शुक्रवार, 17 जून 2022

अग्निपथ के अग्निवीर कितनी करेंगे कमायी


AgnipathRecruitmentScheme

Background Investigation, खोज़ी खबर

अग्निपथ रिक्रूटमेंट स्कीम के तहत बहाल किये जाने वाले जवानों की शुरुआती वेतन 21,000/- रुपये होगी। जो सालोंसाल बढ़ते हुए 28000/- रुपये तक हो जाएगी। अग्निपथ रिक्रूटमेंट स्कीम नामक योजना के तहत बहाल होने वाले जवानों का वेतन दूसरे साल 23,100/- रुपये और तीसरे साल 25,580/- रुपये हो जाएगा। इस तरह से अपनी जरूरी आवश्यकतााओं में सेे कटौती करने के बावज़ूद ताउम्र 1,00,000 (एक लाख) रुपये की भी जुगाड़ नहीं कर पाने वाले परिवार के लोग भी अपने चार वर्षीय सेवा काल के दौरान 11,72,160/- रुपये तो वेतन के रूप में ही कमा लेंगे। इसके अलावा मात्र चार वर्षीय नौकरी पूरा कर के 24 वर्ष की आयु में अपना आगे का भविष्य अपनी इच्छा के अनुसार निर्धारित करने के लिए सेवानिवृत्त कर दिये जायेंगे। चार वर्षों की अवधि में नागरिकता के सभी अधिकारों और कर्तव्यों की शिक्षा लेने के बाद पेंशन के रूप में 11 लाख 71 हजार रुपये भी एकमुश्त प्राप्त करेंगे। जिसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए या अपना व्यापार शुरू करने के लिए कर सकेंगे। सरकार की इस योजना में कोई बुराई नहीं है। लेकिन कुछ लोगों का गिरोह इसके विरोध में रेल की पटरियां उखाड़ने और तोड़-फोड़ करके देश के संसाधनों को बर्बाद करने का काम कर रहे हैं, जो सर्वथा अनुचित है। 

केन्द्र सरकार की अग्निपथ योजना के तहत बहाल होने वाले युवाओं को कितनी कमाई होगी उसे संलग्न चार्ट से समझ सकते हैं। : 
पहला साल- 21,000×12= 2,52,000
दूसरा साल- 23,100×12= 2,77,200
तीसरा साल- 25,580×12= 3,06,960
चौथा साल- 28,000×12= 3,36,000
कुल वेतन का योग 11,72,160 रुपये 

रिटायरमेंट राशि 11,71,000 रुपये
कुल कमाई राशि का योग 23,43,160

मात्र चार वर्षों की सेवा अवधि में ही इतनी कमाई करने का अवसर देने वाला जॉब आर्मी की है। रहना-खाना, आर्मी का मुफ्त में प्रशिक्षण और इलाज़ आदि कई सुविधायें फ़्री है। मतलब यह है कि जो उम्र गलियों में क्रिकेट खेलने, नुक्कड़ों पर चाय और सिगरेट पीने में निकल जाती है, उन 4 सालों में 23 लाख 43 हज़ार 160 रुपये कमाने का सुअवसर भारत सरकार दे रहा है।

मात्र 17 से 23 साल की उम्र के लोगों के लिए यह योजना यूक्रेन और रूस में चल रहे युद्ध की विषम परिस्थितियों से निपटने के लिये यूक्रेन के सभी नागरिकों को सैन्य प्रशिक्षण की अनिवार्य शिक्षा कानून को देख कर शुरू किया है। आज विश्व में जो हो रहा है उससे निपटने के लिए इस तरह की योजना की आवश्यकता भी थी। मगर भारत को तोड़ने की साजिश करने वाले लोगों के उकसावे पर केन्द्र सरकार के द्वारा शुरू किये गये अग्निपथ योजना के विरोध में तोड़-फोड़ कर रहे हैं। अतः आप लोगों से अपील है कि देश विरोधी लोगों के उकसावे में आकर अपने ही हाथों अपना नुकसान नहीं करें। बल्कि अपने बच्चों को भारतीय सेना को ज्वाइन करने के लिए प्रेरित करें। विश्व मंच पर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी केन्द्र सरकार के पैसों से 4 वर्षों तक आपको आर्मी की ट्रेनिंग देंगे, साथ मे इतने सारे पैसे भी। जॉब वैसे भी नहीं है, बारवीं या ग्रेजुएशन करने के बाद सीधे अग्निपथ के रास्ते पर चले जाइए, यही आपका भविष्य है और हमारा भी।

उसके बाद 24-25 की उम्र में रिटायरमेंट के पैसों से अपना बिजनेस शुरू करें लीजिएगा,या इंडियन आर्मी की ट्रेनिंग के साथ गल्फ़ तो है ही, आर्मी का अनुशासन आपके बहुत काम आएगा। आपकी वर्तमान लाइफ जैसी अभी चल रही है, उससे बेहतर तय है। तो आप अग्निपथ योजना के विरोध का हिस्सा मत बनिए बल्कि ये समझिए कि, आप के लिए बल्क में, आर्मी तक नहीं पहुँचने देने का जो आरक्षण था अब वह ख़त्म हो चुका है।

अपना भविष्य सुरक्षित कीजिए और सोचिए 24 के उम्र में 0 से आर्मी ट्रेनिंग के साथ कुल मिला कर 11 लाख रूपये सैलरी के रूप में मिलने वाला पूरा पैसा अगर आप ख़त्म भी कर देते हैं तो रिटायरमेंट के वक़्त मिलने वाला 11 लाख 71 हज़ार रुपया कम नहीं है।

देश में 50% लोग ऐसे हैं जो पूरी उम्र में इतना पैसा नहीं कमाते जो  4 साल में अग्नीपथ से आयेंगे।💞
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शुक्रवार, 10 जून 2022

सबसे सस्ता गोल्ड बेचने वाले देश


आइये हम जानते हैं कहाँ मिलता है World's Cheapest Gold

दुनिया के इन देशों में मिलता है सबसे सस्ता सोना, लेकिन भारत में इसे सीमित मात्रा में ही ला सकते हैं। 
आपको बता दें कि दुनिया कई देशों में सोने के दाम भारत से 15 प्रतिशत तक कम किमत में मिलते हैं। लेकिन उन देशों की सूची में मुख्य रूप से कौन-कौन देश सम्मिलित हैं और उन देशों से कितना सोना भारत ला सकते हैं, आइए जानते हैं उनके बारे में।

विश्व में सबसे सस्ता सोना :

दुनिया के इन देशों में मिलता है सबसे सस्ता सोना, लेकिन भारत सीमित मात्रा में ही सोना ला सकते हैं।

दुनिया के कई देशों में Gold की दीवानगी सिर चढ़कर बोलती है। स्विटजरलैंड के ज्यूरिख शहर में लोगों को अच्छा और बेहतर सोना मिल सकता है, दुनिया में पर्यटन का एक प्रमुख केन्द्र दुबई भी गोल्ड का एक बड़ा हब है।
 
मानव सभ्यता के हजारों वर्षों के इतिहास में जिस चीज़ से इंसान ने बेइंतहा प्यार किया है, वह है सोना! सोने को लेकर इंसान की इसी दीवानगी ने सोने को दुनिया की सबसे बहुमूल्य धातुओं में से एक बना दिया है। यही कारण है कि सोने को मुश्किल दिनों का साथी भी कहा जाता है। दुनिया में तेल के बाद सबसे अधिक पैसा सोने में निवेश किया जाता है। 

सोने को लेकर दीवानगी सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देशों में इसकी दीवानगी सिर चढ़कर बोलती है। हम सभी ने विभिन्न अखबारों, मैग्ज़ीन्स, फिल्मोर और समाचारों में दुबई के बारे में जो तस्वीरें देखी और पढ़ी है उसमें दुबई का नाम सोने की सर्वाधिक तस्करी करने वाले देशों की सूची में पहला स्थान है। दुबई में जितने भी प्रसिद्ध गोल्ड मार्केट हैं वहां की दुकानों में भरे हुए जेवरात देख कर आँखें चौंधिया जाती है। ऐसे में आपके मन में भी सवाल उठ रहा होगा कि क्या वहां सोेना इतना सस्ता है? जी हां, दुनिया में कई देशों में सोने के दाम भारत से 15 प्रतिशत तक कम हैं। आइए जानते हैं इन देशों के बारे में.. 

