्टरों के उस बात को सुनते ही मैं घोर हताशा में डूब गया था। लगा कि समाज पर बोझ बन कर जीने से अच्छा है कि अपनी जिन्दगी ही खत्म कर लूं। मगर सहसा जैसे ही इस बात का ख्याल आया कि मेरे मरने से मेरी बर्बादी चाहने वाले लोगों को तो इससे खुशी होगी ही, मुझे ईश्वर ने जिस काम को पूरा करने के लिए यह जीवन दिया है उसे छोड़कर जाने के बाद ईश्वर को भी कैसे मुँह दिखाऊंगा? बस इसी बात का ख्याल होते ही मैंने ठान लिया था कि चाहे जितने दिनों मैं जी सकूं, उतने दिनों के अन्दर अपने समाज के लोगों को जगाने का काम करुंगा। शोषित और वञ्चित लोगों को उनके अधिकार दिलवाने के लिए आखिरी साँस तक संघर्ष करुंगा। जो अपनी पहचान तक भूल चुके हैं उन्हें उनकी असली पहचान बता कर के सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को पुनर्स्थापित करने की कोशिश करूंगा। इसके लिए प्रयास करने के बजाए लोगों को मैं बीमार हूँ, लाचार हूँ कहने से कोई मेरी मदद तो नहीं करेगा उल्टे मेरी मजबूरी को बहानेबाजी बता कर मेरी निन्दा ही करेंगे। और यही मेरे साथ हो भी रहा है। ऐसी ही परिस्थिति में मेरे जैसे लोग टूट कर आत्महत्या कर लेते हैं। 

आखिर कौन सी बीमारी हुई है मुझे जिसके बारे में सुनते ही मैं विचलित हो गया था और अस्पताल में ही फुट-फुट कर रोने के लिए बेचैन हो गया था। मगर सहसा मेरी बर्बादी चाहने वाली अपनी ही माँ और परिजनों की चिन्ता छोड़ मुझे जीवन देने वाले भगवान से ही इसका कारण पूछने का निर्णय ले कर खुद को सम्भाल पाया था। 

आखिर किस बीमारी के कारण NMCH, PMCH और IGIMS के डॉक्टर्स भी मेरी बीमारी को लाइलाज़ कह रहे हैं? उस बिमारी के बारे में जानने के लिए मैं कई दिनों से गूगल पर सर्च कर रहा था। आखिर एक दिन अचानक गूगल की एक साइट पर मुझे मेरी ही वह तस्वीर दिखाई दी जिसे NMCH के डॉक्टर ने खींचा था। इस सम्बन्ध में जब अपने डॉक्टर से पूछताछ किया तब पता चला कि ऐसे मामले बहुत कम आते हैं। इसलिए आपकी फोटो रिसर्च के लिए खींच कर रख लिया था। 

