सोमवार, 8 नवंबर 2021

Information services of KCIB

Personal Investigation Services/व्यक्तिगत जांच सेवाएं

Personal Investigation Service

व्यक्तिगत जांच सेवाएं :
भारत में तलाक के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सम्पत्ति विवाद, पारिवारिक उत्पीड़न, लापता लोगों की तलाश, ठगी, रंगदारी और पुलिसकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां गहन जांच सेवाओं की आवश्यकता होती है। ऐसे किसी भी मामले में व्यक्तिगत जांच सेवाएं या प्राइवेट डिटेक्टिव सर्विस प्राप्त करने के लिए आप "कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" पर भरोसा कर सकते हैं। क्योंकि इस कम्पनी के संचालक अपराध संवाददाता, प्रूफ़रीडर, डिप्टी एडीटर और क्रियेटिव राइटर सहित खोज़ी पत्रकारिता का कार्य करते हुए विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों में वार्ड से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक के दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान प्राइवेट डिटेक्टिव की तरह खोज़ी पत्रकारिता का काम करते हुए कई केस-मुकदमों का निपटारा करवाने के कारण इंफॉर्मेशन सर्विस के क्षेत्र में 20 वर्षों से भी अधिक समय तक काम करने के अनुभवी हैं। वर्ष 2019 में ISO 2001-2008 सर्टिफाइड आर्गनाइजेशन भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवम् मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज़ के लिए पंजीकृत होने के बाद भी इस कम्पनी के द्वारा एक से बढ़कर एक पेचीदे और अनसुलझे मामलों का निपटारा कर के कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो ने अपने क्लाइंट्स को सन्तुष्ट कर चुका है। अतः आप भी सभी प्रकार के व्यक्तिगत मामलों के लिए हमारी कम्पनी के द्वारा Personal Investigation Service अर्थात व्यक्तिगत खोजी सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।


विवाह पूर्व लड़का/लड़की का चरित्र परिक्षण

विवाह पूर्व जाँच व दूल्हा/दुल्हन का चरित्र परीक्षण :
आजकल दहेज़ प्रताड़ना के जूठे केस-मुकदमों के कारण सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी, आपराधिक छबि बनने के कारण हुई बदनामी, हत्या, आत्महत्या, गृहत्याग और सामाजिक विरक्ति की बढ़ती हुई घटनाओं को देखते हुए जिस परिवार के साथ वैवाहिक सम्बन्ध बनाने की सोच रहे हैं उसके पृष्ठभूमि की जांच करना नितान्त आवश्यक है। इसके बिना शादी करना आपकी भयंकर गलती साबित हो सकती है। इस मामले में लापरवाही बरतने के कारण घरेलू हिंसा और धोखाधड़ी के शिकार आप भी हो सकते हैं। आजकल फर्जी विवाह करवाने वाले गैङ्ग भी काफ़ी सक्रिय हैं। खासकर राजस्थान जैसे वैसे राज्यों में ऐसी घटनाएं ज्यादा हो रही हैं जहां लड़कियों की घटती संख्या के कारण विवाह करने के लिए लड़कियों की खरीद-फरोख्त की जाती है। राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के शहरी इलाकों में भी आपके या आपके रिश्तेदारों के पड़ोसी या मित्र बनकर आपको आसानी से शिकार बना सकते हैं। ..और ऐसा हो भी रहा है। ऐसे कार्यों के लिये लोग औनलाइन विवाह एजेंसियों और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का भी दुरुपयोग करते हैं। विवाह के लिए वर या वधु का झूठा बायोडाटा और झूठी पारिवारिक पृष्ठभूमि बता कर भी लोग अपने शिकार को फंसाते हैं।
ऐसे मामले पश्चिमी देशों के साथ-साथ भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अभी हाल ही में राजस्थान के गुलाबी शहर के नाम से प्रसिद्ध जयपुर सिटी में जब ऐसे गिरोह के पकड़े जाने का मामला अखबारों में आया तब ठगी करने वाली युवती की तस्वीर देख कर कई लोगों ने पुलिस के सामने आकर यह स्वीकार किया कि यह लड़की मुझसे भी शादी करने के बाद गहने-जेवर सहित फरार हो गई थी। ऐसी खबर "पत्रिका" नामक एक न्यूज़ लेटर पर भी आयी थी, जिसे आप संलग्न लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं।
✍️ https://m.patrika.com/jaipur-news/many-cases-of-fraud-through-marriage-in-the-city-2138647/


ऐसी खबरें अक्सर समाचारों में दिखाने के बाद भी लोगों में जागरूकता नहीं आई और फर्ज़ी शादी के बाद लुट-पाट की घटनायें लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विवाह पूर्व जांच करवाना नितान्त आवश्यक है। यदि आप भी ऐसे लोगों के चंगुल में फँसने से बचना चाहते हैं तो हमारी कम्पनी KCIB (कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो) के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर के द्वारा विवाह पूर्व वर/वधु के पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में गुप्त रूप से जांच करवा सकते हैं। क्योंकि विवाहोपरान्त दहेज़ प्रताड़ना के झूठे मुकदमों में फँसा कर ब्लैकमेल करने वाले लोगों, विवाहोपरान्त घर के गहने-जेवर लेकर फरार होने वाले लोगों और विवाहोपरान्त लूटपाट करने के लिए पारिवारिक सदस्यों की हत्या तक कर देने वाले लोगों के चंगुल में फँसने से बचने के लिए आप हमारी कम्पनी के द्वारा विवाह पूर्व जांच-पड़ताल करवा सकते हैं। क्योंकि ऐसे भावी समस्याओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है। इस तरह की जांच सेवाएं हमारी कम्पनी के अलावा अन्य कोई भी दूसरी कम्पनी नहीं देती है। हालांकि कुछ कम्पनियां दक्षिण भारतीय राज्यों सहित दिल्ली और कलकत्ता में सक्रिय जरूर हैं लेकिन उनकी सर्विस हमारी सर्विस की तरह कारगर और भरोसेमंद नहीं है। क्योंकि हमारे एजेंट्स भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के खिलाफ़ काम करने वाले वैसे सामाजिक संगठनों में भी शामिल हैं जो विभिन्न राज्यों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। अतः ऐसी जांच-पड़ताल करवाने के लिए आप निःसंकोच होकर हमारी सेवाएं ले सकते हैं।