दुबई :
सस्ते सोने के मामले में दुबई का मुकाबला शायद ही कोई दूसरा देश कर पाए। दुनिया में पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र दुबई गोल्ड का भी एक बड़ा हब है। यहां की सरकार सोने पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगाती है, यह भी यहां सस्ता सोना मिलने का एक प्रमुख कारण है। यहां का दिएरा एक ऐसी जगह है, जहां गोल्ड सूक एरिया गोल्ड शॉपिंग का हब माना जाता है। 

स्विट्जरलैंड :
आपको स्विट्जरलैंड का नाम सुनकर स्विस बैंक का ख्याल जरूर आता होगा। लेकिन स्विटजरलैंड दुनिया भर में गोल्ड के लिए भी फेमस है। स्विस वॉचेज़ अपनी डिजाइनर गोल्डन घड़ियों के लिए काफी मशहूर है। इस देश में सोने का अच्छा कारोबार होता है। स्विटजरलैंड के ज्यूरिख शहर में लोगों को अच्छा और बेहतर सोना मिल सकता है। यहां हैंडमेड डिजाइनर गहनों के साथ आपको काफी वैरायटी मिलती है। 

हांगकांग :
एक समय ब्रिटिश कोलोनी रहे हांगकांग में टैक्स की रियायतें भी भरपूर हैं। ऐसे में चीन का यह स्वायत्त क्षेत्र दुनिया भर में गोल्ड शॉपिंग के लिए भी मशहूर है। हांगकांग में आपको सोना बेहद कम कीमत पर मिलता है। मालूम हो कि यह विश्व का सबसे एक्टिव गोल्ड ट्रेडिंग मार्केट में से एक है। 

थाईलैंड :
अपने सुंदर बीच और पर्यटन केंद्रों के लिए मशहूर थाईलैंड भी दुबई की तरह ही सस्ते सोने का केंद्र है। थाईलैंड के बैंकॉक में आप कम कीमत में अच्छी क्वालिटी का सोना खरीद सकते हैं। थाईलैंड के चाइना टाउन में यावोरात रोड सोना खरीदने के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। यहां आपको बहुत कम मार्जिन में गोल्ड मिल जाता है और साथ ही अच्छी वैरायटी भी होती है। 

भारत :
अगले आलेख में आप पढ़ सकते हैं भारत के नये कस्टम रूल्स और भारत में कहाँ मिलता है सबसे सस्ता सोना? 🤔

भारत ला सकते हैं कितना सोना? 

सवाल उठता है कि थाइलैंड से लेकर दुबई तक आप सस्ता सोना खरीद सकते हैं। लेकिन विदेशों में खरीदा सोना क्या भारत लाया जा सकता है, इस पर टैक्स कितना देना होगा, आपको इस पर भी गौर करना चाहिए। देश में सोने के सिक्के गहने आदि लाने को बड़ी सख्ती से केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाली सेंट्रल इनडायरेक्ट टैक्स और कस्टम ने गाइड फॉर ट्रैवलर्स जारी की गई है। इसमें आपको बताया गया है कि विदेश से आप कितना सोना ला सकते हैं।

ये है ड्यूटी चार्ज :
जो नागरिक एक साल से विदेश में रह रहे हैं, वे अधिकतम 40 ग्राम सोना ही ला सकते हैं
यात्रियों को सीमा से अधिक गोल्ड लाने पर ड्यूटी कनवर्टिबल करेंसी में देना होता है।
गोल्ड बार, तोला बार जिस पर  मैन्युफैक्चर का नाम सीरियल नंबर लिखा होता है, 12.5 प्रतिशत की दर से सरचार्ज देना होता है।
अन्य प्रकार के गोल्ड जैसे कि पत्थरों या मोतियों से जड़े गहनों के अलावा 12.5 प्रतिशत ड्यूटी के साथ 1.25% समाज कल्याण सरचार्ज लगाया जाता है।


विस्तृत जानकारी के लिए हमारे संगठन Kaushik Consultancy Intelligence Bureau के वेब ऐड्रेस https://fb.me/kcib.in पर उपलब्ध लिंक्स के द्वारा अपने सवाल हमें भेज सकते हैं।

बुधवार, 8 दिसंबर 2021

Importance of Investigative Journalism

खोज़ी पत्रकारिता के महत्व और चुनौतियां 

(यह रिपोर्ट इंवेेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का प्राइवेट इंवेस्टिगेशन सर्विस का व्यवसाय करने वाले लोगों के साथ केस-मुकदमों से पीड़ित लोगों के लिए भी है। अतः इसे जरूर पढ़ें। हो सकता है कि यह आपके काम आये।)

डॉ चन्द्रशेखर नामक इसी अधीक्षक के कहने पर
इंजुरी रिपोर्ट बनाने से मना किया गया था NMCH के कर्मचारियों को


केसीआईबी, पटना। 
एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ (प्रोफेसर) चन्द्र शेखर के अधीन 528 बेड्स से सुसज्जित तमाम जरूरी सुविधाओं से सम्पन्न नालन्दा मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल! आकस्मिक चिकित्सा, जाँच और रिपोर्टिंग का दावा करता है। मगर आपराधिक हमलों के शिकार मरीजों की चिकित्सा और सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं देता है। हालांकि इस बात की एनएमसीएच प्रशासन लिखित घोषणा नहीं करता है मगर यहाँ इलाजरत मरीजों के साथ आये दिन होने वाली घटनाओं और कर्मचारियों के द्वारा किये जाने वाले दुर्व्यवहार की शिकायतों के बाद खोज़ी पत्रकारिता की सेवा देने वाली मेरी कम्पनी Kaushik Consultancy Intelligence Bureau के द्वारा शुरू किए गए प्रारम्भिक जाँच के दौरान ही दिखे स्पष्ट संकेतों और पुख्ता सबूतों से साबित होता है। खाजेकलां थाना काण्ड संख्या 402 /2019 के अनुसार हरनाहा टोला, देवी स्थान के पास रहने वाले अखिलेश सिन्हा नामक एक ट्रैफ़िक पुलिस की सोलह वर्षिय नाबालिग बेटी स्थानीय अपराधी नीरज कुमार के द्वारा किये गये जानलेवा हमले में जख्मी होने के कारण दिनांक 18.09.2019 से ही पटना के NMCH में इलाजरत थी। अखिलेश सिन्हा की वह बेटी एक राज्य स्तरीय महिला तैराक होने के साथ एनसीसी और इप्टा की सदस्य भी है। प्रियंका श्रीवास्तव नामक उस बेटी को अस्पताल के कर्मचारियों और आसपास के मरीज़ों के भरोसे छोड़ कर अखिलेश सिन्हा दवा लाने के लिए गये हुए थेे, तब अकेलेपन का फायदा उठाते हुए वहाँ के कर्मचारियों ने प्रियंका श्रीवास्तव को डिस्चार्ज स्लीप थमा कर यह कहते हुए हॉस्पिटल से नाम काट दिया कि "तुम्हारा कोई पुलिस केस नहीं है, चलो भागो यहाँ से"। मात्र सोलह साल की नाबालिग बच्ची जिसे हाल में ही आठ-दस अपराधियों के द्वारा बूरी तरह मार-पीट कर जख्मी कर दिया गया था उसके ऊपर उस समय जो बीत रही होगी उसकी आप भी कल्पना कर सकते हैं। अपने घर-परिवार से दूर अनजान लोगों के बीच अस्पताल के कर्मचारियों की कटुक्तियों से सहमी हुई वह नाबालिग लड़की जिस तरह की मानसिक तनाव से जूझ रही होगी, आप उसेे महसूस भी कर रहे होंगे। अस्पताल के कर्मचारियों को डिस्चार्ज स्लिप देने के लिए उसके अभिभावक के आने तक इंतजार करना चाहिए था। मगर सुनियोजित साजिश के तहत उस काण्ड की शिकार बच्ची को डराने के लिए ही धरती के भगवान समझे जाने वाले डॉ प्रोफेसर चन्द्रशेखर के यूनिट में कार्यरत कर्मचारियों का दुरुपयोग किया गया था। एन.एम.सी.एच. के जिन कर्मचारियों के भरोसे अपनी बच्ची को छोड़कर अखिलेश सिन्हा दवा और रिपोर्ट आदि लाने के लिए गये हुए थे, उन्हीं लोगों ने दिनांक 21.09.2019 को जख्मी प्रियंका श्रीवास्तव को पूरे वदन में दर्द और सिर चकराने की शिकायत के बाद भी जबरन अस्पताल से बाहर कर दिया था। 