मैं ऐसी स्थिति में भी जब डॉक्टरों ने मुझे एक किलो का वजनी सामान उठाने या दाहिने हाथ को पर जरा भी बल पड़ते ही दर्द से तिलमिलाते हुए देख चुका था दाहिने हाथ को हिलाने-डुलाने से मना कर दिया था। उसके बावजूद पेन किलर खा-खाकर अपनी बाइक स्वयं चलाते हुए एक इण्डियन विलेजर की गुमशुदा बेटी का पता लगाने के लिए एड़ी-चोटी एक कर दिया था। जिनकी बेटी अपने घर से अचानक लापता हो गई थी वे 60-65 साल की विधवा थीं। उनके बारे में एक व्हाट्सएप ग्रुप के द्वारा पता चला था कि उनकी बेटी पन्द्रह दिनों से लापता है लेकिन पुलिस-प्रशासन उनकी मदद नहीं कर रही है। जिस व्हाट्सएप ग्रुप से मुझे इसकी जानकारी हुई थी उसने सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों को मृत घोषित करते हुए इस घटना पर अफसोस जताया था। तभी मेरे मन में उस परिवार की मदद करने की इच्छा जागृत हुई थी और अपने मित्रों के साथ मामले की सच्चाई जानने के लिए पीड़ित परिवार के घर पर पहुंच गया था। उनकी आपबीती सुनने के बाद मैंने उनकी मदद करने का आश्वासन देते हुए इंवेस्टीगेटर और क्राइम रिपोर्टर के अपने पुराने अनुभवों का इस्तेमाल करने का निर्णय ले लिया था। इस कार्य में जहाँ भी जरूरत होती वहाँ एक साथ चलने के लिए मेरे दोस्तों ने मुझे वचन दिया था। क्योंकि मैंने अपनी बीमारी के कारण पिछले चार वर्षों से अपनी बाइक चलाना छोड़ दिया था और मँहगाई के इस युग में भाड़े की गाड़ी रिजर्व कर के इंवेस्टिगेटर का काम करना मेरे लिए सम्भव नहीं था। चुकी पीड़िता का घर मेरे घर से लगभग 18 किलोमीटर दूर था। वह भी ऐसे जगह पर जहाँ पहुंचने के लिए नीजी वाहन से आवागमन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। उस महिला की मदद करने के लिए मामले की प्राथमिक जानकारी एकत्र करना भी जरूरी था। जो सम्बन्धित अधिकारियों और आरोपित लोगों के परिजनों से मिले बगैर सम्भव नहीं था। इस कार्य में दो दिनों तक अपना समय देने के बाद जब मुझे ऐसा महसूस हुआ कि पीड़ित लोग सच्चाई को छुपा रहे हैं और फरारी के मामले को कभी गुमशुदगी तो कभी अपहरण का मामला बता रहे हैं तो उस मामले को बेकार का लफड़ा कहते हुए मेरे मित्रों ने उस मामले में मेरा साथ देने से मना कर दिया था। ऐसे में जिस अधिकारी से मिलने के लिए मैंने पहले ही अप्वाइंटमेंट ले रखा था उनसे मिलने के लिए मुझे न चाहते हुए भी अपनी बाइक खुद चलाना पड़ा था। जबकि डॉक्टरों ने मुझे वजनी सामान उठाने के लिए मना कर रखा था।

इसके लिए अपने पूर्व निर्धारित समय पर मैं तो आई.जी ऑफिस में पहुंच ही गया था लेकिन जिनकी सहायता करने के लिए मैंने वह मीटिंग निर्धारित की थी उन्होंने फ़ोन कर के आग्रह किया था कि उनके मामले में मैं जिस अधिकारी से भी मिलुं अपने साथ उन्हें भी जरुर रखूं। उनके इस जिद के कारण निर्धारित समय पर आई.जी के कॉल करने पर भी उनसे भेंट न कर पीड़ित दुखियारिन के आने का इंतजार करता रहा। जब वह पहुंची तब उस आईजी ने हमारे साथ होने वाली मीटिंग कैंसिल कर के अपने विभागीय मीटिंग में व्यस्त हो गया। इसके कारण उस महिला ने इतना हंगामा किया कि आई.जी असीस्टेंट अशोक कुमार सिन्हा ने उन्हें सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने के आरोप में गिरफ्तार करने की धमकी देते हुए अपने ऑफिस से खदेड़ दिया था। आईजी ऑफिस के लोग अपने जगह पर सही थें। उन्होंने मदद करने के लिए मुझे हर तरह का आश्वासन दिया था। लेकिन वह महिला पूर्व निर्धारित समय पर नहीं आकर खुद लापरवाही की थी। इसके बावजूद आई जी संजय कुमार सिंह ने 05:00-06:00 बजे के बीच मिलने का दूबारा समय दिया। तब तक गाँधी मैदान थाना और नजदीकी बैंक से सम्बन्धित अन्य लफड़ों को सुलझाने के लिए भी मुझे चलने का आग्रह करते हुए मेरी बाइक पर बैठने लगीं। तब मैंने अपनी बीमारी की जानकारी देते हुए उन्हें बैठाकर बाइक नहीं चला पाने की मजबूरी बताते हुए चार वर्षों के बाद पहली बार उनकी मदद करने के लिए ही बाइक निकालने का कारण और वह बाइक चलाने के कारण बढ़ते जा रहे दर्द की जानकारी भी उन्हें देते हुए माफ़ी माँग लिया था। लेकिन मेरी मजबूरी को अनसुना कर के मेरी बाइक पर जबरन बैठ कर गाँधी मैदान थाना आदि अन्य जगहों पर चलने के लिए जिद करने लगी थीं। मैंने पहली बार एक अनजान महिला को इस तरह जिद करते हुए देखा था। जिसे उनका भोलापन समझ कर न चाहते हुए भी उनको समझाने की कोशिश करना छोड़ दिया और वे जहाँ-जहाँ कहीं वहाँ-वहाँ उनको ढ़ोता रहा। देर रात घर लौटते ही मुझे पेन किलर लेना पड़ा। इसके बावजूद रात भर मुझे नींद नहीं आई। सुबह होने पर मैने महसूस किया कि मेरा हाथ ऊपर नहीं उठ पा रहा है। जरा सी हरकत करने पर भी दर्द से तिलमिला उठता हूँ। तब गुमशुदा लड़की के बारे में पता करने के लिए खुद ही फिल्ड में न जाकर सोशल वर्क और पत्रकारिता से जुड़े अपने मित्रों की मदद से टेलिफ़ोन के द्वारा छानबीन करवाता रहा। जब भी दर्द में कुछ कमी महसूस करता खुद भी अपनी बाइक लेकर निकल जाता था। संयोगवश मेरी मेहनत रंग लाई। मैं अपहरणकर्ता के रूप में आरोपित मुख्य व्यक्ति से सम्पर्क करने में सफल हो गया और उसे कोर्ट में हाजिर होने के लिए दबाव बनाने लगा। तब तक उसके लोकेशन की सूचना अपने मित्रों को देकर उस पर चौतरफा दबाव बनाने लगा तब बाध्य होकर उसने मुझे स्वयं सूचित किया कि मैं स्वयं सरेण्डर करने के लिए तैयार हूँ। इसके लिए अपने वकील से बात कर रहा हूँ।