विवाहोपरान्त संदिग्ध जीवनसाथी का चरित्र परीक्षण :
अगर आप अपनी पत्नी या अपने पति का किसी अन्य के साथ चलने वाले अफेयर की शंका का समाधान तलाश रहे हैं, यदि आप ऐसे नाजायज़ सम्बन्धों को साबित करने के लिए सबूत इकट्ठा करना चाहते हैं या अपनी पत्नी या अपने पति का ससुराल वालों के साथ मिलकर किसी तरह की साजिश रचने या धोखाधड़ी करने के कारण परेशान हैं, मगर उनके खिलाफ़ किसी तरह का ठोस सबूत नहीं है तो उसकी व्यवस्था करवाने के लिए हमारी कम्पनी "केसीआईबी" की सेवा ले सकते हैं। केसीआईबी का ही पूरा नाम है कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो।
आपकी केस लेते ही हमारी कम्पनी के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर गोपनीय तरीके से जांच शुरू कर देते हैं। वह इतनी गुप्त रहती है कि संदिग्ध लोगों को इसकी भनक तक नहीं लग पाती है। यदि आपका सन्देह सही साबित हुआ तो उसके साक्ष्य उपलब्ध करवायेंगे। लेकिन यदि झूठा और निराधार साबित हुआ तो आपके साथी या उसके परिवार को इसकी भनक तक नहीं लगने देंगे। इसके बाद आप चाहें तो निश्चिंत होकर अपने जीवनसाथी के साथ रह सकते हैं या उसकी पसन्द के अनुसार खुद को समायोजित कर सकते हैं। इस काम के लिए भी हमारी कम्पनी से जुड़े हुए समाजसेवियों की टीम काउंसिलिंग का काम करते हैं। क्योंकि हमारा उद्देश्य सिर्फ़ पैसे कमाना नहीं बल्कि पारिवारिक सम्बन्धों में आये दरार को पाट कर समाज में एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाना भी है। इसके कारण आप हम पर भरोसा कर सकते हैं।


वफादारी परीक्षण :
यदि आप यह जांचना चाहते हैं कि आपके पारिवारिक सदस्य, रिश्तेदार, मित्र, कर्मचारी, सहकर्मी या साथी आपके प्रति वफादार हैं या नहीं, तो हमारी कम्पनी केसीआईबी के एजेण्ट उसका पता लगाते हैं। जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, हमारे टीम के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर्स उन गोपनीय तरीकों का इस्तेमाल कर के आपके लिए इंवेस्टिगेशन का काम करते हैं। इसके लिए परीक्षणों की जो श्रृंखला बनाते हैं वह किसी फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं होता है, बल्कि कामयाब और सराहनीय होता है। कुछ केस ऐसे भी होते हैं जिसके पोजिटिव परिणाम आम लोगों के लिए आश्चर्यजनक रूप से अकल्पनीय होता है। डिटेक्टिव स्टोरी वाले फिल्मी कहानियों की अपेक्षा हमारे संघर्ष की कहानियां ज्यादा जीवन्त और रोमाञ्चक होती हैं क्योंकि हमारे एजेण्ट्स असली हीरो होते हैं। वे इस दुनियां के असली रंगमंच पर असली खतरों का सामना करते हुए संकटग्रस्त लोगों की सहायता करने का असली काम करते हैं। इसके बावजूद फिल्मी दुनियां में काम करने वाले नकली हीरो की अपेक्षा बहुत कम फी लेकर भी आपके लिए डिटेक्टिव का काम करते हैं। जो काम न तो आपके द्वारा सम्भव है और न ही पुलिस-प्रशासन के द्वारा। हम उन्हें तमाम खतरों के बावज़ूद सम्पन्न कर के न सिर्फ़ आपको रिपोर्ट देते हैं बल्कि सन्तुष्ट भी करते हैं। कभी-कभी आपके लिए सबूतों की व्यवस्था करने के लिए हमें गैरकानूनी तरीके का इस्तेमाल करने का खतरा भी उठाना पड़ता है, जिसके चंगुल में फँसने पर हमारी कम्पनी सहित हमारे एजेण्ट्स को भी भारी क्षति का सामना करना पड़ता है। यहाँ तक कि इंवेस्टिगेशन के दौरान पकड़े जाने पर हमारे एजेण्ट्स की जान जाने का भी खतरा बना होता है। इसके बावजूद हम अपने कस्टमर्स के लिए गोपनीय जानकारी उपलब्ध कराने का काम करते रहते हैं। अतः आप सुन्दर समाज बनाने का सपना लेकर काम करने वाली हमारी इस कम्पनी से निःसंकोच होकर अपनी समस्याएं बतायें। आपकी जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखने की गारंटी देते हैं।


