सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

कौशिक कृत महर्षि भृगु साठिका


 । । महर्षि भृगु साठिका ।।

जिनके सुमिरन से मिटै, सकल कलुष अज्ञान।

सो गणेश शारद सहित, करहु मोर कल्यान।।

वन्दौं सबके चरण रज, परम्परा गुरुदेव।

महामना, सर्वेश्वरा, महाकाल मुनिदेव। ।

बलिश्वर पद वन्दिकर, मुनि श्रीराम उर धारि।

वरनौ ऋषि भृगुनाथ यश, करतल गत फल चारि। ।

🏺🌺🌹🌺🏺🌺🌹🌺🏺🌺🌹🌺🏺

जय भृगुनाथ योग बल आगर।
सकल सिद्धिदायक सुख सागर।। 1।।

विश्व सुमंगल नर तनुधारी।
शुचि गंग तट विपिन विहारी।।2।।

भृगुक्षेत्र सुरसरि के तीरा।
बलिया जनपद अति गम्भीरा। ।3।।

सिद्ध तपोधन दर्दर स्वामी।
मन-वच-क्रम गुरु पद अनुगामी। ।4।।

तेहि समीप भृग्वाश्रम धामा।
भृगुनाथ है पूरन कामा। । 5।।

स्वर्ग धाम निकट अति भाई।
एक नगरिका सुषा सुहाई। । 6।।

ऋषि मरीचि से उद्गम भाई।
यही महॅ कश्यप वंश सुहाई।।7।।

ता कुल भयऊ प्रचेता नेमी।
होय विनम्र संत सुर सेवी।।8।।

तिनकी भार्या वीरणी रानी।
गाथा वेद-पुरान बखानी। ।9।।

तिनके सदन युगल सुत होई।
जनम-जनम के अघ सब खोई। ।10।।

भृगु अंगिरा है दोउ नामा।
तेज प्रताप अलौकिक धामा।। 11।।

तरुण अवस्था प्रविसति भयऊ।
गुरु सेवा में मन दोउ लयऊ। ।12।।

करि हरि ध्यान प्रेम रस पागो।
आत्मज्ञान होवन है लागो।।13।।

परम वीतराग ब्रह्मचारी।
मातु समान लखै पर नारी।।14।।

कंचन को मिट्टी करि जाना।
समदर्शी तुम्ह ज्ञान निधाना।।15।।

दैत्यराज हिरण्य की कन्या।
कोमल गात नाम था दिव्या।।16।।

भृगु-दिव्या की हुई सगाई।
ब्रह्मा-वीरणी मन हरसाई। ।17।।

दानव राज पुलोमा भी आये।
निज सुता पौलमी को लाये।।18।।

सिरजनहार कृपा अब कीजै।
भृगु-पौलमी ब्याह कर लीजै।।19।।

ब्रह्मलोक में खुशियां छाई।
तीनों लोक बजी शहनाई।।20।।

दिव्या-भृगु के सुत दो होई।
त्वष्टा, शुक्र नाम कर जोई।।21।।

भृगु-पौलमी कर युगल प्रमाना।
च्यवन, ऋचीक है जिनके नामा।।22।।

काल कराल समय नियराई।
देव-दैत्य मॅह भई लड़ाई। ।23।।

ब्रह्मानुज विष्णु कर कामा।
देव गणों का करें कल्याना।। 24।।

भृगु भार्या दिव्या गई मारी।
चारु दिशा फैली अँधियारी।।25।।

सुषा छोड़ि मंदराचल आये।
ऋषिन जुटायू से यज्ञ कराये।।26।।

ऋषियन मॅह चिन्ता यह छाई।
कवन बड़ा देवन मॅह भाई।। 27।।

ऋषिन-मुनिन मन जागी इच्छा।
कहे भृगु के करेें परीक्षा।।28।।

गये पितृलोक ब्रह्मा नन्दन।
जहाँ विराज रहे चतुरानन।।29।।

ऋषि-मुनि कारन देव सुखारी।
तिनके कोऊ नाही पुछारी।।30।।

शाप दियो पितु को भृगुनाथा।
ऋषि-मुनिजन का ऊँचा माथा।।31।।

ब्रह्म लोक महिमा घटि जाही।
ब्रह्मा पूज्य होही अब नाही।।32।।

गये शिवलोक भृगु आचारी।
जहाँ विराजत है त्रिपुरारी।।33।।

रुद्रगणों ने दिया भगाई।
भृगु मुनि तब गये रिसिआई।। 34।।

शिव को घोर तामसी माना।
जिनसे हो  सबके कल्याना।।35।।

कुपित भयउ कैलाश विहारी।
रुद्रगणों को तुरत निकारी।।36।।

