महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित आदि ग्रन्थ महाभारत के वन पर्व में स्थित एक श्लोक के अनुसार भूनेत्र के नाम से प्रसिद्ध महातीर्थ "कटाक्ष" वह स्थान है जो सभी पापों को धो देता है। इस महातीर्थ को धारण करने वाले राज्य को लोग कठ गणराज्य के नाम से भी जानते थे। हालांकि कठ गणराज्य का अस्तित्व तो नहीं रहा मगर पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित चकबल में कल्लर कहार मार्ग पर वह सरोवर आज भी है जहां एक यक्ष के सवालों का जवाब दिए बगैर सरोवर का पानी पीने का प्रयास करने पर पाण्डवों के भाई भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव अचेत कर दिये गये थे। बाद में युधिष्ठिर ने जब यक्ष के सभी सवालों का जवाब देकर यक्ष को सन्तुष्ट कर दिया तभी उस सरोवर का जल पी सके थे। यक्ष के कहने पर जिस सरोवर के अमृत तुल्य जल का छिड़काव कर के युधिष्ठिर ने अचेत पड़े अपने भाईयों की चेतना वापस लाये थे वही सरोवर है चकबल में कटास नामक तीर्थ स्थान में स्थित यह सरोवर। हिन्दुओं के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कटास में प्रवेश करते ही "कटास राज चौक, श्री कटास राज मन्दिर और कटास राज अमृत कुण्ड" का बोर्ड दूर से ही दिखाई देता है।
कुछ जगहों पर पाकिस्तान सरकार के द्वारा लगवाये गए साइनबोर्ड को आप भी देख सकते हैं कि जिसमें लिखवाये गये सन्देश पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा उर्दू के बजाए भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी और नये युग की अन्तरराष्ट्रीय भाषा में लिखे हुए हैं। ऐसा इसलिए लिखा गया है ताकि भारतीय पर्यटक! खासकर राजस्थान से आने वाले पर्यटक उन सन्देशों को आसानी से समझ सकें।
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एक साइनबोर्ड में स्पष्ट लिखा हुआ है - "महान और पावन तीर्थ धाम श्री कटासराज जी की यात्रा करने के लिए आने पर पाकिस्तान वक्फ़ बोर्ड की ओर से आपका स्वागत है।"
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उस पवित्र तीर्थ धाम के पास वक्फ़ बोर्ड के द्वारा लगवाये गये अन्य साइनबोर्ड में हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू भाषा में भी लिखवाये गये सन्देशों से श्री कटास राज तीर्थ स्थान के बारे में पर्यटकों को जो जानकारी मिलती है उसके अनुसार इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने श्री कटासराज तीर्थ को भगवान शिव का तीर्थ माना है।
🗺️ (कटासराज मन्दिर में स्थित भगवान शिव जी की प्रतिमा और तस्वीरें)
कहते हैं कि माँ पार्वती! अपने पिता प्रजापति दक्ष के द्वारा अपने पति का अपमान नहीं सह पाने के कारण यज्ञ कुण्ड में कूद कर जब सती हो गयी, तब भगवान शिव के आँखों में छलक आये अश्रुबुन्द जिन दो जगहों पर गिरे थे, वहाँ पर पवित्र अमृत कुण्ड बन गये थे। भगवान शिव की आँखों में छलक आये आँसू के एक बुन्द राजस्थान के अजमेर नामक जिस भारतीय क्षेत्र में गिरा था वहाँ पर निर्मित पुष्कर सरोवर! तीर्थ स्थान पुष्कर राज के नाम से प्रसिद्ध हुआ तो भगवान शिव जी की आँखों से दूसरा अश्रुबुन्द जिस स्थान पर गिरा था, उस स्थान पर बना हुआ सरोवर "तीर्थ कुण्ड श्री कटाक्ष राज" के नाम से प्रसिद्ध हुआ लेकिन अब अपभ्रंश के कारण कटास राज कहलाता है।
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शिव जी के नेत्रों से गिरे दो अश्रु बन्दों से बने दोनों तीर्थ कुण्ड 1947 ईस्वी में हुए भारत के बंटवारे के बाद अब दो अलग-अलग देशों में स्थित है।
शास्त्रों में कटास-राज और पुष्कर-राज नामक तीर्थ स्थानों को भूनेत्र अर्थात धरती का नेत्र कहा गया है। लेकिन ऐसा क्यों कहा गया इसके लिए कौशिक कंसल्टेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो के द्वारा शोध किया जा रहा है। यजुर्वेद में श्री कटासराज धाम को सारस्वत प्रदेश में स्थित ब्रह्मावर्त कहा गया है। इस तीर्थ की महानता का प्रमाण आदि ग्रन्थ महाभारत में वर्णित उस घटना से मिलता है, जिसके बारे में लोगों की यह मान्यता है कि कटास-राज अमृत कुण्ड जो पहले एक आम सरोवर की तरह दिखाई देता था, उसी सरोवर के किनारे पाण्डवों के बड़े भाई युधिष्ठिर और उस सरोवर की रक्षा करने वाले यक्ष के बीच वह बहुचर्चित संवाद हुआ था, जिसके कारण यक्ष के द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब देकर युद्धिष्ठिर ने न केवल धर्मराज की पदवी पाया था, बल्कि इसी कटास राज सरोवर के पवित्र जल का छिड़काव कर के अचेत अवस्था में पड़े हुए अपने चारों भाईयों को पुनर्जीवित भी किया था। पाण्डवों के साथ घटित उस अविष्मरणीय घटना के कारण "कटास राज सरोवर" एक महान तीर्थ स्थल के रूप में संसार में अपनी सुगन्ध फैलाने लगा।
पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के जिला चकबल में कटाक्ष तीर्थ स्थल के पास बसने वाला कटास नामक वह प्राचीन गाँव आज भी है जहां पर स्थित हिन्दुओं के महान तीर्थ "कटास राज अमृत कुण्ड" 1947 ईस्वी में भारत का बंटवारा होने से पहले हिन्दु धर्म का मुख्य केन्द्र था। भारत का बंटवारा होने से पहले कटास राज मन्दिर के प्राङ्गण में हिन्दी और संस्कृत का महाविद्यालय भी स्थित था, जिसे बंटवारे के बाद बन्द करके स्थायी रूप से खत्म कर दिया गया है। लेकिन उस तीर्थ स्थल पर कटास राज का प्राचीन मन्दिर, श्री कटास राज अमृत कुण्ड के नाम से विख्यात सरोवर और महाविद्यालय के अवशेष अभी भी बचे हुए हैं। जिसकी देख-रेख पाकिस्तान वक्फ़ बोर्ड कर रही है।
इस तीर्थ स्थल हिन्दुओं के कम आवागमन के कारण अब श्री कटास राज कुण्ड के पानी का इस्तेमाल नहीं होने से उस कुण्ड के जल सतह पर सर्वत्र काई जम गया। इसके कारण भगवान शिव के प्रति आस्थावान लोगों के उस तीर्थ स्थान का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। जिसे समय रहते नहीं बचाया गया तो इंसानियत की शुरुआत जिस एक परिवार से हुआ था उसका आखिरी अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। फिर जाति, धर्म और समुदाय के नाम पर लड़ने वाले लोगों को कैसे यकीन दिलाया जाएगा कि सभी धरती वासी एक ही परिवार के सदस्य हैं?
देखें कहाँ है कटास राज मन्दिर👇
🏚️ Katas Raj Temples
PXF2+HMR, Kalar Kahar Rd, Katas, Chakwal, Punjab, Pakistan
https://maps.app.goo.gl/4T9j3hH2S5xtmeEs6
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