इस घटना की सूचना 21 तारीख को लगभग 03:00 बजे के करीब मिलते ही मैं अपनी टीम के साथ पीड़ितों के पास पहुंच गया था। जब मैंने पुलिस केस से सम्बन्धित डॉक्युमेंट्स देखने के लिए एन.एम.सी.एच. की गोपनीय शाखा के इंचार्ज पंकज मिश्रा से पूछताछ किया तो उन्होंने बताया कि "प्रियंका श्रीवास्तव के नाम से जख्म-प्रतिवेदन बनाने के लिए अभी तक न तो कोई आवेदन प्राप्त हुआ है और न ही स्थानीय थाना से ही किसी कर्मचारी ने इसके लिए सम्पर्क किया है। अतः आपका कोई पुलिस केस नहीं बनता है।" जबकि इस केस के आइ.ओ. ने अपना बचाव करते हुए इस आरोप को निराधार बताते हुए तत्परता पूर्वक सभी कानूनी कारवाई विधिवत् करने की बात कही है। इस मामले की छानबीन करने पर पता चला कि खाजेकलां थाना काण्ड संख्या 402/2019 के आई.ओ चन्द्र शेखर शर्मा ने शिकायतकर्ता की जख्मी बेटी प्रियंका श्रीवास्तव का इलाज कर के जख्म-प्रतिवेदन बनाने के लिए आवेदन गुरू गोविंद सिंह हॉस्पिटल के अधीक्षक को दिया था। लेकिन उस अस्पताल ने पीड़िता का जख्म प्रतिवेदन बनाने के बजाए जख्मी मरीज की नाक से हो रहे अधिक रक्त श्राव को देखते हुए सीटी स्कैन करवाने का निर्देश देकर मरीज को NMCH, Patna मे रेफर कर दिया था। NMCH के नाम से प्रसिद्ध पटना के इस राजकीय हॉस्पिटल में जाने पर भी मरीज को भर्ती करने के लिए उसके परिजनों को काफी मसक्कत करना पड़ा था। लगभग चार घण्टों के बाद बिहार सरकार के मंत्री नन्द किशोर यादव की पैरवी पर उसे भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन ऊपरी कमाई के लिए अपनी जमीर बेचने वाले चिकित्सकों ने प्रियंका श्रीवास्तव के हमलावर नीरज कुमार के इशारे पर मामले को रफा-दफा करने के लिए चाल चलना शुरू कर दिया था। नियमतः अधीक्षक के द्वारा अपने यूनिट में जख्मी मरीज को भर्ती करते ही स्थानीय थाना प्रभारी को सूचित करना चाहिए था ताकि स्थानीय थाना में जख्मी मरीज का फर्द बयान दर्ज कर के जख्म-प्रतिवेदन बनाने की कारवाई की जाती। मगर अधीक्षक ने स्थानीय थाना को इसकी सूचना नहीं देकर मरीज की इंजूरी रिपोर्ट बनाने के काम में जान-बूझकर रोड़ा अटकाने का काम किया था। इस केस के आई.ओ. या थाना प्रभारी का भी घटना स्थल पर नहीं आना तथा अस्पताल में भर्ती मरीज से भी कोई बयान न लेना, ननबेलेबल एक्ट का मामला होते हुए भी जान-बूझकर हल्की धाराओं के तहत मामला दर्ज करना तथा हफ्तों बाद भी आरोपी को गिरफ्तार न किया जाना साबित करता है कि समस्त सरकारी महकमा आरोपी के प्रभाव में कार्य कर रहा था। इसके कारण भयभीत अखिलेश सिन्हा और उसके परिजन हमें बार-बार फ़ोन करके दोषियों को गिरफ़्तार करवाने का आग्रह कर रहे थे। 


प्रारम्भिक जाँच से वह मामला मुझे ज्यादा संगीन नहीं लग रहा था। लेकिन जब एक दिन पटना के ट्रेफिक पुलिस के रूप में कार्यरत सिपाही अखिलेश सिन्हा रात में 07:00 बजे अपनी पत्नी और बेटी के साथ अचानक हमारे घर पर पहुंच कर मदद की गुहार करने लगे, तब मामले की गम्भीरता पर यकीन हुआ। उन लोगों ने मुझे बताया कि "पुलिस किसी भी दोषी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है। इसके कारण वे लोग बेखौफ हो गये हैं। पुलिस भी उनसे मिली हुई है। जिसका लाभ लेकर वे लोग मेरी बेटी और पत्नी को डराने के लिए मेरे दरवाजे के सामने रोज फायरिंग कर रहे हैं।" अपने घर से छः-सात किलोमीटर दूर स्थित मेरे आवासीय कार्यालय में वे लोग घनघोर वर्षा में भिंगते हुए आये थे। जिसके कारण मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि मामला गम्भीर रूप ले चुका है। काम का समय खत्म हो जाने के बाद भी अपने वकील को बुला कर रात में ही मामले के सम्बन्ध में आवश्यक पूछताछ किया। फिर अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए उस मामले को रफा-दफा करवाने के प्रयास में शामिल थाना से लेकर अस्पताल के कर्मचारियों, अधिकारियों सहित एक-एक आरोपितों के खिलाफ़ पर्याप्त साक्ष्य की व्यवस्था करने के लिए निर्धारित शर्तों पर कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। जिनके द्वारा मुझे वह कॉन्ट्रैक्ट मिला था उनकी भी सहमति मिलते ही रात्रि 09:00 बजे आरक्षी अधीक्षक पटना के आवास पर जाकर सविस्तार घटना के बारे में सुचित किया और डरे-सहमे लोगों की शिकायत की वास्तविकता जानने के लिए रात्रि 10:30 बजे के करीब शिकायतकर्ताओं के साथ उनके घर पर जाकर आस-पास के माहौल का मुआएना किया था। उस क्रम में अगले दिन उस मामले से सम्बन्धित सभी भ्रान्तियों का निराकरण करने के लिए आरोपित और प्रत्यारोपित सभी लोगों से मिला। पीड़ितों ने मुझसे कहा था कि आरक्षी अधीक्षक को अपराधियों ने पचास हजार रुपया दिया है, इसके कारण पुलिस मेरी मदद नहीं कर रही। एसपी ही मेरा काम नहीं होने दे रहा है। इसके बावजूद मैंने उनकी सहायता करने की सहमति देते हुए छानबीन शुरू कर दिया। 


इस केस में मैने पहली बार ऐसे व्यक्ति को देखा जो मेरे सोकर उठने से पहले ही मेरे घर में आकर बैठ जाता। उसकी जिद के कारण मुझे जहाँ भी जाना होता उसे अपने साथ ले जाना पड़ता था। उस समय मैं खुद Winging of Scapula से पीड़ित होने के कारण घोर आर्थिक किल्लत से जूझ रहा था, इसके कारण वह केस अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। हालांकि अपने क्लाइंट के जिद्दी स्वभाव के कारण मैं स्वतंत्र होकर काम नहीं कर पा रहा था। इसके बावजूद आरक्षी अधीक्षक पूर्वी पटना, वरीय आरक्षी अधीक्षक पटना, आरक्षी उपाधीक्षक पटना सिटी और एनएमसीएच के अधीक्षक सहित उस घटना से सम्बन्धित कर्मचारियों और आम लोगों से भी व्यक्तिगत रूप से मिलते हुए सम्बन्धित मामले की जानकारी जुटाता रहा। इस दौरान जब पीड़ित व्यक्ति साये की तरह पीछे पड़ा हो तब वाद-विवाद होना लाजिमी है। इसके बावजूद जब झगड़ा-झंझट और खतरे मोल लेकर पर्याप्त साक्ष्यों की व्यवस्था होते ही मैंने शर्त के अनुसार अपराधियों की गिरफ्तारी के पहले अपने कॉन्ट्रैक्ट के आधे पैसे की माँग किया, तब अपराधियों का नाम सुनते ही थर-थर काँपने वाला ट्रैफिक पुलिस अखिलेश सिन्हा ने मुझ पर आरोप लगाते हुए कहा कि "आपको अपने दुश्मनों के यहाँ भी जाते हुए हम देखे हैं। इसलिए मुझे आप पर भरोसा नहीं है। पहले इन लोगों को गिरफ्तार करवाइए, उसके बाद सारा पैसा एक ही बार में ले लीजियेगा। इसके पहले मैं एक भी पैसा नहीं दुँगा।" काफी समझाने पर भी जब वह नहीं माना तो उसकी मंशा समझ कर मुझे बैरङ्ग लौटना पड़ा था। लेकिन घर लौटने के बाद मुझे इस बात की जानकारी हुई कि अखिलेश सिन्हा ने बहस के दौरान ही जिस समय मैं अपना बैग सिटी कोर्ट में स्थित अपने चाचा जी के चैम्बर में ही छोड़ कर कुछ देर के लिए बाहर निकला था, उसी दौरान अखिलेश सिन्हा ने मेरे पास मौजूद अपने साक्ष्यों वाला फाइल गायब कर दिया था। जो यकीनन चोरी की ही घटना थी। लेकिन पटना के मुसल्लहपुर नामक बस्ती में महारानी गैस एजेंसी चलाने वाले जिस व्यक्ति के द्वारा उस सिपाही से मेरी परिचय हुई थी, उसके द्वारा मेरा पैसा दिलवाने की गारंटी दिये जाने के कारण मैं चुप रहा। लेकिन उस धोखाधड़ी के बाद मैंने वह केस छोड़ दिया था। इसके बावजूद मुझे काफ़ी दिनों तक उस मामले को मैनेज़ करने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों के कॉल आते रहे थे। मैं चाहता तो अखिलेश सिन्हा से ज्यादा रकम आरोपित युवक नीरज कुमार से ले कर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकता था। लेकिन मेरे लिए सिद्धांतों से बढ़कर कुछ भी नहीं है। 


मुझे बाद में पता चला कि कुछ अपराधियों को उस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन अब उस मामले से मुझे कोई लेना देना नहीं था। फिर भी छानबीन करने के दौरान हुए खर्च की वसूली के लिए जैसे ही अखिलेश सिन्हा से दूबारा सम्पर्क किया उसने कुछ नशेरियों से फोन करवा कर मुझे भी रंगदारी माँगने के आरोप में फँसाने की धमकी देने लगा। बस इतना होते ही मैं अखिलेश सिन्हा नामक सिपाही को अच्छी तरह से समझ गया और भूल चुके मामले की नये सिरे से छानबीन करने के लिए पुनः जुट गया था। तब जाकर यह स्पष्ट हुआ कि अपनी बेटी की इज्ज़त लूटने की कोशिश करने का विरोध करने पर जानलेवा हमला करने का आरोप अखिलेश सिन्हा ने अपनी बेटी से जबरन लगवाया था। दरअसल वह मामला जमीनी विवाद का मामला था। जिसके कारण हुए छिटपुट झड़प के दौरान बीच-बचाव कर रही अखिलेश सिन्हा की बेटी प्रियंका श्रीवास्तव अपने घर के सामने स्थित फिसलन वाली सड़क पर खुद ही गिर गई थी और ईट के ढेर पर मुँह के बल गिरने के कारण उसकी नाक की हड्डी टूट गई थी। फिर क्या था सच्चाई सामने आते ही मैं समझ गया कि खुद को पीड़ित दिखाने वाला ट्रैफिक पुलिस अखिलेश सिन्हा हर समय मेरे पीछे क्यों पड़ा रहता था। 