गुमशुदा व फरार लोगों की ट्रैकिंग :
क्या आपको अपने स्कूल या कॉलेज के किसी सहपाठी प्रेमी, प्रेमिका, मित्र या दुश्मन के घर का पता ढूंढने की जरूरत है? धोखाधड़ी कर के फरार या अपराधिक घटना को अंजाम देकर फरार लोगों की तलाश करने की ज़रूरत है? क्या आप अपने घर से लापता हुए पारिवारिक सदस्य के बारे में पता करवाना चाहते हैं? क्या आपका अपने किसी परिवारिक रिश्तेदार से सम्पर्क टूट गया है और आप उन्हें ढूंढना चाहते हैं? क्या किसी वाहन दुर्घटना के कारण आपके किसी पारिवारिक सदस्य की मृत्यु होने या गम्भीर रूप से घायल होने के बाद विकलांगता की समस्या उत्पन्न होने के कारण दोषी व्यक्ति का पता लगवा कर मुआवजा वसुलना चाहते हैं? यदि आपका जवाब हाँ है तो उन्हें ढुंढने में हम आपकी मदद कर सकते हैं। अक्सर ऐसे मामलों में अपने स्तर से छानबीन करने पर भी जब कुछ पता नहीं चल पाता है तब लोग मानसिक अवसाद के शिकार होकर घुटते रहते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं। इनमें से कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो पुलिसकर्मियों के पास मदद करने की गुहार लेकर जाते हैं। क्योंकि अक्सर सीधे-साधे लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों के कारण अधिकांश लोगों में पुलिस का चेहरा रक्षक के बजाए भक्षक का बन चुका है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकारा है। इसके बावजूद पुलिसकर्मी अधिकांश मामलों में सिर्फ़ रिश्वत देने वालों का ही काम करते हैं। पुलिसकर्मियों के असहयोगी रवैये के कारण मजबूर होकर रिश्वत देने वाले लोग यदि सीधे-साधे होते हैं तो उनसे रुपये लेने के बाद भी ऐसे अधिकांश मामलों को मनगढ़ंत और झूठा जांच रिपोर्ट बनाकर रफा-दफा कर देते हैं। ऐसे में भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ दर्ज करवाये गये अधिकांश मामलों को भी रफा-दफा कर दिये जाने के कारण हरेक साल हजारों लोगों का शासन-प्रशासन से विश्वास उठता जा रहा है। ऐसी स्थिति के कारण निराश और हताश लोगों सहित संकटग्रस्त, जरुरतमंद और असहाय लोगों की सहायता करने के लिए कौशिक सोसाइटी के अध्यक्ष ने वर्ष 94-1995 में ही समाजसेवा का काम शुरू किया था। मगर ऐसे कार्य करने वाले सभी संगठनों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को पंजीकृत करने के लिये सरकारी दबाव के कारण वर्ष 2019 में "कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" के नाम से पंजीकृत किया गया था। कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक यह कम्पनी अपने सौर्ट नेम "केसीआईबी" के नाम से जाना जाता है। जो अपने कार्यों और उपलब्धियों के कारण प्राइवेट डिटेक्टिव की सर्विस देने वाली बिहार की सबसे विश्वसनीय कम्पनी बन गई है। अतः लापता और फरार लोगों की तलाश करवाने के लिए आप भी हमारी कम्पनी की सेवा ले सकते हैं।


निगरानी :
कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक हमारा संगठन मोबाइल सिक्युरिटी और वाचमैन के कार्यों सहित स्पाई कैमरों के द्वारा संदिग्ध लोगों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सेवा भी प्रदान करता है। ताकि किसी आपराधिक घटना के घटने पर दोषी लोगों की पहचान करने के लिए संदिग्ध लोगों से पूछताछ किया जा सके। व्यक्तिगत सिक्युरिटी चाहने वाले लोगों के भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों में संदिग्ध लोगों सहित संदिग्ध गतिविधियों पर भी नज़र रखने के लिए सिविल ड्रेस की तरह दिखने वाले खास ड्रेस कोड पहने केसीआईबी के एजेण्ट्स के द्वारा गुप्त रूप से निगरानी करने की सेवा सहित विडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सेवा भी प्रदान करते हैं। जरूरत पड़ने पर स्पाई कैमरों का भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे काम अन्य लोगों को जानकारी दिए बगैर गुप्त रूप से किये जाते हैं। ताकि संदेहास्पद लोगों को रंगे हाथ पकड़ा जा सके।


प्रेस कॉन्फ्रेंस और एडीटिंग सर्विस :
हमारी यह कम्पनी अपने क्लाइंट्स को सिर्फ़  डिटेक्टिव सर्विस ही नहीं देती है बल्कि भारत सरकार के द्वारा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए पंजीकृत होने के कारण न्यू्‍ज़ पेपर्स और न्यूज़ चैनल्स को स्पेशल न्यूज़, क्राइम रिपोर्ट्स और इंवेस्टिगेटेड न्यू्‍ज़ भी उपलब्ध कराता है। अपने क्लाइंट्स की बातों को मीडिया के माध्यम से सरकारी अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों और आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराता है। विभिन्न हिन्दीभाषी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के लिए अपनी एजेंसी से जुड़े हुए अनुभवी पत्रकारों को प्रूफ़रीडर और एडिटर का काम करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर उपलब्ध करवाने के साथ ट्रेनी संवाददाताओं को प्रशिक्षित करने का काम भी करता है। इन विशेेषताओं के कारण हमारी कम्पनी के द्वारा डिटेक्टिव सर्विस लेने वाले लोग हम पर ज्यादा भरोसा करते हैं। अतः अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हमसे निःसंकोच होकर मिलें।

 

पब्लिक कंसल्टेंसी कैम्पेन :
विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संंगठनो सहित समाचार पत्रों, पत्रिकाओं तथा TTSL में काम कर चुके अनुभवी पत्रकार द्वारा संचालित तथा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत कम्पनी KCIB हर तरह के उपभोक्ताओं के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर पब्लिक कंसल्टेंसी कैैम्पन का आयोजन करवाती है। इसके अलावा देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए जन-जागरूकता अभियान भी चलाता है।

 

हस्तलेखन सत्यापन :
इस बात का प्रमाण चाहिए कि लिखावट मेल खाती है? धोखेबाज़ और घोटालेबाज लोग हर जगह हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कागजात की लिखावट आरोपित व्यक्ति का है या नहीं? इसकाा परीक्षण करने की सुविधा भी निकट भविष्य में दी जाएगी। हमारी लिखावट सत्यापन सेवा आपको प्रामाणिकता का विश्वास दिलाएगा।