संयोगवश एक दिन अचानक अयोध्या में बैठे मेरे ग्रुप का ही सेतु सिंह नामक युवक ने मुझे फ़ोन कर के बताया कि मुझे अभी-अभी सूचना मिली है कि अपहृत युवती रचना सिंह को लेकर फरार चल रहा युवक आज कोर्ट में सरेण्डर करने वाला है। इस सूचना के मिलते ही अपहरणकर्ता संजीत कुमार यादव के मुहल्ले में रहने वाले मेरे एक और मित्र ने कॉल कर के सूचित किया कि संजीत और रचना एक घण्टे के अन्दर सीविल कोर्ट में सरेण्डर करने वाला है, वहाँ जल्दी पहुंचिये। इस कॉल के आते ही मुझे पुनः अपनी बाइक से ही कोर्ट की ओर निकलना पड़ा था। इसलिए नहीं कि अपहृत युवती के परिजनों से मुझे प्रेम था और इसलिए भी नहीं कि अपहरण के लिए आरोपित युवक से मेरी दुश्मनी थी। बल्कि इसलिए क्योंकि मेरे कारण कई लोग खुल कर इस मामले के उद्भेदन के लिए मेरी खुल कर मदद कर रहे थे। मेरे वहाँ नहीं जाने से मैं खुद उन लोगों की नजरों से गिर जाता। कोर्ट में पहुंचते ही मैंने देखा कि इस मामले में मेरा साथ दे रहे 7-8 लोग वहाँ पहले ही पहुंच चुके थे। अपहृत कही जा रही युवती जो स्वयं प्रेम प्रसंग के चक्कर में स्वेच्छा से अपने घर से फरार हुई थी, वह भी महिला पुलिसकर्मियों के साथ कोर्ट के बरामदे में अपने कॉल का इंतजार कर रही थी। मैंने उससे मिल कर उसके प्रेमी के बारे में जानकारी देते हुए यह बताया कि वह पहले से ही शादीशुदा और चार बच्चों का बाप है। जिस तरह से पहली पत्नी और बच्चों से पिछले चार वर्षों से कोई मतलब नहीं रखता है उसी तरह किसी और के मिलते ही तुम्हें भी छोड़ देगा। अतः कोर्ट में बयान देते समय यह जरूर कहना की "मैं स्वेच्छा से इनके साथ जरूर भागी थी लेकिन जब विवाह करने के बाद मुझे पता चला कि यह पहले से शादीशुदा और 3-4 बच्चों का बाप है तब मुझे खुद के ठगे जाने का अहसास हुआ। अतः अब इसके साथ नहीं बल्कि अपनी माँ के साथ रहना चाहती हूँ। इसे इसकी धोखाधड़ी करने की सजा मिलनी चाहिए।" बस इसी बयान के आधार पर वह लड़की उसकी माँ को सौंप दी गई। इस तरह एक महीने के अन्दर जिसके साथ उनकी बेटी स्वयं भाग कर गयी थी उससे सम्पर्क स्थापित करने और उन लोगों को समझाने के बाद उनकी बेटी को कोर्ट में हाजिर करवा कर उसके परिजनों तक पहुंचाने का भी काम पूरा कर दिया था।