इस मामले की छानबीन करने के दौरान मुझसे जिस तरह की चूक हो गयी थी, इसी तरह अनुसन्धान के कार्य में लगे पुलिसकर्मियों से भी गलती हो जाती है। हालांकि पुलिसकर्मियों द्वारा तैयार किया गया अधिकांश जाँच रिपोर्ट झूठा, मनगढ़ंत और रिश्वत ले-देकर बनवाया हुआ होता है। इसके कारण समय-समय पर पुलिस कर्मियों के विरुद्ध आवाजें भी उठती रही हैं। इसके कारण केस-मुकदमों से पीड़ित लोगों सहित केस दर्ज करवाने वाले लोगों को भी प्राइवेट इंवेस्टिगेशन सर्विस देने वाले कम्पनियों व खोज़ी पत्रकारों की सेवा जरूर लेनी चाहिए। लेकिन इस तरह का काम करने वाले लोगों को भी मेरी नसीहत है कि इस तरह के काम भावुक होकर न करें। न ही किसी के दबाव में काम करें। बल्कि पूरी तरह से एक पेशेवर की तरह दी जाने वाली सेवाओं की सूची, उसके लिए निर्धारित सेवा शुल्क व आवश्यक शर्तों का उल्लेख करते हुए अपनी कम्पनी का काँट्रैक्ट एग्रीमेंट/बॉण्ड प्रपत्र बना लें। जब भी कोई केस हाथ में लें तब उस प्रपत्र पर विधिवत रूप से एग्रीमेंट जरूर करवायें। इस तरह का बन्ध-पत्र इसलिए भी जरूरी है ताकि दोनों पक्षों का एक-दूसरे के प्रति विश्वास बना रहे। मैं इसलिए ऐसी नसीहत दे रहा हूँ क्योंकि ऐसे कई मामलों में मैंने अपने हजारों रुपये खर्च कर के लोगों के काम तो करवा दिया लेकिन अन्त में पेमेंट के लिए नोक-झोंक और अधिकांश मामलों में धोखा ही पाया हूँ। 


अतः प्राइवेट इंवेस्टिगेशन का काम करने वाले लोगों को मेरी नसीहत है कि आप जरूरत से ज्यादा समाजसेवी न बने, बल्कि एक प्रोफेशनल की तरह काम करें। क्योंकि आपके पास पैसा होगा तभी अपने घर में भी इज्ज़त होगी। प्राइवेट इंवेस्टिगेटर की सेवा लेने वाले लोगों से भी आग्रह है कि इस तरह की धोखाधड़ी नहीं करें। क्योंकि खाजेकलां थाना काण्ड संख्या 402/2019 के जिस केस को मैनें रास्ते पर लाकर छोड़ दिया था उसके आरोपी पुलिस अखिलेश सिन्हा की जीती हुई बाजी को मैने न सिर्फ़ पलट दिया था बल्कि अपनी गिरफ्तारी के डर से फरार चल रहे मुख्य आरोपी को गिरफ्तार होने से बचा भी दिया था। अतः कभी भी अपने मददगार से धोखाधड़ी न करें। 


इस मामले में आरोपित लोग भले ही बेगुनाह थे लेकिन इलाज़रत युवती का जख्म प्रतिवेदन नहीं बना कर एनएमसीएच के डॉक्टरों ने अपराध तो कर ही चुका था। उन लोगों ने इस मामले में आरोपित नीरज कुमार से मिले हुए रिश्वत के लोभ में ऐसा किया था, जो पूरी तरह से गैरकानूनी और दण्डनीय अपराध है। फिर भी NMCH के जो अधीक्षक और खाजेकलां थाना के पुलिस अधिकारी मेरा नाम सुनते ही अपने चैम्बर से गायब हो जाते थे उन लोगों से भी जब दुबारा मुलाकात हुई तब उस केस के मामले में परेशान करने के लिए माफ़ी माँगते हुए सच्चाई बता दिया था, ताकि हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध सभी तरह के लोगों से बना रहे। हालांकि उस मामले में फँस रहे लोगों ने मुझे भी रिश्वत की रकम में हिस्सेदारी देने की पेशकश की थी। लेकिन अपने उसूलों के कारण उनकी चाय तक पीने से इंकार कर दिया था। लेकिन लगता है कि इस देश में ईमानदारी से काम करने वाले लोगों को हर जगह धोखा ही मिलता है। इसके बावजूद धोखेबाज़ लोगों के लिए जब सारे दरवाजे बन्द हो जाते हैं तब भी ऐसे धोखेबाज़ लोग हमारे जैसे लोगों के पास ही आते हैं। क्योंकि ऐसे लोग भली-भांति जानते हैं कि इमानदारी से काम करने वाले लोग दयालु होते हैं और धोखा देने वाले लोगों से भी मीठे बोल सुनते ही पुरानी बातें भूल जाते हैं। 


ऐसे लोगों के द्वारा मुझे इस्तेमाल करने के लिए अभी भी ढूंढा जा रहा है। मैं भी अपनी आदतों से लाचार हूँ। मुझसे ही धोखेबाज़ी करने वाले लोग भी जब मेरे शरण में आ जाते हैं तो उन्हें अपने क्षात्रोचित संस्कारों के कारण मदद करने से इंकार नहीं कर पाता हूँ। जबकि मैं जानता हूँ कि अजमेर के राजा पृथ्वी राज चौहान की गिरफ्तारी भी शरण में आये हुए दुश्मनों को माफ़ करने के कारण ही हुआ था। फिर भी आशा करता हूँ कि मदद माँगने वाला हर आदमी धोखेबाज़ नहीं होता है। क्योंकि ऐसे लोगों को भी मैंने देखा है जो चाहे लाख मुसीबत में क्यों न हों लोगों के सामने हाथ नहीं फैलाते हैं। ऐसे लोगों में अपने ही लोगों के द्वारा धोखा खाते-खाते टूट चुके लोग भी होते हैं। अतः आपके साथ भी यदि गलत हो रहा है और उसके कारण आपकी नींद तक उड़ चुकी है। अपने झंझावातों से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है तो हमसे निःसंकोच होकर मिलें। हो सकता है की यहाँ पर आपकी समस्या का समाधान हो जाए। लेकिन ध्यान रहे अब मैंने बिना एग्रीमेंट करवाये किसी भी केस में हाथ लगाना छोड़ दिया है। एग्रीमेंट होने से दोनों पक्षों में एक-दूसरे के प्रति विश्वास बना रहता है। 💞



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मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

तांत्रिक अनुष्ठान के लिए प्राइवेट इंवेस्टिगेटर का महत्व



तांत्रिक अनुष्ठानों से भी होता है घरेलू समस्याओं का समाधान

एक निजी जासूसी एजेंसी आपके लिए व्यक्तिगत जांच से सम्बन्धित मामलों की जिम्मेदारी को सम्भालती है। एक व्यक्ति के रूप में अदालती मामलों में पड़ने पर आपको भी केस लड़ने की आवश्यकता हो सकती है। शादी, नौकरी या ब्रेकअप के बारे में निर्णय लेने के लिए आपको व्यक्तिगत डेटा या जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। किसी कारणवश पारिवारिक, सामाजिक या कानूनी सहायता नहीं मिलने पर किसी भी व्यक्ति को जटिल समस्याओं या मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में एक जासूसी एजेंसी और न्यूज़ एजेंसी सहित सामाजिक संगठनों की भी मदद की आवश्यकता होती है। जो एकमात्र कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (केसीआईबी) ही दे सकती है। क्योंकि यह एजेंसी 20 वर्षों से भी अधिक समय से व्यक्तिगत जांच और परामर्श सहित हर तरह की सहायता और सेवा एक जिम्मेदार संगठन की तरह दे रही है। संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड आपकी मदद करने की हमारी क्षमता के बारे में बताता तो है ही हमारे प्रति लोगों के विश्वास को प्रमाणित भी करता है। उन क्षेत्रों को देखें जहां केसीआईबी के संस्थापक प्रसेनजित सिंह "स्वामी जी" ने अपनी विशेष पहचान बना ली है। अपने इन्हीं विशेषताओं के कारण ये सहजता पूर्वक आपके समक्ष उत्पन्न सभी तरह की समस्याओं के जांच-पड़ताल करवा सकते हैं। :

पारिवारिक
सामाजिक 
आपराधिक 
व्यवसायिक 
आध्यात्मिक 

इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत यह संगठन देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए पीड़ित लोगों को जन-जागरूकता हेतु गठित सामाजिक संगठनों की सहायता भी दिलवाता है। साथ ही प्रेम सम्बन्धों में असफलता, पारिवारिक तनाव, सम्पत्ति विवाद, झूठे केस-मुकदमों और वास्तुदोष आदि मामलों में तांत्रिक अनुष्ठानों के द्वारा अलौकिक शक्तियों से कोई ऐसा चमत्कार या करिश्मा भी करवा देता है जिसकी आप कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। इस कम्पनी ने ऐसे कई काम करवायें हैं जिसके बारे में संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 
सम्बन्धित जानकारी के लिए आप मेरे फ़ेसबुक और ट्विटर हैंडल पर फॉलो करेें।