हमारी अन्य सेवायें हैं :

क्रियेटिव राइटिंग :

प्रूफ़रीडिंग :

एडिटिंग :

ट्राँसलेटर/अनुवादक :

सर्वेक्षण :

सेल्स एण्ड मार्केटिंग :

"कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" जिसे लोग इसके संक्षिप्त नाम KCIB (केसीआईबी) के नाम से जानते हैं, जरूरतमंद लोगों सहित प्रकाशन के कार्य से जुड़े हुए उद्यमियों को भी उनकी व्यक्तिगत जाँच-पड़ताल की ज़रूरतों में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नि:शुल्क परामर्श के लिये सम्पर्क करें :
Name/नाम*
Sex/लिंग*
Mobile/मोबाइल*
E-mail Id/ईमेल आईडी
Masage/संदेश*

Submit/भेजें

सोमवार, 6 सितंबर 2021

ननप्रौफिट चैरिटेबल ट्रस्ट कैसे बनायें



धर्मार्थ या धार्मिक, आतिथ्य और पुनर्वास संस्थानों के लिए ट्रस्ट डीड 
सम्पादित किया गया:  
सितम्बर ०६, २०२१ - ०३:०० अपराह्न

08 मिनट पढ़ें

ट्रस्ट डीड निष्पादित करके धर्मार्थ या धार्मिक, आतिथ्य और पुनर्वास या आतिथ्य और पुनर्वास संस्थानों का गठन किया जा सकता है। ट्रस्ट डीड को सेटलर और ट्रस्टी के बीच निष्पादित किया जाता है। एक सेटलर वह व्यक्ति होता है जो कुछ धर्मार्थ या धार्मिक या आतिथ्य और पुनर्वास उद्देश्यों के लिए ट्रस्ट बनाता है। जबकि ट्रस्टी वे लोग होते हैं जो ट्रस्ट को मैनेज करते हैं। सेटलर वह होता है जो आम तौर पर वैसे ट्रस्टियों को नियुक्त करता है जो ट्रस्ट के नियम के अनुसार प्रभावी ढंग से चल सकते हैं और ईमानदारी पूर्वक काम कर सकते हैं।

"ट्रस्ट डीड तैयार करवाने या नमूना प्रारूप प्राप्त करने के लिए सम्पर्क करें"
 
ट्रस्ट डीड के तहत, सेटलर पहचान योग्य जायज सम्पत्ति को ट्रस्टियों को हस्तान्तरित करता है और ट्रस्टियों के लिए ट्रस्ट डीड में निर्दिष्ट नियमों और शर्तों के अनुसार ट्रस्ट को उसके उद्देश्यों के लिए काम करने और प्रबन्धित करना अनिवार्य बनाता है।

ट्रस्ट डीड के प्रमुख तत्व देखें 
ऑब्जेक्टिव : जिस ऑब्जेक्ट के लिए ट्रस्ट बनाया गया है वह इस क्लॉज में निर्दिष्ट है। यह बहुत महत्वपूर्ण खण्ड है। क्योंकि सभी गतिविधियाँ इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही की जाती हैं।
फण्ड की स्वीकृति : ट्रस्ट किसी भी व्यक्ति, सरकार या किसी अन्य धर्मार्थ संस्थानों से दान, अनुदान, सदस्यता, सहायता या योगदान को नकद या अचल संपत्ति सहित किसी भी तरह से बिना किसी शुल्क या टैक्स दिए स्वीकार कर सकता है। लेकिन वह इस शर्त के साथ प्राप्त किसी भी ऐसे फण्ड को स्वीकार नहीं करेगा जो ट्रस्ट के उद्देश्यों से असंगत है।
निवेश : न्यासियों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे न्यास की निधियों का कुशल तरीके से प्रबन्धन करें। वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए निकट भविष्य में जिन निधियों की आवश्यकता नहीं है, उन्हें प्रतिभूतियों, बैंकों और अन्य निवेशों में उसी तरह निवेश किया जाना चाहिए जैसे एक विवेकपूर्ण व्यक्ति करेगा।
न्यासियों की शक्ति : ट्रस्टी ऐसा कोई कार्य नहीं कर सकते जो ट्रस्ट डीड में उल्लिखित उनकी शक्तियों से परे हो। ट्रस्टियों को आम तौर पर ट्रस्ट के समग्र आचरण और प्रबन्धन के लिए जो शक्तियां दी जाती हैं वे निम्नलिखित हैं :
कर्मचारियों की नियुक्ति, 
ट्रस्ट सम्पत्तियों को बेचना, बदलना, विवादित मामलों को निपटाना या अलग करना
ट्रस्ट द्वारा संचालित किसी कम्पनी या ट्रस्ट के नाम से और ट्रस्ट की ओर से ही बैंक खाते खोलें। 
ट्रस्ट की ओर से मुकदमा दायर करें। 
किसी भी उपहार, दान या योगदान को स्वीकार करें। 
ट्रस्ट में धन का निवेश करें। 
ट्रस्ट आदि के प्रबन्धन देखें।

लेखा और लेखा परीक्षा :  ट्रस्टियों को ट्रस्ट की सभी संपत्तियों, देनदारियों, आय और व्यय के खातों की उचित पुस्तकों को बनाए रखने की आवश्यकता होती है और चार्टर्ड एकाउण्टेंट द्वारा खातों का लेखा-जोखा भी रखने का व्यवस्था किया जाता है।
डब्ल्यू एण्डिङ्ग अप :  कम्पनी के समापन की स्थिति में, ट्रस्ट की सम्पत्ति ट्रस्टियों को हस्तांतरित नहीं की जाएगी। उन्हें किसी अन्य समान ट्रस्ट या संगठन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जिनके उद्देश्य इस ट्रस्ट के समान हैं, जो कि चैरिटी कमिश्नर/कोर्ट/किसी अन्य कानून की अनुमति के साथ लागू हो सकते हैं।