इस दौरान चार वर्षों से बेरोजगार होकर घर में बैठने की मजबूरी के बावजूद तमाम सरकारी सुविधाओं से भी वंचित होने के बाद भी अपनी जमा पूँजी निकाल-निकाल कर जिस विधवा की सहायता करने के लिए भाग-दौड़ करता रहा उसने अपने अन्य लम्बित मामलों के निपटारे के लिए भी मुझसे मदद करने का आग्रह करने लगी तब मैंने उन्हें स्पष्ट कह दिया कि "मैंने लड़की के अपहरण का मामला समझ कर आपकी मदद किया था।" मुझे आपके कारण ही वह बाइक चलाना पड़ा जिसके कारण मेरी बीमारी फिर से बढ़ गयी है। इसके इलाज के लिए पैसे की जरूरत है। अतः मैं आपका काम तो करवा दुंगा लेकिन अब इसके लिए फी देना होगा। इस मामले से पहले मेरा यही प्रोफेशन था और इसके लिए मैं भारत सरकार के द्वारा रजिस्टर्ड हूँ। तब उन्होंने मुझे वचन दिया की आपकी जो भी फी होगी ले लीजिएगा लेकिन मेरा काम करवा दीजिए। चुकी मेरे एकाउण्ट के लगभग सभी पैसे खत्म हो गये थे इसके कारण मैंने उनसे एडवांस में कुछ पैसे जमा करने का आग्रह किया तो वे बहाने बना कर चली गई थीं। तब मैंने भी अपने स्वास्थ्य कारणों से कहीं आना-जाना बन्द कर दिया था। मुझे बार-बार फोन कर के घर में आकर भेंट करने के लिए बुलाने पर भी जब मैं विधवा महिला अनामिका किशोर के यहाँ नहीं गया तब एक दिन उनका बेटा मेरे घर में आकर माँ की मदद करने का आग्रह किया। तब न चाहते हुए भी उनकी माँ की कई लम्बित मामलों की पैरवी करने के लिए लगातार दो-तीन दिनों तक समय दिया। लेकिन जैसे ही पैसे की बात करता वे बहाने बनाने लगती। मैं समझ गया था कि वे लोग जरूरत से ज्यादा चालाक हैं। यही कारण है कि हर जगह उनका आसानी से होने वाला काम भी फँस जाता है। चुकि वह महिला मेरे ग्रामीण क्षेत्र की ही निकल गई थी जिसके कारण मैं उन पर पैसे के लिए दबाव नहीं बना पा रहा था। लेकिन उन्हें भी तो मेरी परेशानी समझनी चाहिए थी। एक दिन उनके जिद के कारण मुझे इतनी भीड़-भाड़ वाली गली में बाइक लेकर जाना पड़ गया जहाँ अपने दाहिने हाथ में हो रहे दर्द के कारण बाइक की हैण्डल नहीं सम्भाल पाया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उसके कारण मेरी गाड़ी और हेलमेट तो क्षतिग्रस्त हुआ ही पहले से ही Winging of scapula से सबसे ज्यादा पीड़ित दाहिने हाथ में ही दुबारा चोट लगने से हमारी परेशानी और बढ़ गई थी। जिसका इलाज़ करवाने के लिए डॉक्टर का फी देने तक का पैसा अपने पास नहीं होने के कारण जब मैंने उस महिला से उनकी मदद करने के लिए किया गया खर्च माँगने लगा तब मोच बैठाने वाले से दिखवा देने की जिद कर के मुझे Pain Relief Spray लाकर दे दी। जबकि मैं जानता था कि मोच से नहीं बल्कि किसी और बीमारी से परेशान था और चोट लगने के कारण मेरी बीमारी विकराल रूप धारण करने वाली थी।