इसके लिंक्स हैैं : - 
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🗺️ तकनीकी कारणों से हमारी वेबसाइट kcib.com काम नहीं कर रहा है। लेकिन इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। 

इसके बावजूद हमारी कम्पनी ग्राहकों की सुरक्षा के लिए हरेक जांच कानूनी सीमाओं के भीतर करती है। उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता हमारी कम्पनी केसीआईबी का आधार है। 

क्या इस तरह की सर्विस देने वाली कम्पनी की जरूरत आपने कभी महसूस किया है? यदि हाँ तब किस स्थिति में? नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी या सन्देश लिख कर सबमिट कर दें। यदि अपना सन्देश गुप्त रखना चाहते हैं तो हमारे फेसबुक पेज़ के संलग्न लिंक http://kcib.in को फॉलो करें तथा इसी पेज़ पर दिये गये व्हाट्सएप नम्बर या मैसेंजर के लिंक के द्वारा सम्पर्क करें। आपका सन्देश मिलते ही हमारे प्रतिनिधि आपको स्वयं कॉल कर के आपकी जिज्ञासा का समाधान करेंगे।

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सोमवार, 8 नवंबर 2021

क्यों जरूरी है प्राइवेट इंवेस्टिगेशन

प्राइवेट इंवेस्टिगेशन के लिए विश्वसनीय कम्पनी है केसीआईबी

प्राइवेट इंवेस्टिगेशन एजेण्ट के द्वारा साक्ष्य संकलन 


देश के सभी मेट्रो शहरों में अपराध दर तेजी से बढ़ रहे हैं। महामारी के दौरान साइबर अपराधों के साथ व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट स्तर के अपराधों में जितने वृद्धि हो रहे हैं उतने ही व्यक्तिगत जांच की मांग भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में एक पेशेवर जासूसी एजेंसियों की जरूरत होती है। एक ग्राहक के रूप में, आपको समर्थन देने के लिए विशाल अनुभव वाले एक सक्षम एजेंसी की आवश्यकता होती है। क्योंकि ऐसे बहुत से मामलों में मैनें देखा है कि सरकारी सुरक्षा एजेंसियां भी अपहरण और गुमशुदगी के मामलों को सामान्य घटना बता कर रफा-दफा कर देती है। जबकि KCIB जैसी प्राइवेट डिटेक्टिव सर्विस प्रदान करने वाली कम्पनी के द्वारा अपहरणकर्ताओं का सुराग मिलते ही क्लोज़ कर दिये गये मामलों को भी दुबारा शुरू करना पड़ा है तथा अपहृत लोगों को मुक्त करवा कर दोषी लोगों को कोर्ट में हाजिर होने के लिए मजबूर किया गया है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सरकारी एजेंसियों से सम्बन्धित अधिकांश लोग भ्रष्टाचार में आकण्ठ डूबे हुए हैं और बैठे-बिठाये पूरा वेतन पाने के लिए निश्चिंत हैं, जबकि प्राइवेट एजेंसियों में काम करने वाले लोगों को पारिश्रमिक पाने के लिए अपना काम दिखाना पड़ता है। भले ही प्राइवेट एजेंसियों की आमदनी सुनिश्चित नहीं होती है लेकिन अपनी छवि चमकाने के लिए अपने काम के प्रति पूरी तरह इमानदार होते हैं। 


यही कारण है कि अधिकांश लोग सरकारी जांच एजेंसियों के चक्कर में पड़ने के बजाए बिहार की राजधानी पटना में स्थित केसीआईबी (KCIB) जैसे प्राइवेट एजेंसियों पर भरोसा करते हैं। 


केसीआईबी (KCIB) पटना में सबसे अच्छी प्राइवेट डिटेक्टिव सर्विस देने वाली कम्पनी है। अतः बेफिक्र होकर इस जांच एजेंसी पर भरोसा करें। यह क्राइम रिपोर्टर और खोज़ी संवाददाता सहित प्राइवेट डिटेक्टिव के रूप में लम्बे समय तक कार्य कर चुके अनुभवी समाजसेवी के द्वारा संचालित कम्पनी है। ये सभी तरह के खोज़ और अनुसन्धान सम्बन्धित जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्षों की विशेषज्ञता के बाद इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवम् मध्यम उद्यम मंत्रालय के द्वारा पंजीकृत संगठन केसीआईबी के प्रोपराइटर बन कर आपकी सेवा के लिए उपलब्ध हैं।


केसीआईबी सिर्फ़ न्यू्‍ज़ एजेंसी ही नहीं है बल्कि इंफार्मेशन सर्विस के लिए भी पंजीकृत होने के कारण आम लोगों के लिए एक अनुभवी, प्रतिष्ठित और शीर्ष जांच एजेंसी भी है।

केसीआईबी (KCIB) पटना की शीर्ष जांच एजेंसी क्यों है?


केसीआईबी अर्थात् कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक कम्पनी खोज़ी कार्यों में रुचि रखने वाले वैसे पत्रकारों की टीम है जो जाति, धर्म और लिंग आधारित कानूनोंं के कारण खुद को अकेले और उपेक्षित समझ रहे थे। जीवन के लिए जरूरी शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार जैसे हरेक मामलों में भेद-भाव आधारित सरकारी योजनाओं और कानून के कारण बढ़ते अन्याय के विरुद्ध पिछड़ते जा रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए कुछ अनोखा पहल करना चाहते थे। इसके लिए पत्रकारिता के व्यवसाय से जुुड़े प्रसेनजित सिंह नामक समाजसेवी ने अपने जैसे युवा पत्रकारों को संगठित कर के पहले तो Sawarn Fans Club नामक एक संगठन बना कर Socio-economic Reservations के लिए जागरुकता अभियान चलाया। लेकिन इनके साथ जुड़ने वाले लोगों ने गरीब और असहाय लोगोंं की परवाह किये बगैर Reservations के कानून का ही विरोध करते हुए राजनीति करने लगे तब समान विचारधारा वालेे समाजसेवियों और पत्रकारों के सहयोग से सभी जाति के शोषित और पीड़ित लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक एक स्वत्वाधिकारी कम्पनी बनाना पड़ा। ताकि न सिर्फ़ उच्छृङ्खल व्यवहार करनेेे वाले लोगों से इस संगठन को बचाया जा सकेे बल्कि इससे जुड़ने वाले लोगों को गोपनीयता और विश्वसनीयता की गारंटी भी दिया जा सके। परस्पर सहयोग की आकांक्षा से समान विचारधारा वाले लोगों की सहायता से इस कम्पनी ने एक के बाद एक कई पेचीदे मामलों का निपटारा किया। मगर इसके लिए होनेे वाले खर्चों के लिए कोई स्थाई स्त्रोत न होने के कारण इस कम्पनी को मुफ़्त में दी जाने वाली सभी सुविधाएं बन्द करनी पड़ी। मगर गरीब-गुरबों को जरूरी परामर्श आज भी निःशुल्क देती है। 

KCIB के संस्थापक और सदस्यगण

केसीआईबी में सफल जांच-पड़ताल करने के लिए ईमानदार मगर रोमाञ्चक और साहसपूर्ण कार्यों में रुचि रखने वाले देशभक्तों, लेखकों, पत्रकारों, सेवानिवृत्ति सैन्य अधिकारियों, समाजसेवियों तथा कलाकारों की एक टीम है। जो KCIB के लिए जरूरत पड़ने पर सलाहकार, प्रशिक्षक व खुफिया संवाददाता का काम तो करता ही है संदिग्ध आतंकियों व भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों-कर्मचारियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उनके विभागीय लोगों के द्वारा ही निगरानी भी करता और करवाता है। इस तरह भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था बनाये रखने के लिये इस कम्पनी की टीम सरकारी जाँच एजेंसियों की भी गुप्त रूप से मदद करती है। ऐसे कार्यों के लिए हमारे पास पूरे भारत में डिटेक्टिव सर्विस का एक सहज नेटवर्क हो इसके लिए प्रयत्नशील भी है। कानूनी पृष्ठभूमि वाले जो लोग हमें हर जांच के लिए रणनीति बनाने में मदद करते हैं उनमें कई लोग सामाजिक संगठनों के संचालक और समाचार पत्रों के सम्पादक भी हैं। इस कम्पनी के साथ मिल कर सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों के द्वारा डिटेक्टिव सर्विस देने वाली अन्य कम्पनी के सदस्यों तथा पत्रकारों को खोजी पत्रकारिता और उत्कृष्ट जासूसी सेवा देने के लिए सम्मानित भी करती है। 