शनिवार, 28 अगस्त 2021

आर्यों का देश है अजर्बैज़ान

आर्यों का देश अजर्बैज़ान

अजर्बैज़ान का बाकु है कश्यप ऋषि के प्रपौत्र और सूर्यवंशी राजा इक्ष्वाकु की जन्म भूमि

हरिवंश पुराण में वैशम्पायन ऋषि के द्वारा वर्णित एक कथा और महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत नामक ग्रन्थ में वर्णित प्रसंग के अनुसार सूर्यवंशी राजा इक्ष्वाकु के वंश में उत्पन्न एक दुराचारी राजा ने अपने छोटे भाई हर्यश्व को अपने राज्य (बाकु) से निकाल दिया था। तब वे वनों में भटकते हुए पूरब के देश की ओर चले गए थे। वहीं उनकी भेंट दानव राज मधु की बेटी मधुमती से हुआ। जो इनके रूप और पौरुष से आकर्षित होकर विवाह करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन राज्यहीन हो चुके हर्यश्व ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। तब मधुमती ने यह कह कर स्त्री अपने जीवन में एक ही पुरुष की कामना करती है, मैंने आपको पति मान लिया है तो अब आपके अलावा किसी अन्य पुरुष की कल्पना भी नहीं कर सकती। ऐसे में यदि आप मुझे ठुकरा देंगे तो मैं आजीवन कुवांरी रह लुंगी। इस पर हर्यश्व ने राजकुमारी मधुमती के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिये और उनके साथ वन में ही रहने लगे। कई दिनों से वन में रहने के बाद राजकुमारी ने अपने पिता का आशीर्वाद लेने की इच्छा से उन्हें लेकर अपने जन्मभूमि आभीर देश में चली गई तथा अपने पिता को अपने विवाह से लेकर राजकुंवर हर्यश्व के कुल और वंश के बारे में बताते हुए पूरी आपबीती सुना दी। तब दयालु स्वभाव के दानव राज मधु ने अपने राज्य का आधा भाग जो गिरनार और रैवतक पर्वत से घिरा हुआ था अपनी बेटी को सौंप कर हर्यश्व को वहाँ के राजा बना दिए और आधा भाग अपने बेटे लवण को देकर तपोवन में चले गए। राजा हर्यश्व ने अपने राज्य को नये निर्माण से इतना सजाया की वह अपने सुन्दरता के कारण दूर-दूर तक सुराष्ट्र के नाम से जाना जाने लगा। जो कालान्तर में सौराष्ट्र के नाम से भी विख्यात हुआ। इसी सौराष्ट्र के निवासी पूरी दुनियां की जानकारी रखने वाले कौशिक गोत्रीय ब्राह्मणों के साथ व्यापार करने के लिए इक्ष्वाकु और हर्यश्व नामक अपनी ने पूर्वजों की जन्मभूमि पर जब भी आते थे इसी स्थान पर विश्राम करते तथा अपनी शान्ति और सुरक्षा के लिए सभी देवी-देवताओं में श्रेष्ठ माने जाने वाले कौशिक विश्वामित्र भगवान के पुत्र अग्निदेव के प्रतीक अग्नि कुण्ड में हवन (होम) कर के नटराज शिव और विघ्नविनाशक गणेश-कार्तिकेय की पूजा करते थे। सौराष्ट्रियन व्यापारियों के द्वारा निर्मित बाकु के इस आरामगाह में आगंतुुक लोगों के विश्राम के लिए हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध थी। फायर टेम्पल नामक बाकु के इस मन्दिर में नटराज शिव और गणेश भगवान की प्रतिमा सहित भोजन और विश्राम करने के जगह को भी दिखाया गया है। इसके बावजूद वह मन्दिर वहां के स्थानीय लोगों में पौराणिक विश्राम गृह के बजाए Ateshgah temple के नाम से ही प्रसिद्ध है। यह पुरातात्विक स्थान न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है बल्कि दो राष्ट्रों के संस्कृतियों का संगम स्थल और सामाजिक सौहार्द का भी प्रमाण है। यकीनन यह इस्लाम और क्रिश्चियनिटी धर्म के अभ्युदय के पूर्व की संस्कृतियों के लोगों के अनुपम प्रेम और विश्वास का ऐतिहासिक स्मारक ही है। देखें आर्यों के देश अजर्बैज़ान में स्थित बाकु नामक प्रान्त और बाकु में स्थित सौराष्ट्रियन लोगो के द्वारा निर्मित आरामगाह और होम करने के लिए निर्मित अग्निदेव के मन्दिर की तस्वीरें :
नटराज शिव की आकृतियुक्त दीपक


विघ्न विनाशक गणेश की मूर्ति
अग्नि का प्राकृतिक कुण्ड
 
कुम्भी बैस कहलाने वाले ब्राह्मणशाही कौशिकों का पारम्परिक भित्तिचित्र
 
अग्नि मन्दिर के प्रवेश द्वार पर पर्शियन लिपि में लिखा हुआ शिलालेख














गुगल मैप पर अजर्बैज़ान में स्थित पुरातात्विक महत्व के इस जगह को देखने के लिए संलग्न लिंक पर क्लिक करें : 
https://maps.app.goo.gl/gdz8s8cxaFmY627V6 
Check out this review of Ateshgah temple on Google Map
https://goo.gl/maps/FQAqZTYHM7sFLjzK9

शनिवार, 21 अगस्त 2021

कविता : सवर्ण अछूत

हमको देखो हम सवर्ण हैं 
भारत माँ के पूत हैं,
लेकिन दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं।

सारे नियम सभी कानूनों
ने हमको ही मारा है,
भारत का निर्माता देखो,
अपने घर में हारा है।
नहीं हमारे लिए नौकरी,
नहीं सीट विद्यालय में।
ना अपनी कोई सुनवाई,
संसद या न्यायालय में।
हम भविष्य थे भारत माँ के,
आज बने हम भूत हैं।
बेहद दुःख है अब भारत में
हम सब 'नए अछूत' हैं।