कर जोरे विनती सब कीन्हा।
मन मुसुकाई आपु चल दीन्हा।।37।।

शिवलोक उत्तर दिशि भाई।
विष्णु लोक अति दिव्य सुहाई।।38।।

क्षीर सागर में करत विहारा।
लक्ष्मी संग जग पालनहारा।।39।।

लीला देखि मुनि गए रिसियाई।
कैसे जगत चले रे भाई।।40।।

विष्णु वक्ष पर कीन्ह प्रहारा।
तीनहूं लोक मचे हहकारा।।41।।

विष्णु ने तब पद गह लीन्हा।
कहा नाथ आप भल कीन्हा।।42।।

आत्म स्वरुप विज्ञ पहचाना।
महिमामय विष्णु को माना।।43।।

दण्डाचार्य मरीचि मुनि आये।
भृगु मुनि को वो दण्ड सुनाये।।44।।

तुम्हने कियो त्रिदेव अपमाना।
नहि कल्यान काल नियराना।।45।।

पाप विमोचन एक अधारा।
विमुक्त भूमि गंगा की धारा।।46।।

हाथ जोरि विनती मुनि कीन्हा।
विमुक्त भूमि का देहू चीन्हा।।47।।

मुदित मरिचि बोले मुसकाई।
तीरथ भ्रमन करौं तुम्ह सांई।।48।।

जहाँ गिरे मृगछाल तुम्हारी।
समझौ भूमि पाप से तारी।।49।।

भ्रमनत भृगुमुनि बलिया आये।
सुरसरि तट पर धूनि रमाये।।50।।

कटि से भू पर गिरी मृगछाला।
भुज अजान बाल घुँघराला।51।।

करि हरि ध्यान प्रेम रस पागे।
विष्णु नाम जप करन लागे।।52।।

सतयुग के वो दिन थे न्यारे।
दर्दर चेला भृगु के प्यारे।।53।।

दर्दर से सरयू मँगवाये।
यहाँ भृगुमुनि यज्ञ कराये।।54।

गंगा-सरयू संगम अविनाशी।
संगम कार्तिक पूरनमासी।।55।।

जुटे करोड़ो देव देह धारी।
अचरज करन लगे नर-नारी।।56।।

जय-जय भृगुमुनि दीन दयाला।
दया सुधा बरसेहूं सब काला।।57।।

सब संकट पल माहि बिलावै।
जे धरि ध्यान हृदय गुन गावैं।।58।।

सब संकल्प सिद्ध हो ताके।
जो जन चरण-शरण गह आके।।59।।

परम दयामय हृदय तुम्हारो।
शरणागत को शीघ्र उबारो।।60।।

आरत भक्तन के हित भाई।
कौशिकेय यह चरित बनाई।।61।। 

🏺🌷🌺🌷🏺🌷🌺🌷🏺🌷🌺🌷🏺

भृगु संहिता रची करि, भक्तन को सुख दीन्ह।

दर्दर को आशीष दे, आपु गमन तब कीन्ह।।

पावन संगम तट मह, कीन्ह देह का त्याग।

माई बन्दी के भक्तन को, देहू अमित वैराग।।

दियो समाधि अवशेष की, भृग्वाश्रम निज धाम।

कर दर्शन भृगु धाम के, सिद्व होय सब काम।

==============================

RELATED BLOG

http://kaushikwarriors.blogspot.com 

FACEBOOK PAGES

http://fb.me/KaushikWarrior 

Kaushik Consultancy Intelligence Bureau
http://fb.me/kcib.in 

RELATED BOOKS

परम सत्य का सार, श्री विश्वकर्मा पुराण, भृगु संहिता,

शिव पुराण, हरिवंश पुराण, भृगु आश्रम 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

यह लेख कैसा लगा? इसमें उल्लिखित सूचना या विचारों के सम्बन्ध में आपकी कोई शिकायत या राय हो तो अपनी मुझे जरूर बतायें।

हमारे लेखक समुह में शामिल होने के लिए हमें नीचे दिए गए लिंक्स पर ज्वाइन करें :
https://www.linkedin.com/prasenjeet-singh-b40b95226
https://fb.me/kcib.in
या अपनी रचना हमें निम्न पते पर Email करें :
kcib24@blogger.com
swamiprasenjeetjee@gmail.com पर भेजें।🙏