मार्केट में पहले से स्थापित जांच एजेंसियों के मुकाबले हमारी कम्पनी अपने सीमित संसाधनों के बावज़ूद अपने जोखिम पर हर तरह की उत्कृष्ट सुविधाएं देने के लिए प्रयत्नशील है। भले ही यह अर्थ के अभाव में संघर्ष के दौर से गुजर रहा है लेकिन इसके द्वारा किये गये कार्यों के परिणाम देख कर लोगों का केसीआईबी नामक इस कम्पनी के प्रति विश्वास बढ़ता जा रहा है। हालांकि यह सच है कि निजी जांच के कार्यों का परिणाम उसके लागत के आधार पर अवश्य प्रभावित होता है। इसके कारण बेहतर परिणाम पाने के लिए सरकारी जाँच एजेंसियों की अपेक्षा नीजी एजेंसियों का शुल्क मँहगा पड़ता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि अपने कर्तव्यों के प्रति इमानदारी बरतने के बजाए अधिकांश मामलों में सरकारी अनुसन्धान अधिकारीयों के द्वारा फर्जी और मनगढ़ंत अनुसन्धान रिपोर्ट बना कर सच को झूठ तथा झूठ को सच बनाने का काम किया जाता है। जो घटना कभी हुआ ही नहीं उसे सच्ची घटना बताने के लिए और जो घटना वास्तव में घटित हुआ है उसे झूठा साबित करने के लिए फर्जी गवाहों के लिस्ट भी बना देते हैं। ऐसे में गुप्त रूप से प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों से भी जांच करवाने पर प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के फर्जी अनुसन्धान रिपोर्ट को झूठा साबित कर के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ भी कानूनी कारवाई करवाया जा सकता है। 

हमारी कम्पनी उपभोक्ताओं की समस्या का सन्तोषजनक समाधान प्रदान करने के लिए विभिन्न मामलों के खोज़ और अनुसन्धान करती है, मगर मुख्य रूप से जिस तरह के मामलों में हमारे एजेण्ट्स को विशेषज्ञता प्राप्त है उसकी सूची देख सकते हैं :
1. व्यक्तिगत जांच सेवाएं
2. कॉर्पोरेट जांच सेवाएं
3. कानूनी सेवाएं
4. समाचार सेवाएं

उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इन सेवाओं को विभिन्न सेक्टर्स में बांटा गया है :

मैट्रीमोनियल इन्वेस्टिगेशन

वर या वधु की तलाश

विवाह पूर्व जांच

विवाहोपरान्त जांच

दहेज़ उत्पीड़न की जांच

पारिवारिक उत्पीड़न की जाँच

संदिग्ध व्यक्तियों की जांच

फरार व्यक्ति की खोज़

गुमशुदा व्यक्ति की खोज़

डूबे हुए व्यक्ति की खोज़

खोए हुए वस्तुओं की खोज़

चोरी हुए वस्तुओं की खोज़

इम्प्लाइमेण्ट इन्वेस्टिगेशन :

रोजगार के पूर्व सत्यापन

रोजगार के बाद सत्यापन

किराएदार की जांच-पड़ताल

व्यक्ति के द्वारा धोखाधड़ी की जांच

कम्पनी के द्वारा धोखाधड़ी की जांच

इसके लिए आपको एक पेशेवर और अनुभवी निजी जासूसी एजेंसी की आवश्यकता होगी और वह कम्पनी है KCIB के नाम से प्रसिद्ध तथा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत कम्पनी Kaushik Consultancy Intelligence Bureau. 

यह कम्पनी आपके कानूनी मामलों के साक्ष्य प्राप्त करने के लिए हर तरह के जासूसी के काम करने में सक्षम तथा अनुभवी है। वर्तमान में कानूनी लड़ाई जीतने के लिये आपके पास ठोस सबूत होना जरूरी है। इसके बगैर लोग निर्दोष होते हुए भी अक्सर हार जाते हैं। जिसका कारण झूठे गवाह और झूठे सबूत भी होते हैं। ऐसे में यदि आपके लिये कोई गवाही देने के लिए तैयार न भी हो तो ठोस सबूत के आधार पर आप हारे हुए मुकदमों को भी जीत सकते हैं। यही कारण है कि सफल अदालती लड़ाई के लिए आपको ठोस सबूत चाहिए। ऐसे मामलों को देखने वाले KCIB के विशेषज्ञ जासूस पहले यह पता करते हैं कि अपने ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए उन्हें क्या करना है। उसके बाद जांच की रणनीति बनाते हैं। इस दौरान पूरी तरह से गोपनीयता बनायी रखी जाती है। क्योंकि अक्सर उपभोक्ताओं की लापरवाही के कारण ऐसे मामलों में किये जाने वाले जांच अभियान पूरा होने से पहले ही बन्द करना पड़ता है और जांच सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। अतः उपभोक्ताओं की लापरवाही के कारण जासूसी के कार्य बीच में ही छोड़ने पर भी उपभोक्ताओं को पूरा शुल्क देना होता है। अतः अनुसंधान के कार्य में गोपनीयता सबसे महत्वपूर्ण है। साक्ष्यों या सबूतों को प्राप्त करने के बाद भी KCIB के एजेण्ट ग्राहकों की पहचान को किसी तीसरे पक्ष के सामने उजागर नहीं करते हैं तथा आशा करते हैं कि उनके उपभोक्ता या ग्राहक भी कम्पनी के एजेण्टों की पहचान को गोपनीय रखें। क्योंकि ऐसे कार्यों के लिए गोपनीयता सबसे ज्यादा जरुरी है। एक बार हमारी कम्पनी को निजी जांच का काम सौंप देते हैं, तो हमारे ग्राहकों के लिए तनावमुक्त होकर आराम करने और त्वरित तथा सकारात्मक समाधान की प्रतीक्षा करने का समय आ जाता है। क्योंकि KCIB (कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो) की इंवेस्टिगेशन सम्बन्धित मामलों में सफलता दर अन्य जाँच एजेंसियों की अपेक्षा सबसे अधिक है।

आपको अपने व्यक्तिगत जांच सेवाओं के लिए KCIB (केसीआईबी) की तरह ही एक निजी जासूसी एजेंसी या इंवेस्टिगेटर की आवश्यकता है तो http://m.me/kcib.in या ईमेल ऐड्रेस kcintelligencebureau@blogger.com पर हमसे सम्पर्क करें। हमारी यह सूचना आपको कैसी लगी? कृृप्या इसके बारे में अपना विचार, परामर्श या टिप्पणी नीचे दिए गए कमेेंट बॉक्स में अवश्य लिखें। 

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एक निजी जासूसी एजेंसी आपके लिए व्यक्तिगत जांच मामलों की जिम्मेदारी को सम्भालती है। एक व्यक्ति के रूप में अदालती मामलों में पड़ने पर आपको भी केस लड़ने की आवश्यकता हो सकती है। शादी, नौकरी या ब्रेकअप के बारे में निर्णय लेने के लिए आपको व्यक्तिगत डेटा या जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। किसी कारणवश पारिवारिक, सामाजिक या कानूनी सहायता नहीं मिलने पर किसी भी व्यक्ति को जटिल समस्याओं या मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में एक जासूसी एजेंसी और न्यूज़ एजेंसी सहित सामाजिक संगठनों की भी मदद की आवश्यकता होती है। जो एकमात्र कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (केसीआईबी) ही दे सकती है। क्योंकि यह एजेंसी 20 वर्षों से भी अधिक समय से व्यक्तिगत जांच और परामर्श सहित हर तरह की सहायता और सेवा एक जिम्मेदार संगठन की तरह दे रही है। संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड आपकी मदद करने की हमारी क्षमता के बारे में बताता तो है ही हमारे प्रति लोगों के विश्वास को प्रमाणित भी करता है। उन क्षेत्रों को देखें जहां केसीआईबी के संस्थापक प्रसेनजित सिंह "स्वामी जी" ने अपनी विशेष पहचान बना ली है। अपने इन्हीं विशेषताओं के कारण ये सहजता पूर्वक आपके समक्ष उत्पन्न सभी तरह की समस्याओं के जांच-पड़ताल करवा सकते हैं। :

पारिवारिक
सामाजिक
आपराधिक
व्यवसायिक
आध्यात्मिक

इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत यह संगठन देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए पीड़ित लोगों को जन-जागरूकता हेतु गठित सामाजिक संगठनों की सहायता भी दिलवाता है। साथ ही तांत्रिक अनुष्ठानों के द्वारा अलौकिक शक्तियों से कोई ऐसा चमत्कार या करिश्मा भी करवा देता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इस कम्पनी ने ऐसे कई काम करवायें हैं जिसके बारे में संलग्न ट्रैक रिकॉर्ड से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
सम्बन्धित जानकारी के लिए आप मुझे फ़ेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करेें। इसके लिंक्स हैैं -
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🗺️ तकनीकी कारणों से हमारी वेबसाइट kcib.com काम नहीं कर रहा है। लेकिन इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। 

इसके बावजूद हमारी कम्पनी ग्राहकों की सुरक्षा के लिए हरेक जांच कानूनी सीमाओं के भीतर करती है। उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता हमारी कम्पनी केसीआईबी का आधार है। 

क्या इस तरह की सर्विस देने वाली कम्पनी की जरूरत आपने कभी महसूस किया है? यदि हाँ तब किस स्थिति में? नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी या सन्देश लिख कर सबमिट कर दें। यदि अपना सन्देश गुप्त रखना चाहते हैं तो हमारे फेसबुक पेज़ के संलग्न लिंक http://kcib.in को फॉलो करें तथा इसी पेज़ पर दिये गये व्हाट्सएप नम्बर या मैसेंजर के द्वारा सम्पर्क करें। आपका सन्देश मिलते ही हमारे प्रतिनिधि आपको स्वयं कॉल कर के आपकी जिज्ञासा का समाधान करेंगे।