दलित महज़ आरोप लगा दे,
हमें जेल में जाना है।
हम-निर्दोष! नहीं हैं दोषी,
यह सबूत भी लाना है।
हम जिनको सत्ता में लाये,
छुरा उन्हीं ने भोंका है।
काले कानूनों की भट्ठी,
में हम सब को झोंका है।
किनको चुनें, किन्हें हरायें?
सारे पाप के दूत हैं।
बेहद दुःख है अब भारत में
हम सब 'नए अछूत' हैं।

प्राण त्यागते हैं सीमा पर,
लड़ कर मरते हम ही हैं।
अपनी मेधा से भारत की,
सेवा करते हम ही हैं।
हर सवर्ण इस भारत माँ का,
एक अनमोल नगीना है।
इसके हर बच्चे-बच्चे का,
छप्पन इंची सीना है।
भस्म हमारी शिवशंकर से,
लिपटी हुई भभूत है।
लेकिन दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं।

देकर खून पसीना अपना,
इस गुलशन को सींचा है।
डूबा देश रसातल में जब,
हमने बाहर खींचा है।
हमने ही भारत भूमि में,
धर्म-ध्वजा लहराई है।
सोच हमारी नभ को चूमे
बातों में गहराई है।
हम हैं त्यागी, हम बैरागी,
हम ही तो अवधूत हैं।
बेहद दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' है। 

- कविता शीर्षक #सवर्ण_अछूत नामक यह रचना उदासी सन्त, कवि और समाजसेवी प्रसेनजित सिंह कौशिक उर्फ़ स्वामी सत्यानन्द के द्वारा स्वरचित मौलिक रचना है तथा उनकी कविता संग्रह "मेरा मन यायावर" से उद्धृत है।  राष्ट्रीय एकता तथा सामाजिक समरसता में बाधक बन रहे जाति, धर्म और लिंग आधारित आरक्षण के बजाए आर्थिक और सामाजिक स्थिति के आधार पर आरक्षण के कानून बनवाने के लिए इच्छुक लोगों से आग्रह है कि जात-पात आधारित वर्तमान क़ानूनों के कारण होने वाली आपबीती या अपने आस-पास के लोगों के साथ हो रहे परेशानियों को गद्य और पद्य में लिख कर या वीडियो रिकार्डिंग कर के मुझे जरूर भेजें। ताकि उन्हें इस ब्लॉग या हमारे संगठन की स्मारिका में जन जागरुकता हेतु सम्मिलित कर आपके सन्देशों को प्रचारित-प्रसारित किया जा सके। कृप्या यह सन्देश सवर्ण समाज के अपने मित्रों को जरूर फारवर्ड या अग्रसारित जरूर करें।