उस दुर्घटना के बाद मैं उनके बुलाने पर भी जब दुबारा उनकी मदद करने से इंकार कर दिया था तब एक दिन वे खुद हमारे घर पहुंच गई और क्षेत्रीय होने का वास्ता देते हुए कहने लगी कि "आप ही न कह रहे थे कि आपकी बेटी! मेरी भी बेटी है। अतः किसी भी तरह की परेशानी होगी तो मुझे जरूर बताइएगा। जहाँ तक होगा आपकी मदद जरूर करेंगे। फिर ऐसा क्या हुआ कि आप मेरा कॉल रीसिव करना भी छोड़ दिये? बिना मेरी सूचना के मेरे बैंक एकाउण्ट में से जो पैसे गायब हो गए हैं, सिर्फ़ उसकी रिकवरी करवा दें। फिर आप जितनी कहेंगे उतनी फी आपको दे देंगे।" इस पर मैं उन्हें बार-बार समझाता रहा कि आपके एकाउण्ट का पैसा किसी और ने नहीं बल्कि आपकी अपनी बेटी ने ही निकाला है। ऐसे में बैंक पर दबाव देना उचित नहीं है। लेकिन वे मानने के लिए तैयार नहीं हुई।... और अगले दिन बैंक मैनेजर पर इसके लिए दबाव बनाने का वचन लेने के बाद ही मेरे घर से वापस गयी। मुझे उनकी गिड़गिड़ाहट पर तरस खाकर खुद बीमार होने पर भी उनकी मदद करने के लिए जाना पड़ता था। इसका परिणाम यह हुआ कि मेरी बीमारी और बढ़ गई है तथा मैं फूल टाइम बेडरेस्ट के लिए मजबूर हो गया हूँ।

अब मसाढ़ी के उदय किशोर सिंह की विधवा पत्नी अनामिका किशोर अपनी बेटी की बरामदगी के बाद मुझे इनाम या सम्मान देने के बजाय यह आरोप लगा रही हैं कि मैं उनकी बेटी को भगा कर ले जाने वाले युवक का ही साथ दे रहा हूँ। इसी के कारण उन लोगों के द्वारा बार-बार बुलाने पर भी उन लोगों के पास नहीं जा रहा हूँ। जबकि हकीकत यह है कि मैं वाकई में बहुत ज्यादा परेशान और तनाव में हूँ। अपने स्वास्थ्य कारणों से ही घर से नहीं निकल पा रहा हूँ।

मैं हनुमान तो हूँ नहीं जो सीना चीड़ कर दिखा दूँ। आज तक आप लोगों से अपनी बीमारी के बारे में न बता कर सामाजिक गतिविधियों में इसलिए मग्न रहता था ताकि अपनी जिन्दगी को जी भर के जी सकूं। अन्यथा बीमारी को याद कर-कर के निर्दयी और निष्ठुर हो चुके लोगों से चर्चा करने से मानसिक तनाव और बढ़ेगा ही। जिसके लिए अपने स्वास्थ्य की परवाह किये बगैर तन, मन, धन सब कुछ लगा दिया जब वैसे लोग भी धोखेबाज़ निकल गये तो समाज के अन्य लोगों से क्या आशा करूं?

फत्तेपुर वासी सतीश जी की माँ पटना के NMCH में इलाज़रत हैं। उन्हें डॉक्टरों का सहयोग नहीं मिल पा रहा है, इसके लिए सतीश जी ने Bargayan Warriors are नामक हमारे व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्यों से मदद की गुहार लगाये थे। लेकिन यह पहला अवसर है जब चाह कर भी उनकी मदद नहीं कर पाया। इसके कारण वे नाराज़ होकर मुझसे आग्रह किया हैं कि "प्रसेनजित जी! जब मेरी मदद नहीं कर सकते हैं तो इस ग्रुप से मुझे बाहर कर दीजिए।" लेकिन बहुत ही दुख की बात है कि इस ग्रुप के लोग उन्हें मदद करना तो दूर सांत्वना देना भी जरूरी नहीं समझे और दूसरे लोगों के अनावश्यक सन्देश भेज-भेज कर अपनी विद्वता का बखान करते रहे। अतः बन्धुओं से आग्रह है कि कृप्या संकटग्रस्त लोगों की मजबूरियों को भी समझें। उनके दुःख में साथ दें। मैं चाहता था कि मेरे मरने के बाद कोई भी व्यक्ति यह न कहे कि प्रसेनजित ने बूरे समय में मेरा साथ नहीं दिया है। लेकिन लगता है कि काल को अब यही मंजूर है। विशेष क्या कहूँ? जिन्दा रहा तो फिर मिलेंगे।

किश्तियां बह जाती हैं जब तूफां चले आते हैं।
यादें रह जाती हैं जब इंसां चले जाते हैं।। ✍️