Information services of KCIB

Personal Investigation Services/व्यक्तिगत जांच सेवाएं

Personal Investigation Service

व्यक्तिगत जांच सेवाएं :
भारत में तलाक के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सम्पत्ति विवाद, पारिवारिक उत्पीड़न, लापता लोगों की तलाश, ठगी, रंगदारी और पुलिसकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां गहन जांच सेवाओं की आवश्यकता होती है। ऐसे किसी भी मामले में व्यक्तिगत जांच सेवाएं या प्राइवेट डिटेक्टिव सर्विस प्राप्त करने के लिए आप "कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" पर भरोसा कर सकते हैं। क्योंकि इस कम्पनी के संचालक अपराध संवाददाता, प्रूफ़रीडर, डिप्टी एडीटर और क्रियेटिव राइटर सहित खोज़ी पत्रकारिता का कार्य करते हुए विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों में वार्ड से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक के दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान प्राइवेट डिटेक्टिव की तरह खोज़ी पत्रकारिता का काम करते हुए कई केस-मुकदमों का निपटारा करवाने के कारण इंफॉर्मेशन सर्विस के क्षेत्र में 20 वर्षों से भी अधिक समय तक काम करने के अनुभवी हैं। वर्ष 2019 में ISO 2001-2008 सर्टिफाइड आर्गनाइजेशन भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवम् मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज़ के लिए पंजीकृत होने के बाद भी इस कम्पनी के द्वारा एक से बढ़कर एक पेचीदे और अनसुलझे मामलों का निपटारा कर के कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो ने अपने क्लाइंट्स को सन्तुष्ट कर चुका है। अतः आप भी सभी प्रकार के व्यक्तिगत मामलों के लिए हमारी कम्पनी के द्वारा Personal Investigation Service अर्थात व्यक्तिगत खोजी सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।


विवाह पूर्व लड़का/लड़की का चरित्र परिक्षण

विवाह पूर्व जाँच व दूल्हा/दुल्हन का चरित्र परीक्षण :
आजकल दहेज़ प्रताड़ना के जूठे केस-मुकदमों के कारण सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी, आपराधिक छबि बनने के कारण हुई बदनामी, हत्या, आत्महत्या, गृहत्याग और सामाजिक विरक्ति की बढ़ती हुई घटनाओं को देखते हुए जिस परिवार के साथ वैवाहिक सम्बन्ध बनाने की सोच रहे हैं उसके पृष्ठभूमि की जांच करना नितान्त आवश्यक है। इसके बिना शादी करना आपकी भयंकर गलती साबित हो सकती है। इस मामले में लापरवाही बरतने के कारण घरेलू हिंसा और धोखाधड़ी के शिकार आप भी हो सकते हैं। आजकल फर्जी विवाह करवाने वाले गैङ्ग भी काफ़ी सक्रिय हैं। खासकर राजस्थान जैसे वैसे राज्यों में ऐसी घटनाएं ज्यादा हो रही हैं जहां लड़कियों की घटती संख्या के कारण विवाह करने के लिए लड़कियों की खरीद-फरोख्त की जाती है। राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के शहरी इलाकों में भी आपके या आपके रिश्तेदारों के पड़ोसी या मित्र बनकर आपको आसानी से शिकार बना सकते हैं। ..और ऐसा हो भी रहा है। ऐसे कार्यों के लिये लोग औनलाइन विवाह एजेंसियों और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का भी दुरुपयोग करते हैं। विवाह के लिए वर या वधु का झूठा बायोडाटा और झूठी पारिवारिक पृष्ठभूमि बता कर भी लोग अपने शिकार को फंसाते हैं।
ऐसे मामले पश्चिमी देशों के साथ-साथ भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अभी हाल ही में राजस्थान के गुलाबी शहर के नाम से प्रसिद्ध जयपुर सिटी में जब ऐसे गिरोह के पकड़े जाने का मामला अखबारों में आया तब ठगी करने वाली युवती की तस्वीर देख कर कई लोगों ने पुलिस के सामने आकर यह स्वीकार किया कि यह लड़की मुझसे भी शादी करने के बाद गहने-जेवर सहित फरार हो गई थी। ऐसी खबर "पत्रिका" नामक एक न्यूज़ लेटर पर भी आयी थी, जिसे आप संलग्न लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं।
✍️ https://m.patrika.com/jaipur-news/many-cases-of-fraud-through-marriage-in-the-city-2138647/


ऐसी खबरें अक्सर समाचारों में दिखाने के बाद भी लोगों में जागरूकता नहीं आई और फर्ज़ी शादी के बाद लुट-पाट की घटनायें लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विवाह पूर्व जांच करवाना नितान्त आवश्यक है। यदि आप भी ऐसे लोगों के चंगुल में फँसने से बचना चाहते हैं तो हमारी कम्पनी KCIB (कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो) के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर के द्वारा विवाह पूर्व वर/वधु के पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में गुप्त रूप से जांच करवा सकते हैं। क्योंकि विवाहोपरान्त दहेज़ प्रताड़ना के झूठे मुकदमों में फँसा कर ब्लैकमेल करने वाले लोगों, विवाहोपरान्त घर के गहने-जेवर लेकर फरार होने वाले लोगों और विवाहोपरान्त लूटपाट करने के लिए पारिवारिक सदस्यों की हत्या तक कर देने वाले लोगों के चंगुल में फँसने से बचने के लिए आप हमारी कम्पनी के द्वारा विवाह पूर्व जांच-पड़ताल करवा सकते हैं। क्योंकि ऐसे भावी समस्याओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है। इस तरह की जांच सेवाएं हमारी कम्पनी के अलावा अन्य कोई भी दूसरी कम्पनी नहीं देती है। हालांकि कुछ कम्पनियां दक्षिण भारतीय राज्यों सहित दिल्ली और कलकत्ता में सक्रिय जरूर हैं लेकिन उनकी सर्विस हमारी सर्विस की तरह कारगर और भरोसेमंद नहीं है। क्योंकि हमारे एजेंट्स भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के खिलाफ़ काम करने वाले वैसे सामाजिक संगठनों में भी शामिल हैं जो विभिन्न राज्यों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। अतः ऐसी जांच-पड़ताल करवाने के लिए आप निःसंकोच होकर हमारी सेवाएं ले सकते हैं।


विवाहोपरान्त संदिग्ध जीवनसाथी का चरित्र परीक्षण :
अगर आप अपनी पत्नी या अपने पति का किसी अन्य के साथ चलने वाले अफेयर की शंका का समाधान तलाश रहे हैं, यदि आप ऐसे नाजायज़ सम्बन्धों को साबित करने के लिए सबूत इकट्ठा करना चाहते हैं या अपनी पत्नी या अपने पति का ससुराल वालों के साथ मिलकर किसी तरह की साजिश रचने या धोखाधड़ी करने के कारण परेशान हैं, मगर उनके खिलाफ़ किसी तरह का ठोस सबूत नहीं है तो उसकी व्यवस्था करवाने के लिए हमारी कम्पनी "केसीआईबी" की सेवा ले सकते हैं। केसीआईबी का ही पूरा नाम है कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो।
आपकी केस लेते ही हमारी कम्पनी के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर गोपनीय तरीके से जांच शुरू कर देते हैं। वह इतनी गुप्त रहती है कि संदिग्ध लोगों को इसकी भनक तक नहीं लग पाती है। यदि आपका सन्देह सही साबित हुआ तो उसके साक्ष्य उपलब्ध करवायेंगे। लेकिन यदि झूठा और निराधार साबित हुआ तो आपके साथी या उसके परिवार को इसकी भनक तक नहीं लगने देंगे। इसके बाद आप चाहें तो निश्चिंत होकर अपने जीवनसाथी के साथ रह सकते हैं या उसकी पसन्द के अनुसार खुद को समायोजित कर सकते हैं। इस काम के लिए भी हमारी कम्पनी से जुड़े हुए समाजसेवियों की टीम काउंसिलिंग का काम करते हैं। क्योंकि हमारा उद्देश्य सिर्फ़ पैसे कमाना नहीं बल्कि पारिवारिक सम्बन्धों में आये दरार को पाट कर समाज में एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाना भी है। इसके कारण आप हम पर भरोसा कर सकते हैं।