रविवार, 6 जून 2021

सनातन धर्म की रक्षा के लिए अम्बेर रियासत का योगदान

24 नवंबर 1675 की तारीख गवाह बनी थी कुम्भी बैस वंशीय एक सिख सरदार के सरदार बने रहने की। दोपहर का समय और जगह चाँदनी चौक दिल्ली में लाल किले के सामने जब मुगलिया सल्तनत के सबसे नीच शासक की क्रूरता देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था, तब भी उस सनकी शासक के डर से लोग चुपचाप फैसले का इंतजार कर रहे थे। वह शासक मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा की छल पूर्वक हत्या करवाने वाला वह कायर था, जिसने सल्तनत के लिए अपने भाईयों की हत्या कर के अपने पिता और पुत्र तक को कारागार में डाल दिया था। वह नराधम इस्लाम के विस्तार के नाम पर अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए बाधक बन रहे सिखों के गुरू श्री तेग बहादुर सिंह जी के खिलाफ़ जो फैसला सुनाने वाला था, उसे जानने के लिए लोगों का जमघट काज़ी के उस मंच की ओर लगा हुआ था, जहाँ तेग बहादुर जी का फैसला होने वाला था। सबकी साँसे उस परिणाम को जानने के लिए अटकी हुई थी जिसके मुताबिक अगर गुरु तेग बहादुर जी इस्लाम कबूल कर लेते तब बिना किसी खून-खराबे के सभी सिखों को मुस्लिम बनना पड़ता। औरंगजेब के लिए भी उस दिन का फैसला इज्ज़त का सवाल था। क्या मुसलमान और क्या सिख? तेग बहादुर सिंह जी की पत्नी गुजरी मइया और उनके पोतों को काज़ी के हवाले करने वाले धूर्त ब्राह्मणों के साथ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी राजपूतों पर छोड़ कर अपनी रोजी-रोटी में लिप्त निःशेष हिन्दुओं की भी सांसे उस दिन का फैसला सुनने के लिए अटकी हुई थी। अपने भाईयों के खून से हाथ धोने वाले बादशाह को देख कर भी सिखों के गुरु तेग बहादुर जी अपने आसन से नहीं उठे। सिखों के कारण मुसलमानों को अपना धर्म खतरे में दिख रहा था। छल, छद्म और क्रूरता के बल पर अपने धर्म के अनुयायियों का विस्तार करने वाले इस्लामिक हुकूमत का अस्तित्व खतरे में था तो दूसरी तरफ एक धर्म का सब कुछ दाव पर लगा हुआ था। ना कहते ही तेग बहादुर जी की गर्दन धर से अलग कर देने के लिए तैयार जल्लाद, काज़ी और औरंगजेब सहित हिन्दुस्तान को हिन्दुत्व विहीन कर देने के लिए तैयार नर पिशाचों से घिरे होने के बाद भी तेग बहादुर जी बेखौफ़ होकर आने वाले फैसले का इंतजार कर रहे थे। तय समय पर अदालती कारवाई शुरू हुआ और काज़ी ने सवाल किया-"तुम्हें हमारी शर्तें मंजूर हैं या नहीं? यदि तुम इस्लाम कबूल कर लोगे तब हमारी तरह ही तुम भी अपनी जमात के अगुआ बने रहोगे। तुम्हारी शान में कोई कमी नहीं आएगी। लेकिन अपनी जिद पर अड़े रहोगे तब काफ़िरों की तरह ही मारे जाओगे। तुम्हारे कारण तुम्हारा साथ देने वाले लोगों का भी यही अंजाम होगा। लेकिन यदि तुम इस्लाम को कबूल कर लोगे तब तुम्हारे साथ आने वाले लोग भी अपनी बर्बादी से बच जायेंगे। इसके लिए तुम्हें सल्तनत में एक ऊँचे ओहदे के साथ इनाम-इकराम भी दिलवा दूँगा। इसलिए सोच-समझकर जवाब दो। तुम्हें शाही जिन्दगी चाहिए या मौत? अपना जवाब हाँ या नहीं में देना। तुम्हें इस्लाम कबूल है या नहीं?" उस दिन की अदालती कारवाई का निर्णय तेग बहादुर जी के हाँ या ना पर निर्भर था। काज़ी सहित उस जगह पर स्थित कई शाही दरबारियों ने भी उन्हें हाँ कह देने के लिए मनाना चाहा था, मगर अम्बेर (आमेर) के राजा राम सिंह जिन्हें औरंगजेब के कारण ही अपने ज्येष्ठ पुत्र सरदार किशन सिंह बहादुर जी को बागी घोषित कर के सारे सम्बन्ध त्यागने के बाद भी अपनी रियासत से हाथ धोना पड़ा था, उनकी पकड़ तलवार की मूठ पर कसती जा रही थी। लेकिन परिस्थिति के कारण मजबूर होकर उन्हें भी काज़ी के फैसले का इंतजार करना पड़ा था। आखिर तेगबहादुर जी के इस्लाम स्वीकार करने से इंकार करते ही काज़ी ने उनका सिर कलम करने का फैसला लेते हुए उस पर तुरन्त अमल करने का आदेश दे दिया था। लेकिन तेग बहादुर सिंह जी परम प्रकाश के ध्यान में लीन होकर अपने धर्म पर अडिग रहे। आदेश सुनते ही आये दिन लोगों की कत्ल करने वाला जल्लाद भी अपनी मौत से बेपरवाह तेगबहादुर सिंह को बेखौफ़ ईश्वर के ध्यान में लीन देख कर तलवार उठाते समय काँप गया था। तेग बहादुर जी का सिर कटते ही अम्बेर के राजा राम सिंह! मुगलिया सल्तनत के साथ किये गये अपने पूर्वज़ों की सन्धि को तोड़ने का निर्णय ले चुके थे। ऐसे भी इसके लिए उन्हें औरंगजेब ने ही मजबूर किया था। पहले तो उसने सल्तनत के बादशाह शाहजहाँ के आदेश से दारा शूकोह का साथ देने के कारण उनके निर्दोष बेटे किशन सिंह जी को बागी घोषित कर उनकी जागीर और मालो-मकान सहित अम्बेर रियासत पर भी कब्जा कर के उनके पूर्वज़ों का महल खाली करने के लिए मजबूर कर दिया था। फिर उनके पिता मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा को ही अपने पौत्र किशन सिंह जी और दारा शूकोह को गिरफ्तार करने का आदेश देकर चारों दिशाओं में दौड़ा-दौड़ा कर परेशान किया था। फिर औरंगजेब ने ही दक्षिण अभियान में राजा जय सिंह जी के साथ भेजे हुए अपने आदमी के द्वारा उनके रात्रि भोजन में जहर डलवा कर छल पूर्वक हत्या करवाया था। उस घटना के पहले शाहजहाँ ने जब अपने पिता के खिलाफ़ बगावत किया था तब बादशाह जहाँगीर के आदेश पर मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा ने खुर्रम (शाहजहाँ) को गिरफ्तार कर के दरबार में पेश किया था। राजा जय सिंह बाबा के साथ हुए जंग में पराजित होकर गिरफ्तार किए जाने से हुई शर्मिन्दगी का बदला लेने के लिए शहजादा खुर्रम ने सल्तनत की बादशाहत हाथ में आते ही मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा के हाथों हुई हार का बदला लेने के लिए साजिशें रचने लगा था। मिर्ज़ा राजा जय सिंह जी के विरोध के बावजूद दुल्हे राय के नाम से मशहूर उनके पूर्वज़ राजा तेजकरण की याद में उनके पूर्वज़ों के द्वारा बनवाये गये तेजू महल पर जबरन कब्जा कर के शाहजहाँ नामक नामुराद ने उसमें अपनी बेगम का कब्रगाह बना दिया था।
सल्तनत के लिए हुए शहजादों की जंग में कई जंगों के अनुभवी और विजेता रह चुके उनके पिता राजा जय सिंह जी का ओहदा कम कर के उम्र में काफ़ी छोटे और अनुभवहीन जसवंत सिंह, सुलेमान शूकोह और दारा शूकोह जैसे लोगों के अधीन कर दिया था। सत्ता के लिए शाहजहाँ के शहजादों की जंग में अनुभवहीन और अहंकारी लोगों के अधीन रह कर शुजा, मुराद और औरंगजेब के विरुद्ध चलाये गये युद्ध अभियान में गलत नीतियों के कारण हुए हार का दोषारोपण भी उनके पिता मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा पर ही थोप कर उनको लगातार अपमानित करने का काम भी मुगलिया सल्तनत के लोगों ने ही किया था। पहले शाहजहाँ, दारा शूकोह और सुलेमान शुकोह और फिर औरंगजेब के द्वारा भी अपने पिता के अपमान की घटनाओं को याद करते हुए राजा राम सिंह भी अपने बेटे किशन सिंह की राह पर ही चलने का मन बना लिये थे। कहते हैं कि सिखों के गुरु तेग बहादुर सिंह की शहीदी की खबर सुनते ही औरंगजेब खुद चल कर उस जगह पर गया था, जहाँ गुरु तेग बहादुर जी का शीष कट कर गिरा हुआ था। जिस जगह पर तेग बहादुर जी का शीष कट कर गिरा था वहाँ पर आज शीषगंज गुरुद्वारा बना दिया गया है। जिस मस्जिद से कुरान की आयतें पढ़ कर यातना देने का फतवा जारी किया जाता था, वह मस्जिद भी उसी जगह पर है। दिल्ली के चाँदनी चौक में स्थित गुरुद्वारा शीष गंज कभी पूरे इस्लाम के लिये प्रतिष्ठा का विषय था। आखिरकार जब इस्लाम कबूल करवाने की जिद पर इसलाम ना कबूलने का हौसला अडिग रहा तब जल्लाद की तलवार चली थी और प्रकाश अपने स्त्रोत में समा कर लीन हो गया था। यह घटना भारत के इतिहास का एक ऐसा मोड़ था जिसने पूरे हिंदुस्तान का भविष्य बदलने से रोक दिया था। सिखों के गुरु तेग बहादुर जी जिन्होंने हिन्द की चादर बनकर तिलक और जनेऊ की रक्षा की थी उनके पुत्र और सिखों के अन्तिम गुरु गोविन्द सिंह जी के कहने पर सिखों ने अन्ततः जनेऊ को उतार फेंका तेग बहादुर सिंह तक को मूगलों के खिलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित करने वाले किशन सिंह बहादुर को इतिहासकारों ने भुला दिया है। मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा के पौत्र और राम सिंह के ज्येष्ठ पुत्र किशन सिंह धोला रियासत के जागिरदार और आमेर रियासत के उत्तराधिकारी तो थे ही दारा शूकोह के मित्र और मुख्य सेवक भी थे। अपने अदम्य साहस से औरंगजेब के खिलाफ़ धर्म युद्ध छेड़ने वाले वे पहले योद्धा थे, जिन्होंने धरमत की लड़ाई में औरंगजेब से पराजित होकर युद्ध क्षेत्र से भागे हुए दारा शूकोह का साथ देने के लिए शाहजहाँ के द्वारा मदद माँगने और अपने पिता के द्वारा शाहजहाँ की मदद करने के आदेश का पालन करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। आज तेग बहादुर सिंह जी और उनके पुत्र गुरु गोविन्द सिंह जी के वंश में कोई नहीं बचा है, जबकि दरगाही बाबा और लङ्गरा बाबा के नाम से प्रसिद्ध सरदार किशन सिंह बहादुर जी के वंशज़ अपनी जनेऊ और अपने परम्परिक रीति-रिवाजों के साथ आज भी आबाद हैं। धर्म रक्षार्थ जिस राजकुमार ने अपना सर्वस्व त्याग दिया, उन्हें अपनी जनेऊ पर इतराने वाले हिन्दुओं ने भी भुला दिया है। इनकी समाधि पटना में गङ्गा नदी के किनारे गाय घाट में स्थित श्री चन्द्र उदासी मठ के मुख्य द्वार के सामने आज भी स्थित है और स्थानीय लोगों में दरगाही बाबा की समाधि के नाम से प्रसिद्ध है। शाहजहाँ के दरबार में अपने पिता राजा राम सिंह के वकील के रूप में नियुक्त किये जाने के कारण ये आम लोगों में दरगाही बाबा के नाम से तो अपने साथी हिन्दुओं के लिए लङ्गर लगाने के कारण लङ्गरा बाबा के नाम से भी पहचाने जाते हैं। मैं इन्हीं का वंशज़ हूँ तथा आज भी हमारे वंशजों का घराना! लङ्गरा बाबा किशन सिंह का घराना कहलाता है। दादर के सूबेदार मलिक जीवन की हवेली के पास दारा शूकोह के साथ गिरफ्तार हुए किशन सिंह जी को मलिक जीवन और मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा की मदद से मुक्त कर के अपने परिवार के साथ भगा दिया गया था। 1659 ईस्वी में नांदेड़ से होते हुए पटना की ओर आते समय बाबा किशन सिंह जी के ज्येष्ठ पुत्र भेदिया के रूप में घुम रहे औरंगजेब के गुप्तचरों से बचने-बचाने के प्रयास में अपनी टोली से भटक कर नांदेड़ में स्थित अपने पूर्वज़ महाराजा भगवन्त दास के छोटे भाई भगवान दास की हवेली में शरण लिये थे। संयोग से वहीं पर गुरु गोविन्द सिंह से मुलाकात होने के बाद पटना में रह रहे अपने परिजनों के बारे में जानकारी मिल पायी थी। उस दौरान मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा और राजा राम सिंह जी के द्वारा भी गुप्त रूप से इन लोगों को आर्थिक सहायता दी जाती थी। जिसकी सूचना मिलने पर औरंगजेब ने उन दोनों के पीछे अपना गुप्तचर लगा दिया था। उन गुप्तचरों में एक ब्राह्मण जाति का वह कर्मचारी भी था जो मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा का भोजन बनाने और पड़ोसने की जिम्मेवारी सम्भालता था। उसी ने मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में रात्रि भोजन के समय मिर्ज़ा राजा जय सिंह बाबा को विषयुक्त भोजन परोस दिया था। जिसे खाते ही उनकी तबीयत खराब हुई और भोर होते-होते मौत के आगोश में चले गए थे। जात-पात और ऊँच-नीच के नाम पर हिन्दुओं की धार्मिक एकता को कमजोर करने वालों को आज भी होश नहीं आया है। 24 नवम्बर का यह इतिहास सभी को पता होना चाहिए। इतिहास के वो पृष्ठ जो पढ़ाए नहीं गये वाहे गुरु जी दी खालसा वाहे गुरूजी दी फ़तेह 🙏