वफादारी परीक्षण :
यदि आप यह जांचना चाहते हैं कि आपके पारिवारिक सदस्य, रिश्तेदार, मित्र, कर्मचारी, सहकर्मी या साथी आपके प्रति वफादार हैं या नहीं, तो हमारी कम्पनी केसीआईबी के एजेण्ट उसका पता लगाते हैं। जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, हमारे टीम के प्राइवेट इंवेस्टिगेटर्स उन गोपनीय तरीकों का इस्तेमाल कर के आपके लिए इंवेस्टिगेशन का काम करते हैं। इसके लिए परीक्षणों की जो श्रृंखला बनाते हैं वह किसी फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं होता है, बल्कि कामयाब और सराहनीय होता है। कुछ केस ऐसे भी होते हैं जिसके पोजिटिव परिणाम आम लोगों के लिए आश्चर्यजनक रूप से अकल्पनीय होता है। डिटेक्टिव स्टोरी वाले फिल्मी कहानियों की अपेक्षा हमारे संघर्ष की कहानियां ज्यादा जीवन्त और रोमाञ्चक होती हैं क्योंकि हमारे एजेण्ट्स असली हीरो होते हैं। वे इस दुनियां के असली रंगमंच पर असली खतरों का सामना करते हुए संकटग्रस्त लोगों की सहायता करने का असली काम करते हैं। इसके बावजूद फिल्मी दुनियां में काम करने वाले नकली हीरो की अपेक्षा बहुत कम फी लेकर भी आपके लिए डिटेक्टिव का काम करते हैं। जो काम न तो आपके द्वारा सम्भव है और न ही पुलिस-प्रशासन के द्वारा। हम उन्हें तमाम खतरों के बावज़ूद सम्पन्न कर के न सिर्फ़ आपको रिपोर्ट देते हैं बल्कि सन्तुष्ट भी करते हैं। कभी-कभी आपके लिए सबूतों की व्यवस्था करने के लिए हमें गैरकानूनी तरीके का इस्तेमाल करने का खतरा भी उठाना पड़ता है, जिसके चंगुल में फँसने पर हमारी कम्पनी सहित हमारे एजेण्ट्स को भी भारी क्षति का सामना करना पड़ता है। यहाँ तक कि इंवेस्टिगेशन के दौरान पकड़े जाने पर हमारे एजेण्ट्स की जान जाने का भी खतरा बना होता है। इसके बावजूद हम अपने कस्टमर्स के लिए गोपनीय जानकारी उपलब्ध कराने का काम करते रहते हैं। अतः आप सुन्दर समाज बनाने का सपना लेकर काम करने वाली हमारी इस कम्पनी से निःसंकोच होकर अपनी समस्याएं बतायें। आपकी जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखने की गारंटी देते हैं।


गुमशुदा व फरार लोगों की ट्रैकिंग :
क्या आपको अपने स्कूल या कॉलेज के किसी सहपाठी प्रेमी, प्रेमिका, मित्र या दुश्मन के घर का पता ढूंढने की जरूरत है? धोखाधड़ी कर के फरार या अपराधिक घटना को अंजाम देकर फरार लोगों की तलाश करने की ज़रूरत है? क्या आप अपने घर से लापता हुए पारिवारिक सदस्य के बारे में पता करवाना चाहते हैं? क्या आपका अपने किसी परिवारिक रिश्तेदार से सम्पर्क टूट गया है और आप उन्हें ढूंढना चाहते हैं? क्या किसी वाहन दुर्घटना के कारण आपके किसी पारिवारिक सदस्य की मृत्यु होने या गम्भीर रूप से घायल होने के बाद विकलांगता की समस्या उत्पन्न होने के कारण दोषी व्यक्ति का पता लगवा कर मुआवजा वसुलना चाहते हैं? यदि आपका जवाब हाँ है तो उन्हें ढुंढने में हम आपकी मदद कर सकते हैं। अक्सर ऐसे मामलों में अपने स्तर से छानबीन करने पर भी जब कुछ पता नहीं चल पाता है तब लोग मानसिक अवसाद के शिकार होकर घुटते रहते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं। इनमें से कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो पुलिसकर्मियों के पास मदद करने की गुहार लेकर जाते हैं। क्योंकि अक्सर सीधे-साधे लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों के कारण अधिकांश लोगों में पुलिस का चेहरा रक्षक के बजाए भक्षक का बन चुका है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकारा है। इसके बावजूद पुलिसकर्मी अधिकांश मामलों में सिर्फ़ रिश्वत देने वालों का ही काम करते हैं। पुलिसकर्मियों के असहयोगी रवैये के कारण मजबूर होकर रिश्वत देने वाले लोग यदि सीधे-साधे होते हैं तो उनसे रुपये लेने के बाद भी ऐसे अधिकांश मामलों को मनगढ़ंत और झूठा जांच रिपोर्ट बनाकर रफा-दफा कर देते हैं। ऐसे में भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ दर्ज करवाये गये अधिकांश मामलों को भी रफा-दफा कर दिये जाने के कारण हरेक साल हजारों लोगों का शासन-प्रशासन से विश्वास उठता जा रहा है। ऐसी स्थिति के कारण निराश और हताश लोगों सहित संकटग्रस्त, जरुरतमंद और असहाय लोगों की सहायता करने के लिए कौशिक सोसाइटी के अध्यक्ष ने वर्ष 94-1995 में ही समाजसेवा का काम शुरू किया था। मगर ऐसे कार्य करने वाले सभी संगठनों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को पंजीकृत करने के लिये सरकारी दबाव के कारण वर्ष 2019 में "कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" के नाम से पंजीकृत किया गया था। कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक यह कम्पनी अपने सौर्ट नेम "केसीआईबी" के नाम से जाना जाता है। जो अपने कार्यों और उपलब्धियों के कारण प्राइवेट डिटेक्टिव की सर्विस देने वाली बिहार की सबसे विश्वसनीय कम्पनी बन गई है। अतः लापता और फरार लोगों की तलाश करवाने के लिए आप भी हमारी कम्पनी की सेवा ले सकते हैं।


निगरानी :
कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो नामक हमारा संगठन मोबाइल सिक्युरिटी और वाचमैन के कार्यों सहित स्पाई कैमरों के द्वारा संदिग्ध लोगों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सेवा भी प्रदान करता है। ताकि किसी आपराधिक घटना के घटने पर दोषी लोगों की पहचान करने के लिए संदिग्ध लोगों से पूछताछ किया जा सके। व्यक्तिगत सिक्युरिटी चाहने वाले लोगों के भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों में संदिग्ध लोगों सहित संदिग्ध गतिविधियों पर भी नज़र रखने के लिए सिविल ड्रेस की तरह दिखने वाले खास ड्रेस कोड पहने केसीआईबी के एजेण्ट्स के द्वारा गुप्त रूप से निगरानी करने की सेवा सहित विडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सेवा भी प्रदान करते हैं। जरूरत पड़ने पर स्पाई कैमरों का भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे काम अन्य लोगों को जानकारी दिए बगैर गुप्त रूप से किये जाते हैं। ताकि संदेहास्पद लोगों को रंगे हाथ पकड़ा जा सके।


प्रेस कॉन्फ्रेंस और एडीटिंग सर्विस :
हमारी यह कम्पनी अपने क्लाइंट्स को सिर्फ़  डिटेक्टिव सर्विस ही नहीं देती है बल्कि भारत सरकार के द्वारा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए पंजीकृत होने के कारण न्यू्‍ज़ पेपर्स और न्यूज़ चैनल्स को स्पेशल न्यूज़, क्राइम रिपोर्ट्स और इंवेस्टिगेटेड न्यू्‍ज़ भी उपलब्ध कराता है। अपने क्लाइंट्स की बातों को मीडिया के माध्यम से सरकारी अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों और आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराता है। विभिन्न हिन्दीभाषी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के लिए अपनी एजेंसी से जुड़े हुए अनुभवी पत्रकारों को प्रूफ़रीडर और एडिटर का काम करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर उपलब्ध करवाने के साथ ट्रेनी संवाददाताओं को प्रशिक्षित करने का काम भी करता है। इन विशेेषताओं के कारण हमारी कम्पनी के द्वारा डिटेक्टिव सर्विस लेने वाले लोग हम पर ज्यादा भरोसा करते हैं। अतः अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हमसे निःसंकोच होकर मिलें।

 

पब्लिक कंसल्टेंसी कैम्पेन :
विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संंगठनो सहित समाचार पत्रों, पत्रिकाओं तथा TTSL में काम कर चुके अनुभवी पत्रकार द्वारा संचालित तथा इंफार्मेशन सर्विस एण्ड न्यू्‍ज़ एजेंसी एक्टिविटीज के लिए भारत सरकार के द्वारा पंजीकृत कम्पनी KCIB हर तरह के उपभोक्ताओं के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर पब्लिक कंसल्टेंसी कैैम्पन का आयोजन करवाती है। इसके अलावा देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मानसिक यंत्रणा से जूझ रहे लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए जन-जागरूकता अभियान भी चलाता है।

 

हस्तलेखन सत्यापन :
इस बात का प्रमाण चाहिए कि लिखावट मेल खाती है? धोखेबाज़ और घोटालेबाज लोग हर जगह हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कागजात की लिखावट आरोपित व्यक्ति का है या नहीं? इसकाा परीक्षण करने की सुविधा भी निकट भविष्य में दी जाएगी। हमारी लिखावट सत्यापन सेवा आपको प्रामाणिकता का विश्वास दिलाएगा।

हमारी अन्य सेवायें हैं :

क्रियेटिव राइटिंग :

प्रूफ़रीडिंग :

एडिटिंग :

ट्राँसलेटर/अनुवादक :

सर्वेक्षण :

सेल्स एण्ड मार्केटिंग :

"कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो" जिसे लोग इसके संक्षिप्त नाम KCIB (केसीआईबी) के नाम से जानते हैं, जरूरतमंद लोगों सहित प्रकाशन के कार्य से जुड़े हुए उद्यमियों को भी उनकी व्यक्तिगत जाँच-पड़ताल की ज़रूरतों में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नि:शुल्क परामर्श के लिये सम्पर्क करें :
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